Health Insurance Claim : इन 5 कारणों से होता है हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम खारिज, कहीं आप से भी तो नहीं हो रही ये गलतियां ?
NEWS HINDI TV, DELHI: अगर पहले के मुकाबले में देखा जाए तो आजकल हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) खरीदना काफी आसान हो गया है। आप इसे खुद घर बैठकर भी ऑनलाइन प्रोसेस से खरीद सकते हैं। लेकिन कई बार पॉलिसी खरीदते समय हमसे कुछ ऐसे गलतियां हो जाती है जिससे हमको भविष्य में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। पॉलिसी खरीदने के बाद इसके क्लेम ( Health Insurance Claim Rejection) के समय किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए आपको यह बाते जरूर पता होनी चाइए-
यह होते है हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के मुख्य कारण-
1) क्लेम प्रोसेस के समय गलतियां करना-
आपके और हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली कंपनी एक कॉन्ट्रैक्ट के तहत बंधी होती है। इसलिए आपको क्लेम प्रोसेस करते समय दिए गए सारे मानकों का पालन करना चाहिए। गलत तरीके से भरे गए आवेदन पत्र, दस्तावेज की कमी के कारण आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। इस गलती से बचन के लिए आप हेल्थ इंश्योरेंस प्रोसेस (Insurance Claim process) को समझने के लिए आप पहले बीमा कंपनी से संपर्क कर लें। इससे क्लेम रिजेक्ट होने की संभावना कम हो जाती है।
2) क्लेम में बीमारी का कवर न हो पाना-
आपको बता दें वेटिंग पीरियड या कोई विशेष बीमारी इंश्योरेंस में कवर न होने (Special illness not covered by insurance) के कारण भी कई बार इंश्योरेंस कंपनियों की ओर से क्लेम को रिजेक्ट कर दिया जाता है। इस वजह से इंश्योरेंस लेते समय हमेशा देखना चाहिए कि कौन-कौन सी बीमारियां इसमें कवर की गई हैं।
3) बीमारी का काफी पुराना होना-
ज्यादा इंश्योरेंस (Health insurance) कंपनियों की ओर से पुरानी बीमारियों को कवर नहीं किया जाता है। ऐसे में जब भी इनसे जुड़ा कोई क्लेम आता है तो इंश्योरेंस कंपनियां रिजेक्ट कर देती है।
4) डेडलाइन पूरी होने के बाद क्लेम करना-
हर इंश्योरेंस कंपनी (insurance company) की ओर से क्लेम दायर करने के लिए एक डेडलाइन दी जाती है। यह डेडलाइन हर पालिसी के हिसाब से अलग अलग होती है। वहीँ, अगर वह निकल जाती है तो आपके लिए क्लेम दायर करना मुश्किल हो जाता है।
5) क्लेम करते समय पूरी जानकारी न देना-
बहुत बार ऐसा होता है कि इंश्योरेंस धारक (insurance holder) की ओर से अपनी हेल्थ को लेकर बीमा कंपनी को सही जानकारी नहीं दी जाती है, लेकिन जब डॉक्टरों की ओर से रिपोर्ट की जांच की जाती है तो वह बीमारी साफ निकल कर आती है। ऐसे में कंपनी द्वारा क्लेम रिजेक्ट कर दिया जाता है।