Daughter-in-law's property rights : साझा घर में बहू का कितना है अधिकार, क्या ससुराल वाले निकाल सकते हैं बाहर, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Delhi High Court Verdict :हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने बहू के अधिकारों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। यह तो सब जानते हे कि शादीशुदा महिला को भारत का कानून कई अधिकार देता है। शादी के तुरंत बाद कुछ अधिकार ऑटोमेटिक ही बहू को मिल जाते हैं। यह फैसला कोर्ट ने हाल ही में एक मामले पर सुनाया है जिसमें बहू का ससुराल वालों संग संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था। 

 

NEWS HINDI TV, DELHI : आए दिन बहू और ससुराल के मामले सामने आते रहते है। ऐसे ही एक मामले में ससुराल वालों संग संपत्ति विवाद में बहू को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court Decision) ने कहा है कि कानून के तहत बहू के पास ‘साझा घर’ में रहने का अपरिहार्य अधिकार नहीं है और ससुराल वालों को इससे बाहर नहीं किया जा सकता है।

जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने हाल ही पारित अपने फैसले में कहा है कि ‘साझा घर’ (shared house laws) की अवधारणा स्पष्ट रूप से यह कहती है कि एक साझा घर में बहू का अधिकार एक अपरिहार्य अधिकार नहीं है और ससुराल वालों के इससे बाहर नहीं निकाला जा सकता है।

 


उन्होंने कहा कि बहू अपने वैवाहिक घर या साझा घर में रहने के अधिकार का दावा करते हुए यह दलील नहीं दे सकती है कि साझा घर में ससुराल वाले उसके साथ नहीं रह सकते। जस्टिस प्रतिभा सिंह (Justice Pratibha Singh) ने कहा है कि ‘अगर ऐसी परिस्थितियां मौजूद हैं जो दर्शाती हैं कि वे एक साथ नहीं रह सकते हैं, तो बहू के लिए वैकल्पिक आवास भी तलाशे जा सकते हैं।’

 


 दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) संभागीय आयुक्त के 31 मार्च को आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर यह टिप्पणी की है। बहू ने संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner) द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देते हुए अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ याचिका दाखिल की है। महिला के ससुरालवालों की ओर से ‘माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक देखरेख व कल्याण अधिनियम’ के तहत साउथ एक्टेंशन में मकान से बहू को घर से बेदखल करने की मांग की थी।


वहां के जिलाधिकारी (District Magistrate) इस मामले में बहू को घर खाली करने का निर्देश दिया था। हालांकि संभागीय आयुक्त ने बहू को घर खाली करने के जिलाधिकारी के आदेश को रद्द कर दिया और बहू को घर में रहने की अनुमति दे दी। हालांकि, संभागीय आयुक्त ने अपने आदेश में कहा कि ससुरालवाले जो कि वरिष्ठ नागरिक हैं, वो भी उसी मकान में रहेंगे। इसी आदेश को महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती (Challenge in High Court) दी थी।