High Court ने चेक बाउंस के मामले में सुनाया बड़ा फैसला, सभी के लिए जानना हैं जरूरी

NEWS HINDI TV, DELHI: चेक बाउंसिंग (Check bouncing) के मामले अक्सर उलझे होते हैं और दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलील देकर गलती छुपाने की कोशिश करते हैं। अदालत (high court news) में मामला जाने के बाद यह लंबा खींचता है। हालांकि, चेक बाउंसिंग को लेकर अब कोर्ट का ताजा फैसला सुकून वाला है।
अदालत (high court decision) ने कहा कहा है कि चेक बाउंसिंग (Check bouncing) के मामलों में पक्षकार मुकदमे के किसी भी स्तर पर समझौता कर सकते हैं। यह कहते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट (High Court) ने दो लाख रुपये के चेक बाउंसिंग के एक केस में समझौते के आधार पर आरोपी की दोषसिद्धि और एक साल की सजा को खारिज कर दिया। आरोपी 14 दिसंबर 2020 से जेल में सजा काट रहा था।
यह आदेश जस्टिस सीडी सिंह की बेंच ने ऋषि मोहन श्रीवास्तव की अर्जी पर पारित किया। अपने आदेश में कोर्ट (high court decision news) ने यह भी कहा कि भले ही हाई कोर्ट ने पहले एक रिवीजन याचिका खारिज कर दी थी, किंतु न्यायहित में सीआरपीसी (CRPC) की धारा 482 के तहत अर्जी को सुना जा सकता है। इस मामले में पक्षकारों को तकनीकी आधार पर यहां न सुनकर सुप्रीम कोर्ट (supreme court news) भेजने का कोई औचित्य नहीं है।
कारोबार के सिलसिले में दिया गया चेक हो गया था बाउंस-
ऋषि श्रीवास्तव ने व्यापार के सिलसिले में अभय सिंह को एक-एक लाख रुपये की दो चेक दी थीं। चेक बैंक में लगाने पर बाउंस हो गईं। इसके बाद 2016 में अभय ने अदालत में एनआई ऐक्ट की धारा 138 के तहत मुकदमा कर दिया। विचारण अदालत ने ऋषि को 29 नवंबर 2019 को एक साल की सजा सुनाते हुए तीन लाख रुपये हर्जाना भी लगा दिया था।
ऋषि ने अयोध्या की सत्र अदालत (high court decision) में अपील की, लेकिन वह 14 दिसंबर 2020 को खारिज हो गई। फिर उन्होंने हाई कोर्ट में आपराधिक रिवीजन दायर किया, लेकिन हाई कोर्ट ने भी मेरिट पर सुनवाई करके उसे 18 दिसंबर 2020 को खारिज कर दिया। इस बीच ऋषि 14 दिसंबर 2020 से लगातार जेल में थे। जब उन्हें कोई रास्ता नहीं दिखा तो उन्होंने अभय को रुपये देकर समझौता कर लिया। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका पेश की।
सरकारी वकील ने याचिका को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया-
याची की ओर से दलील दी गई कि एनआई ऐक्ट के तहत किसी भी स्तर पर समझौता किया जा सकता है, इसलिए सजा को समझौते के मद्देनजर खारिज किया जाए। सरकारी वकील ने याची की दलील को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए उसका विरोध किया।
हालांकि, मामले की परिस्थितियों व सुप्रीम कोर्ट की नजीरों के आधार पर जस्टिस सीडी सिंह ने कहा कि एनआई ऐक्ट के तहत समझौता किसी भी स्तर पर किया जा सकता है। इस मामले में पक्षकारों ने समझौता कर लिया है। यह कहते हुए कोर्ट ने याचिका को मंजूर कर लिया और याची को सुनायी गई सजा व जुर्माने को खत्म कर दिया। कोर्ट ने विपक्षी राज्य सरकार को पांच हजार रुपये का हर्जाना भी दिलवाया।