Delhi NCR में घर खरीदें या रेंट पर ही रहें, कौन सा फैसला है सही, क्या है ज्यादा फायदेमंद
क्या घर खरीदना सही है या रेंट पर रहना ही सही फैसला होगा. यह सवाल कई बार आपके मन में भी आया होगा. घर खरीदें या निवेश (buy vs rent house) किया जाए? रेंट पर रहें या EMI भरें. जहां घर खरीदना हर किसी के बस में नहीं होता। ऐसे में किराए के मकान में रहना ही ज्यादा सही मानते हैं। आइए नीचे खबर में जानते हैं इस बारे में एक्सपर्ट की क्य राय है।
NEWS HINDI TV, DELHI: अपना घर बनाने का सपना तो सभी की आंखो में बसा रहता है। नौकरीपेशा करने वाले लोगों अपने छोटी-मोटी ख्वाहिशों कम कर के अपनी पाई पाई जोड़ कर अपने सपनों का घर बनाते है। मेटो शहरों में तो प्रॉपर्टी खरीदना और भी मुश्किल होता जा रहा। दिल्ली-एनसीआर जैसे हॉट रियल एस्टेट स्पॉट में आज के समय 2 बीएचके घर खरीदना आसान काम नहीं रह गया है। इसके लिए कम से कम 50 लाख रुपये तो खर्च ही करने पड़ेंगे। ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि अगर आप मेट्रो सिटीज में मकान खरीदने के बजाए किराये पर रहते हैं तो ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है।
मकान खरीदना हमेशा भावनाओं से जुड़ा फैसला होता है। ज्यादातर लोग अपना घर इसीलिए खरीदने की चाहत रखते हैं कि उनका परिवार अपनी छत के नीचे रहना सुरक्षित रहे। लेकिन, इमोशन को छोड़ दें तो आपके लिए रेंट पर रहना ज्यादा फायदे का सौदा साबित हो सकता है। एकबारगी तो यह सुनकर आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन आज आपको सिंपल कैलकुलेशन के जरिये हम बताएंगे कि आखिर मेट्रो शहरों में अपना मकान खरीदना ज्यादा फायदेमंद है या फिर किराये पर रहकर निवेश की रणनीति बनाना।
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पहले समझें घर खरीदने का फंडा
मान लीजिए आप दिल्ली-एनसीआर में मकान खरीदना चाहते हैं तो आपको 2बीएचके फ्लैट के लिए औसतन 50 लाख रुपये खर्च करने होंगे। एक मिडिल क्लास नौकरीपेशा आदमी मुश्किल से 10 से 20 फीसदी रकम ही डाउन पेमेंट दे पाता है। अगर आप 20 फीसदी यानी 10 लाख की रकम डाउन पेमेंट करते हैं तो मकान के लिए 40 लाख रुपये का लोन लेना पड़ेगा। इसके ऊपर से रजिस्ट्री, स्टांप ड्यूटी व ब्रोकरेज चार्ज अलग होते हैं। मकान लिया है तो फर्नीचर भी जमाना पड़ेगा। इन सब काम में आपके आराम से 5 लाख रुपये तक और लग जाते हैं।
लोन, किराया बनाम सेविंग
अब दूसरी स्थिति को देखते हैं। अगर आप वही फ्लैट किराये पर लेते हैं । तो आपको आसानी से 15 हजार रुपये महीने पर मिल जाएगा। इस तरह देखें तो हर महीने आपके पास सेविंग (Saving) के लिए 16 हजार रुपये से ज्यादा बच जाएंगे। अब अगर इस पैसे को अच्छी स्ट्रेटजी बनाकर इन्वेस्ट किया जाए तो करोड़ों का फंड तैयार किया जा सकता है। बेहतर रिटर्न के लिए आज के समय में वैसे भी कई शानदार इंस्ट्रुमेंट उपलब्ध हैं।
कम मेहनत पर ज्यादा रिटर्न देने के मामले में SIP अच्छा माना जाता है। एसआईपी के लिए 10 से 12 फीसदी का रिटर्न आम है। अगर आप 12 फीसदी रिटर्न वाली SIP में 20 साल के लिए हर महीने 16 हजार रुपये लगाते हैं तो आपको 20 साल के बाद करीब 1.60 करोड़ रुपये मिलेंगे। जबकि आप 20 साल में करीब 38 लाख रुपये निवेश करेंगे। एसआईपी के मामले में 15 फीसदी रिटर्न कोई बड़ी बात नहीं है। अगर ऐसी किसी एसआईपी में आपने पैसे लगाएं तो 20 साल के बाद आपके पास करीब 2.42 करोड़ रुपये का फंड तैयार हो जाएगा।
किराये पर रहने के फायदे
लिक्विडिटी: किराये पर रहने से आपकी निवेश की लिक्विडिटी बनी रहती है। आप अपने निवेशों को अनुकूलन करने और अच्छे कार्यों के लिए धन प्रवाह को प्रबंधित करने के लिए विभिन्न विकल्पों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
निजी ध्यान: किराये पर रहने से आपको अपने घर की संभाल और रख-रखाव की चिंता की ज़रूरत नहीं होती है। आपको मालिकी के सारे ज़िम्मेदारियों का लेन-देन नहीं करना पड़ता है और आपका समय और ध्यान अन्य महत्वपूर्ण कार्यों पर केंद्रित हो सकता है।
आयकर और नगर निगम का लाभ: किराये पर रहते समय, आपको आयकर और नगर निगम के द्वारा लगाये जाने वाले उपयोगकर्ता शुल्कों और वस्त्राधान शुल्कों का बोझ नहीं उठाना पड़ता है।
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अपना घर लेने के फायदे
स्थायित्व और सुरक्षा: अपना घर लेने से आपको स्थायी निवास स्थान की गारंटी मिलती है। आपको आराम और सुरक्षा का आनंद लेने का मौका मिलता है, और आप अपने घर को अपनी प्राथमिकता बना सकते हैं।
निवेश के रूप में: अपना घर खरीदकर, आप एक निवेश के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपको आगामी समय में मूल्य की बढ़त या संपत्ति के रूप में उपयोग करने की संभावना देता है।
आवासीय मुद्दों का समाधान: अपने घर में रहने से, आपको आवासीय मुद्दों के संबंध में मालिकी और किराया दाता के बीच के विवादों से बचाया जाता है।