लोन नहीं चुकाने वालों को बड़ा झटका, Supreme Court ने प्रोपर्टी की नीलामी पर दिया ये फैसला
Supreme Court Decision : कुछ लोन जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों से लोन तो ले लेते हैं लेकिन जब बात लोन चुकाने की आती है तो लोगों के पास पैसे नहीं होते या फिर कुछ लोग जानबूझकर नहीं भरते हैं तो उसके बाद बैंक द्वारा उनकी प्रोपर्टी की नीलामी की जाती है। तो ऐसे Loan नहीं भरने वालों के लिए ये खबर जान लेना जरूरी है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने लोन नही भरने वालों की प्रोपर्टी नीलामी को लेकर बड़ा फैसला दिया है। चलिए नीचे खबर में जानते हैं इसके बारे में पूरी डिटेल।
News Hindi TV, New Delhi : Supreme Court Decision - सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी ऋण चूककर्ता को ‘किसी भी समय’ बकाया चुकाकर ऋणदाता वित्तीय संस्थानों द्वारा उसकी गिरवी संपत्ति( mortgaged property ) की नीलामी करने से रोकने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि कोई कर्जदार गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों ( NPA ) की वसूली नियंत्रित करने वाले कानून के तहत नीलामी नोटिस( auction notice ) के प्रकाशन से पहले वित्तीय संस्थानों का बकाया चुकाने में विफल रहता है, तो वह अपनी गिरवी संपत्ति को छुड़ाने का अनुरोध नहीं कर सकता है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने नीलामी प्रक्रिया की शुचिता पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘यह अदालतों का कर्तव्य है कि वे पूर्व में हुई नीलामी की शुचिता का संरक्षण करें। अदालतों को नीलामी में हस्तक्षेप करने से गुरेज करना चाहिए, अन्यथा यह नीलामी के मूल उद्देश्य को विफल कर देगा और इसमें जनता के भरोसे एवं भागीदारी को बाधित करेगा।’ शीर्ष अदालत वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्संरचना और सुरक्षा हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (सरफेसी अधिनियम) के एक प्रावधान से निपट रही थी।
जस्टिस पारदीवाला ने 111 पन्नों का लिखा फैसला-
अधिनियम की धारा 13(8) में प्रावधान है कि कोई भी कर्जदार सार्वजनिक नीलामी के लिए नोटिस के प्रकाशन की तारीख से पहले या गिरवी संपत्तियों की पट्टे( lease of properties ) या बिक्री के माध्यम से हस्तांतरण के लिए निविदा आमंत्रित करने से पहले संपूर्ण देय राशि का भुगतान करके वित्तीय संस्थानों से अपनी गिरवी संपत्ति किसी भी समय वापस मांग सकता है। पीठ की ओर से जस्टिस पारदीवाला ने 111 पन्नों का फैसला लिखा।
… उसका अपनी गिरवी संपत्ति छुड़ाने का अधिकार समाप्त हो जाएगा-
उन्होंने इसमें कहा है, ‘हमारा मानना है कि सरफेसी अधिनियम( SARFAESI ACT ) की संशोधित धारा 13(8) के अनुसार, एक बार जब कर्जदार नीलामी नोटिस के प्रकाशन से पहले ऋणदाता को प्रभार और शुल्क के साथ बकाया राशि की पूरी राशि देने में विफल रहता है तो 2002 के नियमों के नियम-आठ के अनुसार समाचार पत्र में नीलामी नोटिस के प्रकाशन की तिथि पर उसका अपनी गिरवी संपत्ति छुड़ाने का अधिकार समाप्त हो जाएगा।’ यह फैसला बम्बई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सेलिर एलएलपी की अपील पर आया।
उच्च न्यायालय ने एक अन्य कंपनी बाफना मोटर्स (मुंबई) प्राइवेट लिमिटेड को बैंक को बकाया भुगतान पर अपनी गिरवी रखी संपत्ति छुड़ाने की अनुमति दी थी।