UP जिले में एक गांव जिसे नहीं मिलता सरकारी योजनाओं का लाभ, पिछले 25 साल से चक्कर काट रहे गांव के लोग
करोड़ों लोग केंद्रीय सरकारी योजनाओं से लाभ उठा रहे हैं। लेकिन संतकबीरनगर जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां लोगों को सरकारी कार्यक्रमों का लाभ नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि गांववासी पिछले 25 वर्षों से अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं—
NEWS HINDI TV, DELHI : संतकबीरनगर जिले में ऐसे भी गांव हैं, जहां के लोगों को प्रदेश और केंद्र सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। ग्रामीण अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों का चक्कर लगाते रहे, लेकिन इनकी समस्या का निस्तारण नहीं हो सका। इसकी वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे। इन गांवों के राजस्व अभिलेख का जर्जर हो गए हैं। इससे ग्रामीणों को इसकी नकल नहीं मिल रही। पूरे देश में राजस्व अभिलेख ऑनलाइन उपलब्ध हैं। लेकिन इन गांवों के अभिलेख अभी तक ऑनलाइन नहीं हुए, जो यहां के लोगों पर भारी पड़ रही है। इससे किसी भी पोर्टल पर यहां के अभिलेखों का सत्यापन नहीं हो पाता है।
25 वर्षों से भटक रहे हैं ग्रामीण
संतकबीरनगर जिले के धनघटा तहसील क्षेत्र में तीन राजस्व गांव ऐसे हैं जहां के ग्रामीण 25 साल से भटक रहे हैं। ये गांव हैं अगापुर गुलरिहा, छपरा मगर्वी व चपरा पूर्वी। इन गांवों के लोगों की भूमि के तहसील में मौजूद राजस्व अभिलेख जर्जर हो गए हैं। इनके बदहाल होने के कारण गांव के किसानों को न तो खतौनी मिल पा रही है और न ही वरासत हो पा रही है। 25 साल से प्रशासनिक लापरवाही के चलते ग्रामीण परेशान हैं।
सम्मान निधि और किसान क्रेडिट कार्ड से भी वंचित
किसानों की मदद के लिए आज के दौर में सम्मान निधि और केसीसी सरकार की पहली प्राथमिकता में है। लेकिन अभिलेख बदहाल होने के कारण गांव के किसानों को खतौनी नहीं मिल पा रही है। इसके चलते बिना खतौनी के किसानों को सम्मान निधि का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यही हाल केसीसी का है। बिना किसी रिकार्ड के बैंक से केसीसी नहीं बन पा रही है। छपरा मगर्वी निवासी देवेंद्र यादव, बृजभूषण यादव, शकील, राजकुमार चौहान, परशुराम शर्मा, दयाराम यादव, चपरा पूर्वी गांव निवासी हरिराम यादव, बाबूलाल यादव, राम सुमेर यादव, संपत ने बताया कि खतौनी न मिलने के कारण किसान सम्मान निधि की सुविधा से वंचित हैं। पूरे गांव के लोग किसान सम्मन निधि का लाभ नहीं पा रहे हैं।
वर्षों पहले वारिसों को नहीं हो पा रहा भू स्वामित्व का अंतरण
विवादों से बचने व लोगों की सुविधा के लिए सम्पत्ति की वरासत करना भी शासन की प्राथमिकता में है। लेकिन अभिलेखों की समस्याए ऐसी आड़े आ रही है कि इन गांवों की वरासत भी नहीं हो पा रही है, दाखिल खारिज भी किसान नहीं करा पा रहे हैं। यहां जिन लोगों की सालों पहले मृत्यु हो गई है उनके वारिसों को भू स्वामित्व का अंतरण नहीं हो पा रहा है। छपरा मगर्वी निवासी गंगाराम यादव का कहना है कि उनके पिता राम लौट की मौत दो वर्ष पूर्व हो गई लेकिन खतौनी के अभाव में उनकी वरासत नहीं हो पा रही है। चपरा पूर्वी गांव में भी खतौनी के अभाव में वरासत नहीं चढ़ पा रही है। ग्राम प्रधान हरिराम यादव ने बताया कि इसके लिए कई बार तहसील पर धरना-प्रदर्शन किया गया लेकिन मामला सिफर रहा है।
राजस्व परिषद में हुई शिकायत
ग्रामीणों की दिक्कतों वा भाजपा नेता नीलमणि ने लखनऊ जाकर राजस्व परिषद को शिकायती पत्र सौंप समस्या बताई। राजस्व परिषद ने प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुए एडीएम को अभिलेख के साथ तलब किया था। अध्यक्ष राजस्व परिषद ने इस समस्या को निस्तारित करने का निर्देश दिया है।
समस्या दूर होने की जगी आस
ढाई दशक से यह समस्या झेल रहे ग्रामीणों को अब लग रहा है कि उनकी समस्या दूर हो जाएगी। राजस्व परिषद ने एडीएम को निर्देश दिया है कि तीनों गांवों के जो अभिलेख उपलब्ध हैं उन्हें ऑन लाइन करा दिया जाए। जो नक्शे खराब हो गए हैं उन्हें ट्रेस बोर्ड भेजकर दुरुस्त कराया जाए। इन गांवों के लोगों से आपत्तियां मांगी जाएं जो निस्तारण के योग्य हों उनका निस्तारण करा दिया जाए। जो आपत्ति निस्तारण योग्य न हो उसे कोर्ट से निस्तारित किया जाए। यह प्रक्रिया तीन माह में पूरी करनी है।