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Income Tax Tips : टैक्सपेयर्स याद करले ये गणित, हर महीने कर सकते है 50 हजार की बचत

Income Tax Return: अगर आप भी इनकम टैक्स भर रहे है तो  हम आपके लिए टैक्स बचाने का एक ऐसा गणित लेकर आए है, जिसकी मदद से आप हर महीने बचा सकेंगे पूरे 50 हजार रूपये। 
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Income Tax Tips : टैक्सपेयर्स याद करले ये गणित, हर महीने कर सकते है  50 हजार की बचत  

NEWS TV HINDI, DELHI : Income Tax Saving: टैक्स बचाने के कई सारे तरीके हैं. इनमें से Standard Deduction भी एक तरीका है, जिससे टैक्स सेविंग की जा सकती है. Standard Deduction ग्रॉस सैलरी से किसी की इनकम की फ्लैट कटौती को संदर्भित करती है जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता है. स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि खर्च का कोई सबूत दिखाए बिना इसे छूट के रूप में क्लेम किया जा सकता है.

स्टैंडर्ड डिडक्शन(Standard Deduction )


आयकर अधिनियम 1961 की धारा 16 के तहत वेतनभोगी पेशेवरों और पेंशनभोगियों सहित वेतनभोगी लोगों के जरिए स्टैंडर्ड डिडक्शन का दावा किया जा सकता है. जब कोई टैक्सपेयर अपना सालाना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय Standard Deduction का दावा करता है, तो यह बिना किसी इंवेस्टमेंट प्रमाण प्रस्तुत किए टैक्सेबल इनकम की मात्रा को कम कर देता है. सरकार मुद्रास्फीति में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन को लगभग नियमित आधार पर संशोधित करती है.

कागजी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं


इस प्रकार की कटौती की एक अन्य प्रमुख विशेषता यह है कि आय पर इस प्रकार की कटौती का दावा करने के लिए किसी कागजी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं होती है और यह यात्रा भत्ता और चिकित्सा भत्ता जैसी पिछली कटौतियों के विपरीत है. यात्रा भत्ता और चिकित्सा भत्ता जैसी कटौतियों का दावा करने के लिए बिल जमा करना पड़ता था, जिसमें बड़ी मात्रा में कागजी कार्रवाई शामिल होती थी.

Standard Deduction की गणना


स्टैंडर्ड डिडक्शन सीधे ग्रॉस सैलरी से काटा जाता है. सरकार ने एक वित्तीय वर्ष में कटौती की सीमा 50,000 रुपये तय की है, निवेश और खर्च का कोई प्रमाण दिखाए बिना यह छूट मिलती है. 50,000 रुपये की यह फ्लैट कटौती एक व्यक्ति की कुल टैक्सेबल इनकम को कम करती है.


नई कर व्यवस्था के तहत Standard Deduction


पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन का प्रावधान सिर्फ पुराने टैक्स सिस्टम को चुनने वालों तक ही सीमित था, लेकिन इस साल के बजट में सरकार ने नई टैक्स व्यवस्था के तहत भी इस डिडक्शन सुविधा को जोड़ा है. इसलिए, इसे सार्वभौमिक बना दिया गया है और कोई भी कर व्यवस्था के बावजूद 50,000 रुपये की मानक कटौती का दावा कर सकता है.