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Edible oil price : सरसों के साथ-साथ दूसरे खाने के तेलो में भारी गिरावट

देश में मौसम के खुलने के बाद मंडी में सरसों की वृद्धि हुई है जिससे सरसों के तेल में भी गिरावट दर्ज की गई है। सरसों के तेल के साथ पामोलीन तेल, मूंगफली तेल-तिलहन के भाव में गिरावट आई है। आइए जानते है आपकी सीटी के भाव।
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Edible oil price : सरसों के साथ-साथ दूसरे खाने के तेलो में भारी गिरावट 

NEWS TV HINDI, DELHI : नवंबर में शुरू होने वाले नये तेल वर्ष के पहले तीन महीनों में सस्ते आयातित तेलों का जरूरत से अधिक आयात होने के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को कारोबार में गिरावट का रुख दिखा और मूंगफली तेल- तिलहन और सोयाबीन तिलहन को छोड़कर अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव गिरावट के साथ बंद हुए.

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मूंगफली की निर्यात मांग होने और ड्राई फूड की तरह उपयोग बढ़ने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे. जबकि किसानों के द्वारा नीचे भाव पर बिकवाली नहीं करने से सोयाबीन तिलहन के भाव भी पूर्ववत बने रहे.


सूत्रों ने कहा कि देश में मौसम के खुलने के बीच मंडियों में सरसों की आवक में वृद्धि हुई है जो आज बढ़कर लगभग छह लाख बोरी हो गई. मौस्म खुला रहा तो आने वाले दिनों में आवक और बढ़ेगी. सस्ते आयातित तेलों के आगे सरसों की मांग कमजोर होने से सरसों का खपना मुश्किल हो रहा है जिस कारण इसके तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट आई.

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पामोलीन तेल कीमतों में भी मामूली गिरावट आई


शिकॉगो एक्सचेंज आज बंद था जबकि मलेशिया एक्सचेंज में आज 0.8 प्रतिशत का सुधार है. किसानों द्वारा कम भाव पर बिकवाली नहीं करने से सोयाबीन तेल-तिलहन में गिरावट आई. सस्ते आयातित खाद्य तेलों के रहते देशी तेलों के खपने की मुश्किल के कारण बिनौला तेल कीमत में भी गिरावट देखी गई. आयात बढ़ने और मांग कमजोर होने से कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों में भी मामूली गिरावट आई.

एक करोड़ 31 लाख 40 हजार टन का आयात हुआ

सूत्रों ने कहा कि पिछले वर्ष 2020-21 में देश में खाद्य तेलों का लगभग एक करोड़ 31 लाख 40 हजार टन का आयात हुआ और वर्ष 2021-22 में यह बढ़कर एक करोड़ 40 लाख 30 हजार टन का हो गया. नये तेल वर्ष के पहले तीन महीने में लगभग 30 प्रतिशत आयात बढ़ गया. यह चिंता की बात है कि देश में खाद्य तेल आयात बढ़ता जा रहा है. जाहिर है कि इस आयात के लिए देश को भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है. खाद्य तेलों की मंहगाई बढ़ने पर सब सक्रिय जाते हैं और विदेशों में दाम टूटते हैं तों कोई खोज खबर नहीं लेते कि बाजार पर इसका क्या नकारात्मक असर आने वाला है.

सस्ते आयातित तेलों की दिक्कत है

सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों की महंगाई कम करने का एक तरीका विदेशों से आयात के अलावा प्रसंस्करण के बाद खाद्य तेलों का सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से आम उपभोक्ताओं तक वितरण हो सकता है. इससे ग्राहकों को वैश्विक कीमतों में आई गिरावट का समुचित लाभ भी मिलेगा और तेल कीमतें काबू में आयेंगी. सस्ते आयातित तेलों की दिक्कत यह है कि इससे हमें खल नहीं मिलेगा जो पशु आहार की कीमत पर असर डालता है और जिसकी कमी या दाम बढ़ने की वजह से दूध, मक्खन आदि के दाम बढ़े हैं.

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तिलहन के बाजार में खपने की परिस्थिति का निर्माण हो

विदेशों में जो खाद्य तेल निकालने के लिए एक्सपेलर की जगह साल्वेंट का इस्तेमाल होता है उसमें खल कम निकलता है. सूरजमुखी से विदेशों में डीआयल्ड केक (डीओसी) निकलता है पर खल तो हमारे देशी तिलहन देते हैं. आयातित खाद्य तेल देशी तेल से लगभग 30-35 रुपये नीचे चल रहे हैं, लेकिन हमें तो खल की जरुरत होगी जो हमारे देशी तिलहन से मिलेगी और इसके लिए देशी तिलहनों का बाजार में खपना जरूरी है. देश में गरीबों के उपयोग वाले पाम एवं पामोलीन का लगभग 90-95 लाख टन का आयात किया जाता है. सरकार बेशक इस पर आयात शुल्क न बढ़ाये, क्योंकि हमारे देशी तेलों को इससे कोई फर्क भी नहीं पड़ता. लेकिन सूरजमुखी और सोयाबीन पर आयात शुल्क अधिकतम सीमा तक बढ़ाना चाहिये जिससे हमारे देशी तिलहन के बाजार में खपने की परिस्थिति का निर्माण हो.

सोमवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे


सरसों तिलहन – 5,785-5,835 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल.
मूंगफली – 6,775-6,835 रुपये प्रति क्विंटल.
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,550 रुपये प्रति क्विंटल.
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,540-2,805 रुपये प्रति टिन.
सरसों तेल दादरी- 12,075 रुपये प्रति क्विंटल.
सरसों पक्की घानी- 1,940-1,970 रुपये प्रति टिन.
सरसों कच्ची घानी- 1,900-2,025 रुपये प्रति टिन.
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल.
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,300 रुपये प्रति क्विंटल.
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,030 रुपये प्रति क्विंटल.
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,540 रुपये प्रति क्विंटल.
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,880 रुपये प्रति क्विंटल.
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,680 रुपये प्रति क्विंटल.
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,430 रुपये प्रति क्विंटल.
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,450 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल.
सोयाबीन दाना – 5,450-5,580 रुपये प्रति क्विंटल.
सोयाबीन लूज- 5,190-5,210 रुपये प्रति क्विंटल.
मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल.