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Bombay high court : गुस्साए जज ने सुनवाई करने से किया इंकार, जानिए क्या है कारण

Bombay high court : यह बहुत कम देखने को मिला है कि किसी जज ने किसी मामले पर सुनवाई करने के लिए मना कर दिया हो। लेकिन यह सच में हुआ है जहाँ हाई कोर्ट के जज ने खुद मामले की सुनवाई करने से साफ मना कर दिया। ऐसा क्यो हुआ जानने के लिए खबर को अंत तक पढें।

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Bombay high court : गुस्साए जज ने सुनवाई करने से किया  इंकार, जानिए क्या है कारण

NEWS HINDI TV, DELHI : बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay high court) के जस्टिस (Justice) गौतम एस पटेल ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। दरअसल इससे पहले एक याचिकाकर्ता ने उन्हें पर्सनल ईमेल (Email) भेजकर दावा किया था कि उसके मामले की लंबे समय से सुनवाई (Long-standing hearing) नहीं हुई है। पटेल और न्यायमूर्ति कमल आर खट्टा की पीठ तुर्राभाई चिम्थानावाला और दो अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) को दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए अपनी वेबसाइट को और अधिक सुलभ बनाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।


याचिका का उल्लेख किए जाने पर न्यायमूर्ति पटेल और न्यायमूर्ति कमल खाता की पीठ ने कहा कि वह याचिका पर सुनवाई (High court decision) से खुद को अलग कर रही हैं और याचिकाकर्ता (Petitioner) के वकील को उनके द्वारा भेजे गए ईमेल के बारे में जानकारी दी। वकील कंचन पमनानी ने इस पर माफी मांगी और कहा कि उन्हें ईमेल के बारे में जानकारी नहीं थी। उन्होंने अदालत से याचिका पर सुनवाई करने (Hearing on petition) का आग्रह किया।

कुछ दृष्टिबाधित व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका में केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को अपनी वेबसाइट को दृष्टिबाधित लोगों के अनुकूल बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। वादियों में से एक ने न्यायमूर्ति पटेल (Justice Patel) को ईमेल में उच्च न्यायालय से इस मुद्दे पर गौर करने का आग्रह किया और कहा कि याचिका पर दो साल से सुनवाई नहीं हुई है। इससे नाराज न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि इस तरह के निजी ईमेल न्यायधीशों को नहीं भेजे जाने चाहिए। न्यायमूर्ति पटेल ने कहा, ‘‘मामला कितने भी समय से लंबित क्यों न रहे, लेकिन कोई व्यक्ति न्यायधीशों (Judges) को इस तरह का निजी ईमेल नहीं भेज सकता।’’ 


अदालत (Bombay high court) ने याचिका को किसी अन्य पीठ के पास भेजने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति पटेल (Justice Patel) ने कहा कि वह ‘‘इस मामले को कभी भी हाथ नहीं लगाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं कभी भी इस विषय पर सुनवाई नहीं करूंगा। कल्पना कीजिए, अगर मैं मामले पर सुनवाई करता हूं और अनुकूल आदेश देता हूं तो संदेश जाएगा कि आप न्यायाधीश को निजी ई-मेल भेज कर अनुकूल फैसला पा सकते हैं।’’ न्यायधीश को ई-मेल भेजने वाला याचिकाकर्ता (Petitioner) अदालत में मौजूद था और उसने माफी मांग ली। उच्च न्यायालय ने हालांकि, उसके विषय पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।