High Court : पति से अलग रहने पर पत्नी गुजारा भत्ता मांग सकती है या नहीं, हाईकोर्ट ने किया स्पष्ट

High Court : पति-पत्नी के आपस में झगड़े होना आम हैं, लेकिन हालात तब बिगड़ जाते हैं जब ये मामले कोर्ट में पहुंच जाते हैं। तो कोर्ट में जाने के बाद पत्नी तलाक के साथ-साथ अपने लिए गुजारा भत्ता और अन्य चीजों की मांग कर सकती है। ऐसे हालात में पति को कानून के मुताबिक पत्नी को ये चीजें देनी पड़ती है लेकिन इससे पहले ये चीजें देखी जाती हैं कि महिला पति से अलग रह रही है। आज हम इस खबर में बताएंगे कि पति से अलग रहने पर पत्नी को गुजारा भत्ता मिलेगा या नहीं। आईए जानते है हाईकोर्ट का फैसला.

 

News Hindi TV, Delhi : पति पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद में जब गुजारे भत्ते की बात आती है तो ज्यादातर भरण-पोषण पाने के अधिकार का आदेश पत्नियों के पक्ष में जाता है, लेकिन कानून में दोनों को एक दूसरे से गुजारा भत्ता मांगने और पाने का अधिकार है।

 बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में साफ किया है कि पत्नी का लंबी अवधि तक पति से अलग रहना, उसे गुजारा भत्ता (मेंटेनेंस) न देने का आधार नहीं हो सकता है। जस्टिस राजेश पाटील ने पत्नी की अपील को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया है। मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने 2010 में पत्नी को मेंटेंस के रूप में 2300 रुपये गुजारा भत्ता( alimony ) देने का आदेश दिया था। पति ने मैजिस्ट्रेट के आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी।


पति के मुताबिक, पत्नी लंबे समय से उससे अलग रह रही है। उसे घरेलू हिंसा संरक्षण कानून से जुड़े प्रावधानों से राहत नहीं मिल सकती है। सेशन कोर्ट ने 25 जुलाई, 2019 को मैजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया था। सेशन कोर्ट( session court ) ने पति से लंबे समय से अलग रहने के आधार पर पत्नी को भरण पोषण से वंचित किया था।

सेशन कोर्ट के आदेश के खिलाफ पत्नी ने हाई कोर्ट( High court ) में अपील की थी। पत्नी के अनुसार, उसके पास आय का कोई जरिया नहीं है, जबकि पति का खुद का कारोबार है। 1997 में उसे ससुराल के घर से निकाल दिया गया था।


'दंपती का वैवाहिक विवाद विचाराधीन'-


सेशन कोर्ट के आदेश से असहमत जस्टिस पाटील ने कहा कि घरेलू हिंसा संरक्षण कानून( Domestic Violence Protection Act ) की धारा (2के) तलाक के बाद भी महिला को गुजारा भत्ता का दावा करने पर रोक नहीं लगाती है। यह धारा काफी व्यापक है। इसलिए मौजूदा केस में सेशन कोर्ट के निष्कर्ष से मैं संतुष्ट नहीं हू। मामले से जुड़े दंपती के वैवाहिक विवाद( marital dispute ) का मसला अभी भी हाई कोर्ट में विचाराधीन है।