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bank privatization : सरकार इन 5 बैंक को करने जा रही प्राइवेट, चेक करें कहीं ये आपका बैंक तो नहीं

bank news : देश का बैंकिंग सिस्टम काफी तगड़ा है और देश के करोड़ों लोग हर रोज़ बैंकों का इस्तेमाल किसी न किसी तरीके से करते हैअन।  देश में प्राइवेट और सरकार बैंक है , सरकारी बैंकों को सरकार चलाती है और प्राइवेट बैंकों को प्राइवेट कंपनियां।  सरकार ने हाल ही में इन 5 सरकारी बैंकों को प्राइवेट करने का फैसला किया अहइ , आइये जानते हैं कौनसे है ये बैंक 
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सरकार इन 5 बैंक को करने जा रही प्राइवेट

HR Breaking News, New Delhi : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (Minimum Public Shareholding) मानदंडों का पालन करने के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) और यूको बैंक सहित पांच सरकारी बैंक सरकार की हिस्सेदारी को घटाकर 75 प्रतिशत से नीचे लाने की योजना बना रहे हैं। फाइनेंशियल सर्विस सेक्रेटरी विवेक जोशी ने इस बात की जानकारी दी।

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पब्लिक सेक्टर के कुल 12 बैंकों (Public Sector Bank) में से चार 31 मार्च 2023 तक पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों का पालन कर चुके हैं। फाइनेंशियल सर्विस सेक्रेटरी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में तीन और PSB ने न्यूनतम 25 प्रतिशत पब्लिक शेयरहोल्डिंग का पालन पूरा कर लिया है। शेष पांच सरकारी बैंकों ने MPS मानदंडों को पूरा करने के लिए योजना बनाई हैं।

फिलहाल दिल्ली स्थित पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 98.25 प्रतिशत है। चेन्नई के इंडियन ओवरसीज बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 96.38 प्रतिशत, यूको बैंक में 95.39 प्रतिशत, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93.08 प्रतिशत, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 86.46 प्रतिशत है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के अनुसार सभी लिस्टेड कंपनियों के लिए पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों का पालन जरूरी है।

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हालांकि, नियामक ने सरकारी बैंकों को विशेष छूट दी है। उनके पास 25 प्रतिशत पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियम को पूरा करने के लिए अगस्त 2024 तक का समय है। जोशी ने कहा कि बैंकों के पास हिस्सेदारी कम करने के लिए कई विकल्प हैं, जिनमें FPO या पात्र संस्थागत नियोजन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बाजार की स्थिति के आधार पर इनमें से प्रत्येक बैंक शेयरधारकों के सर्वोत्तम हित में निर्णय लेगा। बिना कोई समयसीमा बताए उन्होंने कहा कि इस अनिवार्यता को पूरा करने के प्रयास जारी हैं।

जोशी ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने सभी पीएसबी को अपने गोल्ड लोन पोर्टफोलियो की समीक्षा करने का निर्देश दिया है क्योंकि सरकार के समक्ष नियामकीय मानदंडों का अनुपालन न करने के मामले आए हैं। वित्तीय सेवा विभाग (DFS) ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों के प्रमुखों को पत्र लिखकर उनसे गोल्ड लोन से संबंधित अपनी प्रणाली और प्रक्रियाओं पर गौर करने को कहा है।