Consumer Court : अगर आपको भी फंसा है फ्लैट, तो जान लें कंज्यूमर कोर्ट का ये फैसला
NEWS HINDI TV, DELHI: नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (National Consumer Disputes Redressal Commission) के खिलाफ आमतौर पर फ्लैट और रिएल एस्टेट खरीदारों की यह शिकायत रहती है कि कमीशन के आदेशों को लागू नहीं किया जाता है। दूसरी तरफ NCDRC ने रिएल एस्टेट की एक बड़ी कंपनी को एक फ्लैट बायर को करीब 80 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति करने का आदेश दिया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक NCDRC ने हाल में जारी किए गए एक के बाद एक आदेश से अपने प्रति बन रहे रुझान को बदल कर रख दिया है। दरअसल, कमीशन ने पार्श्वनाथ डेवलपर्स (Parshvanath Developers) को फ्लैट की डिलीवरी में देरी करने के कारण दिल्ली के एक फ्लैट खरीदार को उसका पेमेंट ब्याज सहित लौटाने का निर्देश दिया था। लेकिन इस आदेश के तीन साल बीत जाने के बावजूद बिल्डर की ओर से इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे मजबूर होकर NCDRC ने उक्त आदेश (Property News) जारी किया है।
सबसे रोचक बात तो यह है कि सुभाष चंद्रा और साधना शंकर की पीठ ने 17 नवंबर को यह साफ कर दिया था कि यदि उक्त बिल्डर की ओर से दिए गए कुल 15 लाख रुपये के दो चेक बाउंस हुए तो उन्हें 5,000 रुपये रोजाना के हिसाब से जुर्माना भरना पड़ेगा। आदेश में यह भी कहा गया था कि उन्हें अंतिम दिन 10,000 रुपये भरने होंगे जो कि उसी दिन जमा कराना होगा और भुगतान का प्रूफ भी फाइल करना होगा। आयोग ने फैसले (Commission decision) को लागू कराने के लिए पहले भी इसी तरह की एक पेनल्टी लगाई थी।
जान लें क्या है पूरा मामला:
आपको बता दें कि इस मामले को लिस्ट करते हुए आयोग ने बिल्डर को आदेश दिया है कि वह पेमेंट के शेड्यूल को दिखाते हुए एक शपथपत्र के साथ खाते का स्पष्ट स्टेटमेंट जमा कराए। जुलाई 2019 में NCDRC ने बिल्डर को एक आदेश (Consumer Court Verdict ) जारी कर कहा था कि वह रजनीश सेठ नाम के फ्लैट खरीदार को 52 लाख रुपये की उनकी समूची रकम और 43.9 लाख रुपये पर 11% के साधारण ब्याज से क्षतिपूर्ति का भुगतान करे जो हर एक भुगतान से लेकर रिफंड पूरे होने तक की अवधि के लिए होगा।
आयोग ने तीन महीने के भीतर निर्देश पूरा करने के लिए कहा था लेकिन (Delhi builders news) बिल्डर ने भुगतान नहीं किया। इसके बाद सेठी ने मार्च 2020 में NCDRC के पास जाकर पारित आदेश को लागू करवाने की मांग की थी।
इस मामले पर फ्लैट खरीदार की ओर से पेश हुए वकील वृंदा कपूर ने कहा कि बिल्डर ने रिफंड आदेश को नहीं माना है। साथ ही उन्होंने 1.2 करोड़ रुपये का दावा भी पेश किया। बता दें कि सेठ ने सोनीपत में पार्श्वनाथ प्रेस्टन में साल 2008 में एक फ्लैट बुक किया था। लेकिन उस फ्लैट के कंस्ट्रक्शन का काम ही शुरू नहीं हो पाया। इसके बाद बिल्डर ने उन्हें ग्रेटर नोएडा के पार्श्वनाथ प्रीविलेज में फ्लैट देने के लिए राजी कर लिया। साल 2013 में नए सिरे से अग्रीमेंट तैयार किया गया। लेकिन बिल्डर 36 महीने की समय सीमा के भीतर फ्लैट की डिलीवरी नहीं कर पाया। इसके बाद सेठी ने NCDRC का रुख किया था।