Supreme Court Decision : पंचायती जमीन पर कब्जा करने वालों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये फैसला 

छह फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकार या पंचायत की भूमि पर अवैध कब्जा करनेवाले लोग नियमन का अधिकार के रूप में दावा नहीं कर सकते। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि सरकारी या पंचायत की जमीन पर अवैध कब्जे का नियमन केवल राज्य सरकार की नीति और नियमों में निर्धारित शर्तों के अनुसार ही हो सकता है। आईए जानते है इसके बारे में पूरी जानकारी।
 

NEWS HINDI TV, DELHI : छह फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकार या पंचायत की भूमि पर अवैध कब्जा करनेवाले लोग नियमन का अधिकार के रूप में दावा नहीं कर सकते। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि सरकारी या पंचायत की जमीन पर अवैध कब्जे का नियमन केवल राज्य सरकार की नीति और नियमों में निर्धारित शर्तों के अनुसार ही हो सकता है।

शीर्ष अदालत ने हरियाणा के सोनीपत जिले में गोहाना तहसील के सरसाद गांव में पंचायत की जमीन पर कब्जा कर मकान बनानेवाले लोगों की याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। हरियाणा सरकार ने 2000 में आबादी देह (राजस्व संपदा के आवासीय क्षेत्र) के बाहर अवैध कब्जे वाली पंचायत भूमि की बिक्री संबंधी नीति बनाई थी। हरियाणा ने पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) नियम, 1964 में भी संशोधन किया था और 2008 में अधिसूचना जारी की थी।

इसके बाद तीन जनवरी, 2008 की अधिसूचना के संदर्भ में 1964 नियम में नियम 12(4) को शामिल किया गया, जो ग्राम पंचायत को शामलात देह (खाली जमीन) में अपनी वह भूमि 31 मार्च, 2000 को या उससे पहले अपने मकान बनानेवाले गांव के लोगों को बेचने का अधिकार देता है, जो कृषि योग्य नहीं है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) नियम, 1964 के नियम 12(4) के तहत याचिका दायर की थी।

दरअसल, सोनीपत के उपायुक्त ने रिकॉर्ड देखने के बाद इन लोगों का निवेदन खारिज कर दिया था और कहा था कि याचिकाकर्ताओं ने अधिकतम 200 वर्ग गज के क्षेत्र से अधिक भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है, इसलिए वे नियम 12(4) का लाभ लेने के पात्र नहीं हैं। इसके बाद, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने भी प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली रिट याचिका खारिज कर दी थी। शीर्ष अदालत ने प्राधिकारी एवं उच्च न्यायालय दोनों के रुख को न्यायोचित बताया।