Tax rules on buying and selling gold : सोना खरीदने और बेचने पर लगेगा इतना टैक्स, जानिए GST समेत क्या हैं चार्ज

Tax rules on buying and selling gold : जब आप किसी ज्वैलर से सोने के आभूषण, बिस्किट, सिक्के (gold jewellery, biscuits, coins) आदि खरीदते हैं तो आपको जीएसटी समेत कई चार्ज चुकाने पड़ते हैं। तो ऐसे में आज हम आपको अपनी इस खबर के माध्यम से यह बताने जा रहे हैं। कि सोना खरीदने और बेचने पर कितना टैक्स लगता है। और इसके साथ यह भी जान लें कि जीएसटी समेत कौन-कौन से चार्ज लगते हैं। हाल ही में सोना खरीदने वाले जरूर जान लें ये बात...
 

NEWS HINDI TV, DELHI : Tax on Gold While Buying or Selling : सोने पर रिटर्न (returns on gold) को लेकर बहुत से लोग उत्साहित हैं। इसी वजह से कई लोग इसमें निवेश भी कर रहे हैं. कोई फिजिकल गोल्ड खरीद रहा है तो कोई डिजिटल गोल्ड में निवेश (investing in digital gold) कर रहा है। निवेश कोई भी हो, जब भी आप सोना खरीदते या बेचते हैं तो आपको उस पर टैक्स देना पड़ता है।

फिजिकल गोल्ड खरीदने पर देने होते हैं ये टैक्स:-

जब आप किसी ज्वैलर से सोने के आभूषण, बिस्किट, सिक्के (gold jewellery, biscuits, coins) आदि खरीदते हैं तो आपको जीएसटी समेत कई चार्ज चुकाने पड़ते हैं। भौतिक सोना खरीदने पर निम्नलिखित शुल्क लागू होते हैं:

1. मेकिंग चार्ज-

जब भी आप कोई आभूषण खरीदते हैं तो ज्वैलर उस पर मेकिंग चार्ज वसूलता है। 1 प्रतिशत से लेकर 25 प्रतिशत तक हो सकता है. मेकिंग चार्ज (making charge) ज्वैलर्स का मुनाफा है। हालांकि, कई ज्वैलर्स यह शुल्क नहीं लेते हैं। यह पूरी तरह से ज्वैलर पर निर्भर करता है कि वह ग्राहक से मेकिंग चार्ज लेगा या नहीं। आभूषण खरीदते समय आप दुकानदार से मेकिंग चार्ज पर बातचीत कर सकते हैं।

2. GST-

ज्वेलरी खरीदने पर ग्राहक को GST चुकानी पड़ती है। सोने पर 3 फीसदी GST लगती (3% GST is levied on gold) है। अगर आप 20 हजार रुपये की ज्वेलरी खरीद रहे हैं तो आपको 600 रुपये GST के चुकाने होंगे।

3. TDS-

अगर आप 1 लाख रुपये से ज्यादा का सोना खरीदते हैं तो इस पर TDS भी देना होता है। यह 1 फीसदी होता है।

फिजिकल सोना बेचने पर देना पड़ता है कैपिटल गेन्स टैक्स:

सोना बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स (Capital gains tax) देना पड़ता है. यह दो तरह से होता है- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स। अगर सोना 3 साल के भीतर बेचा जाता है तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। अगर सोना 3 साल के बाद बेचा जाता है तो उस पर 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. यहां ध्यान रखें कि यह टैक्स बेची गई कुल रकम पर नहीं बल्कि बेचने पर हुए मुनाफे पर लगाया जाता है।

डिजिटल गोल्ड पर चुकाने पड़ते हैं ये टैक्स-

डिजिटल गोल्ड के रूप में कई स्कीम हैं जहां से सोना खरीद सकते हैं। इनमें सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड (gold mutual fund), गोल्ड ETF आदि शामिल हैं। इसमें बेचने पर इस तरह के टैक्स देने होते हैं:

A. Sovereign Gold Bonds-

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल है। 8 साल पूरे होने के बाद ग्राहक को मिलने वाला रिटर्न पूरी तरह टैक्स फ्री हो जाता है। अगर आप इसे 5 साल के बाद लेकिन 8 साल से पहले बेचते हैं तो इस पर 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है। वहीं 12 महीने के बाद लेकिन 5 साल से पहले बेचते हैं तो 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Long Term Capital Gains Tax) देना होगा। वहीं 12 महीने के भीतर बेचते हैं तो इस पर शॉर्ट टर्म केपिटल गेन्स टैक्स देना होगा। बॉन्ड बेचकर जो भी कमाई होगी, उसे आपकी मुख्य आमदनी में जोड़ दिया जाएगा। इस प्रकार इनकम टैक्स के जिस स्लैब में आमदनी आएगी, उसी के अनुसार टैक्स देना होगा।

B. Gold ETF-

Gold ETF को अगर 3 साल बाद बेचा जाता है तो इस पर 20 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है। वहीं अगर इसे 3 साल से पहले ही बेचा जाए तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है। यह टैक्स आपकी इनकम के अनुसार आने वाले टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से तय होता है।

C. ऐप के जरिए गोल्ड-

अगर आप Paytm, Google Pay, PhonePe आदि के जरिए सोना खरीदते हैं तो इसे ऑनलाइन डिजिटल गोल्ड माना जाता है। इस गोल्ड को बेचने पर जो प्रॉफिट होता है, उस पर कैपिटल गेन्स देना होता है। अगर कोई शख्स 3 साल बाद डिजिटल गोल्ड बेचता है तो उस पर 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स और अगर 3 साल से पहले बेचता है तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है, जो उसकी आमदनी में जुड़ जाता है।