Alcohol : आखिर एक पेग (60ML) पीने के बाद क्यों आ जाता है इतना कॉन्फिडेंस, पीने वाले जान लें इसकी वजह
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NEWS HINDI TV, DELHI: शराब से जुड़ी तमाम बुराइयों में से एक ये भी है कि यह बहुत सारे लोगों को 'विश्व विजेता' बनने सरीखे उन्माद से भर देता है. पीने के बाद ऐसे लोगों की झिझक की बंदिशें टूट जाती हैं. फिर, आम तौर पर ये दिल में दबे प्यार का इजहार करते हैं, या दुनिया की परवाह भुलाकर नाचते-गाते नजर आते हैं. थोड़ी और हिम्मत बढ़ने पर बॉस और रिश्तेदारों को खरी-खोटी सुनाते हैं, बड़े-बड़े धनकुबेरों को 'खरीदने-बेचने' के दावे करते हैं और लोगों से झगड़ने के बहाने ढूंढने लग जाते हैं. इसके बाद नंबर आता है 'गाड़ी तेरा भाई चलाएगा' वाले जानलेवा 'कान्फिडेंस' का. भारत में रोड एक्सीडेंट्स की बड़ी वजहों में से एक ड्रंक ड्राइविंग भी है. आजकल सड़क हादसे इतने आम हो चले हैं कि रोजाना टीवी पर दिखने वाले इनके वीडियोज हमें विचलित नहीं करते. अब तो ऐसे हादसे सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीम होते भी देखे जाने लगे हैं. सवाल उठना लाजिमी है कि शराब में ऐसा क्या है, जिससे लोगों को वो कर गुजरने की हिम्मत मिल जाती है, जिसके बारे में वे सामान्य हालात में सोच भी नहीं सकते.
क्या है 'लिक्विड करेज'
इस मदिरा जनित साहस को अंग्रेजी में लिक्विड करेज (liquid courage) या डच करेज (Dutch Courage) भी कहते हैं. कहा जाता है कि यूरोपीय इतिहास के सबसे रक्तरंजित युद्धों में से एक 17वीं शताब्दी में हुए थर्टी ईयर्स वॉर (Thirty Years' War) और बाद में हुए एंग्लो-डच वॉर के दौरान इस शब्द युग्म का भाषाई तौर पर इस्तेमाल हुआ. जंग के मैदान में जाने वाले सैनिकों को अच्छी खासी मात्रा में जिन पिलाई जाती थी ताकि दुश्मनों की बंदूकों की गोलियों और गरजती तोपों का सामना करने की हिम्मत आ सके. कहते हैं कि शराब पीने के बाद इन सैनिकों में वो सब कुछ करने की हिम्मत आ जाती थी, जिसके बारे में वे सामान्य हालात में सोचकर ही डर जाते थे.
सर्वे में हो चुका है साबित:
कुछ साल पहले ड्रग्स और नशे को लेकर बड़े पैमाने पर हुए सर्वे में भी साबित हो चुका है कि शराब लोगों को और ज्यादा कॉन्फिडेंट बना देती है. लंदन के एक रिसर्च संगठन की ओर से 2016 में कराए गए इस ग्लोबल ड्रग सर्वे में 18 से 34 साल के बीच के करीब 30 हजार लोगों की राय ली गई. सर्वे में शामिल लोग 21 देशों में फैले हुए थे. प्रिंट, डिजिटल और सोशल मीडिया के माध्यम से 11 भाषाओं में रायशुमारी कराई गई. बाद में इस सर्वे के आंकड़ों का आकलन वेल्स के एनएचएस ट्रस्ट और किंग्स कॉलेज लंदन के रिसर्चरों ने किया. सर्वे में अधिकांश लोगों ने माना कि वोदका, जिन, व्हिस्की जैसे हार्ड लिकर के सेवन के बाद कॉन्फिडेंस का स्तर सबसे ऊपर रहता है.
क्या है पीछे का साइंस?
दरअसल, शराब पीने के बाद कॉन्फिडेंस बढ़ने का यह एहसास आभासी है. इसकी वजह शराब का हमारे दिमाग पर पड़ने वाला असर है. शराब पीने के बाद हमारे ब्रेन से एक केमिकल या न्यूरोट्रांसमिटर निकलता है, जिसे डोपामीन (dopamine) कहते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस केमिकल का संबंध खुशी देने वाले एहसास से है और इसकी शरीर में उपस्थिति बढ़ने से लोगों को शक्तिशाली और कॉन्फिडेंस होने का भरोसा मिलता है. इसके अलावा, शराब हमारे दिमाग में उस हिस्से को प्रभावित करता है, जो फैसले लेने की क्रिया से जुड़ा होता है. नशे के असर की वजह से हमारे अंदर झिझक और डर की भावनाएं कम हो जाती हैं और लोग बिना ठीक से सोचे समझे आवेश में तेजी से फैसले लेते हैं. हालांकि, यह डोपामीन ही शराब की लत की वजह बनता है. दरअसल, इस केमिकल के असर की वजह से ही लोग एक पैग के बाद दूसरा, फिर तीसरा और फिर आगे बढ़ते चले जाते हैं.
फर्जी है शराब वाला कॉन्फिडेंस:
शराब के नशे में लोग आसपास के खतरे को भांपने की स्थिति में नहीं होते, इसलिए सामान्य स्थिति में जिस तीव्रता के साथ खतरे का एहसास होता है, नशे में उस खतरे को सामने देखकर भी वैसी घबराहट नहीं होती. इसका मतलब यह है कि आप खतरे से निपटने के लिए सही फैसले लेने की स्थिति में नहीं हैं और खुद को या दूसरों को चोटिल कर सकते हैं. नशे में ड्राइविंग के दौरान होने वाले हादसों की एक बड़ी वजह यही है. वहीं, शराब पीकर नकारात्मक भावनाओं को भुलाकर बढ़ा हुआ आत्म सम्मान महसूस करने की आदत डालना बेहद खतरनाक भी है. दरअसल, नशा उतरते ही लोगों को दोबारा से उस कॉन्फिडेंस की जरूरत महसूस होती है और लोग फिर से शराब पीने लगते हैं और धीरे-धीरे इसकी लत पड़ने लगती है.