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High Court ने लोन नहीं चुका पाने में असमर्थ लोगों को दी बड़ी राहत, बैंक और फाइनेंस कंपनियों को जारी किए सख्त आदेश

Patna High Court Decision-  पटना हाई कोर्ट ने लोन नहीं चुका पाने में असमर्थ लोगों को बड़ी राहत दी है. कि अगर कोई गाड़ी खरीदने के लिए फाइनेंस कंपनी से लोन लेते है और लोन चुकाने में अगर असमर्थ रहते है तो बैंक एजेंट का गाड़ी जब्त करना गैर कानूनी है. हाई कोर्ट ने बैंक और फाइनेंस कंपनियों के खिलाफ सख्त आदेश दिए है तो आइए जानते है हाई कोर्ट की ओर से आए फैसले के बारें में... 
 
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High Court ने लोन नहीं चुका पाने में असमर्थ लोगों को दी बड़ी राहत, बैंक और फाइनेंस कंपनियों को जारी किए सख्त आदेश

NEWS HINDI TV, DELHI:  पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि अगर कोई व्यक्ति गाड़ी खरीदने के लिए फाइनेंस कंपनी से लोन लेता है और लोन की किस्त समय पर चुकाने में असमर्थ होता है तो फाइनेंस कंपनी (finance company) का वसूली एजेंटों के जरिए गाड़ी को जब्त करना गैरकानूनी है। 

 

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हाई कोर्ट (High Court) ने कहा है कि बहुत सारे मामलों में देखा गया है कि अगर कोई व्यक्ति फाइनेंस कंपनी से लोन पर गाड़ी लेता है और वह उसकी किस्त समय पर नहीं चुका पाता है तो फाइनेंस कंपनी के दबंग जबरन उस व्यक्ति से उसकी गाड़ी को जब्त कर लेते हैं जो कि गलत है और इसीलिए कोर्ट ने अब फाइनेंस कंपनी और बैंकों पर जुर्माना लगाया है। 


 


कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगर किसी बैंक या फाइनेंस कंपनी (finance company) के रिकवरी एजेंट लोन की ईएमआई नहीं चुकाने की स्थिति में जबरन किसी व्यक्ति से गाड़ी जब्त करते हैं तो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और कार्रवाई होनी चाहिए। 

...तो वसूली एजेंटों के खिलाफ दर्ज होगी एफआईआर

 

जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की सिंगल बेंच ने इसी मामले से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि बैंक और फाइनेंस कंपनियों के द्वारा लोन नहीं चुका पाने की स्थिति में उनके रिकवरी एजेंट अब जबरन गाड़ी को जब्त नहीं कर पाएंगे और ऐसे रिकवरी एजेंटों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद जिला में पुलिस अधीक्षक यह सुनिश्चित करेंगे ऐसे दबंग वसूली एजेंटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।  

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19 तारीख को कोर्ट ने सुनाया फैसला 


पटना हाई कोर्ट का यह पहला पूर्ण फैसला 19 तारीख को आया है। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि वसूली एजेंटों के द्वारा जबरन गाड़ी जब्त करना संविधान की जीवन और आजीविका के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।