Bank लोन रिकवरी के लिए नही भेज सकेगें नोटिस, Delhi High Court ने सुनाया बड़ा फैसला

Delhi High Court Decision :बैंक लोन वालों के लिए कोर्ट ने ग्राहकों को राहत दी है. बैंक आमतौर पर लोन रिकवरी के लिए लुक आउट सर्कुलर जारी करता है। दिल्ली हाई कोर्ट का मानना है कि यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। बैंक तभी यह नोटिस जारी कर सकते हैं जब इसके लिए कोई ठोस वजह हो। कोर्ट ने कहा कि इससे संबंधित शख्स के विदेश जाने में बाधा आती है।आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से।
 

NEWS HINDI TV, DELHI:  बैंक लोन रिकवरी (bank loan recovery rules) के लिए लुक आउट सर्कुलर का इस्तेमाल नहीं कर सकता. यह किसी शख्स के विदेश घूमने में बाधा डालती है, जो संविधान द्वारा दिए गए अधिकार का उल्लंघन है.” दिल्ली हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की है. कोर्ट का कहना है कि लुक आउट सर्कुलर (look out circular) से संबंधित शख्स को जांच अधिकारी या फिर कोर्ट के सामने सरेंडर करना पड़ता है. यह सिर्फ तभी जारी किया जाना चाहिए, और यह ठोस वजह पर ही जारी किया जाना चाहिए.


 

 

 

 

 

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि धारा 21 के तहत विदेश यात्रा करना संवैधानिक अधिकार है. इसका हनन नहीं किया जा सकता. कोर्ट में आए दिन इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. बैंक लोन रिकवरी के लिए लुक आउट नोटिस जारी करता है. आमतौर पर यह तब किया जाता है जब लोन लेने वाला शख्स समय पर चुका पाने में विफल होता है. रिकवरी के लिए बैंक (Loan recovery rules) ने सर्कुलर जारी करने का चलन शुरू कर दिया है.

डायरेक्टर ने पहले ही छोड़ दी थी कंपनी


कोर्ट ने यह टिप्पणियां एक प्राइवेट फर्म के डायरेक्टर द्वारा दायर याचिका पर की, जो कुछ ट्रांजैक्शन से संबंधित मामलों में फिलहाल सीबीआई जांच का सामना कर रहे हैं. बैंक ऑफ बड़ौदा ने उनके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया था. बैंक को इस बारे में भी जानकारी दी गई कि फर्म को 2018 में एनपीए घोषित किया जा चुका है. इसके 18 महीने बाद डायरेक्टर ने कंपनी छोड़ दी थी. कुछ महीने बाद कंपनी के उस पूर्व डायरेक्टर को बैंक की तरफ विलफुल डिफॉल्टर होने का नोटिस मिला, तो वह दंग रह गए.

डायरेक्टर के कंपनी छोड़ने के बाद हुए ट्रांजैक्शन


हालांकि, कंपनी के खिलाफ दर्ज एफआईआर में डायरेक्टर को आरोपी भी नहीं बनाया गया था. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने माना कि डायरेक्टर मामले में आरोपी नहीं था और जो भी ट्रांजैक्शन हुए वो उसके कंपनी छोड़ने के बाद हुए. बावजूद इसके लोन रिकवरी मामले में उसे विदेश जाने से रोका गया था. 

अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है जो किसी भी इनपुट को उचित ठहरा सके कि याचिकाकर्ता की देश से बाहर यात्रा करना भारत के आर्थिक हित के लिए हानिकारक है या किसी हित में उसके देश से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.