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Ajab Gajab: बिस्तर पर पति पत्नी के साथ बेबी को सुलाना भी जुर्म, चम्मच से खिलाया खाना तो छीन लेगी सरकार

ajab gajab Rule:बच्चों का मां-बाप से बेहतर केयर क्या कोई दूसरा कर सकता है? भारत के संदर्भ में आपका जवाब ना ही होगा. लेकिन, दुनिया में एक ऐसा देश है जो बच्चों के हाइजीन तक का ख्याल न रखने पर उन्हें अपनी कस्टडी में ले लेता है.
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ajab gajab Rule: Can anyone else take better care of children than parents? In the context of India, your answer will be no. But, there is a country in the world which takes children into their custody if they do not even take care of their hygiene.

News Hindi TV: दिल्ली, हम भारतीयों के परिवार में जब कोई बेबी पैदा होता है तो वह मां-बाप के साथ-साथ परिवार के हर सदस्य के लिए वह फूल की तरह प्यारा होता है. वह किसी के लिए परी तो किसी के लिए कृष्णा तो किसी के लिए लक्ष्मी का अवतार होता है. हम सभी उसे खूब लाड़ प्यार देते हैं. उसके गालों को चूमते हैं. उसको अपने हाथों से खिलाते हैं. उसे अपनी गोद में सुलाते हैं. बिस्तार पर मां-बाप के बीच की जगह उसकी हो जाती है, लेकिन दुनिया में एक ऐसा देश हैं जहां इन चीजों पर बैन है. आप एक हद से ज्यादा अपनी बेबी को टच नहीं कर सकते. आप उसे अपने हाथ से खाना नहीं खिला सकते. आप उसे अपने साथ नहीं सुला सकते.

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ये चीजें आपको अजीबो-गरीब लग सकती हैं. लेकिन यह सच है. इस कड़े नियम कायदे से एक भारतीय दंपति को भी दो चार होना पड़ा था. उस दंपति से उसके दोनों बच्चे छीन लिए गए थे. उनका जुर्म केवल इतना था कि वे बच्चों को चम्मच की जगह अपने हाथ से खाना खिलाते और अपनी बिस्तर पर सुलाते थे. इसे बेहद कड़ा जुर्म माना गया और उनसे बच्चे छीन लिए गए.

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दरअसल, यह घटना ज्यादा नहीं करीब 10 साल पुरानी है. भारतीय दंपति से तीन और एक साल को दो बच्चों को छीन लिए जाने के बाद यह घटना पूरी दुनिया में सुर्खियों में आई थी. बाद में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मां को इन बच्चों की कस्टडी मिली थी. अब इस पूरी मार्मिक कहानी को फिल्मी परदे पर भी उतारने की तैयारी चल रही है. इस पर एक फिल्म बन रही है, जिसमें अपने समय की चोटी की अदाकार रानी मुखर्जी इन बच्चों की मां की भूमिका निभाने जा रही हैं. फिल्म का टीचर एक दिन पहले ही जारी किया गया है.

यह पूरी कहानी नार्वे की है. वहां 2011 में अनुरूप भट्टाचार्य और उनकी पत्नी सगारिका रहते थे. उनको दो बच्चे थे. बड़ा बच्चा तीन साल का अविज्ञान था जबकि दूसरी बेटी थी एक साल की ऐश्वर्या. यह दंपति वहां एक खूशहाल जिंदगी जी रहा था. दोनों अपने बच्चों को खूब लाड़-प्यार दे रहे थे, लेकिन एक दिन अचानक नार्वे सरकार के अधिकार आते हैं और इस दंपति से दोनों बच्चों को उठा ले जाते हैं.

अधिकारियों ने इस दंपति पर आरोप लगाया कि ये लोग बच्चों को अपने हाथ से खाना खिलाते हैं. इसे नार्वे के कानून में जबर्दस्ती खाना खिलाना माना जाता है और यह एक अपराध है. इसके अलावा इस दंपति पर यह भी आरोप लगा कि वे लोग अपने बच्चों को उचित कपड़े नहीं (Unsuitable) पहनाते हैं. साथ ही इनको खेलने के लिए पर्याप्त जगह भी उपलब्ध नहीं कराते हैं.
नार्वे की बाल संरक्षा सेवा ने यह कहा था कि ये बच्चे अपने माता-पिता के साथ एक ही बिस्तर पर सोते हैं जो कानून के हिसाब से गलत है. यह घटना भारत और नार्वे की सरकार के स्तर पर भी पहुंच गया था. भारत सरकार के राजनयिक हस्तक्षेप के बाद वहां के प्रशासन ने इन बच्चों की कस्टडी उनके चाचा को दे दी और उन्हें भारत ले जाने को कहा गया.

सगारिका की निजी जिंदगी में भी आ गए भूचाल
इस पूरी घटना में बच्चों की मां सगारिका पर दोहरी मार पड़ी. एक तरफ उनके बच्चे उनसे छीन लिए गए और दूसरी तरफ पति के साथ उनकी खटपट शुरू हो गई. फिर सगारिका को इन बच्चों की कस्टडी हासिल करने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी पड़ी.
नार्वे के कड़े नियम
दरअसल, नार्वे में बच्चों के समग्र विकास के लिए बाल कल्याण सेवा संचालित की जाती है. यह एक बेहद पावरफुर सर्विस है. यह नार्वे में बच्चों के संरक्षण के लिए जिम्मेदार है. यह सेवा हर म्यूनिसपेलिटी में है. यह वहां की एक संवैधानिक संस्था है और यह तय करती है कि इस देश में रहने वाले सभी बच्चे उचित स्वास्थ्य और विकास सेवाएं प्राप्त करें. अगर संस्था को लगता है कि अगर किसी बेबी को उचित स्वास्थ्य और विकास की सुविधाएं नहीं मिल रही है तो वह उन्हें अपनी कस्टडी में ले लेगा है. भले ही बच्चों की परवरिश मां-बाप ही क्यों न कर रहे हों. कस्टडी लेने के बाद इन बच्चों को 18 साल की उम्र हासिल करने के बाद भी छोड़ा जाता है