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High Court ने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन को लेकर दी बड़ी राहत

OPS : हाल ही में इलाहाबाद हाईकोट ने कर्मचारियों को बड़ी खुशखबरी दी है। आपको बता दे कि हाईकोर्ट ने सरकार को पुरानी पेंशन की स्कीम का लाभ देने का निर्देश दिया है। आइए नीचे खबर में जानते है हाईकोर्ट के इस फैसले के बारे में विस्तार से.

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High Court ने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन को लेकर दी बड़ी राहत

NEWS HINDI TV, DELHI : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विज्ञापन संख्या 1/2002 के तहत नई पेंशन योजना लागू होने के बाद नियुक्त सहायक अध्यापक याचियों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि नई पेंशन स्कीम लागू होने से पहले के विज्ञापन से चयनित सहायक अध्यापकों को पुरानी पेंशन का लाभ मिलेगा।

इसी के साथ कोर्ट ने सरकार के इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया कि सहायक अध्यापकों की नियुक्तियां नई पेंशन स्कीम लागू होने के बाद की गई है, इस कारण वे नई पेंशन स्कीम में होंगे। यह आदेश न्यायमूर्ति विकास बुधवार ने नंदलाल यादव समेत कई याचिकाओं पर दिया है। 

कहा गया था कि सभी सहायक अध्यापकों की नियुक्तियां एक अप्रैल 2005 के बाद की गई हैं। इस कारण वे पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ पाने के हकदार नहीं है। वे नई स्कीम में आते हैं। याचिकाओं में इसे चुनौती दी गई थी। याचिकाओं पर अधिवक्ता आलोक कुमार यादव की दलील थी कि याची के साथ चयनित और नियुक्त अन्य सभी अध्यापकों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ मिल रहा है लेकिन याचियों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है।

उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। अन्य चयनित सहायक अध्यापकों की नियुक्तियां नई पेंशन स्कीम लागू होने से पहले हो गई थीं जबकि याचियों को विभाग की गलती के कारण ज्वाइन नहीं कराया गया था। 


उन्होंने कहा कि वर्ष 2002 में सहायक अध्यापकों की भर्ती विज्ञापित की गई थी। 29 नवंबर 2004 को इंटरव्यू हुआ और 24 दिसंबर 2004 को परिणाम घोषित किया गया। घोषित परिणामों के आधार पर अधिकतर अध्यापकों को नियुक्ति पत्र देकर उन्हें ज्वाइन करा दिया गया। याचियों को मिले प्लेसमेंट पर कॉलेज मैनेजमेंट ने ज्वाइन नहीं कराया।

बाद में बोर्ड के हस्तक्षेप पर दूसरे कॉलेजों में ज्वाइन कराया गया। याचियों की नियुक्ति एवं ज्वाइनिंग नई पेंशन स्कीम लागू होने के बाद हुई। इस कारण उन्हें नई पेंशन स्कीम से आच्छादित मानते हुए पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने से इनकार कर दिया गया था। कोर्ट ने इसे सही नहीं माना।