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HMT की घड़ी लोगो की थी पहली पसंद, जानिए अब क्यों फलोप हुई कंपनी

HMT Watch : क्या आपने कभी एचएमटी की घड़ी देखी या हाथ में बांदी है आज हम आपको HMT की घड़ी के बारे में पूरी डिटेल्स से बताएंगे की यह कंपनी कब बनी कब बर्बाद हुई आइए नीचे खबर में जानते है HMT की घड़ी के बारे में.....

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HMT की घड़ी लोगो की थी पहली पसंद, जानिए अब क्यों फलोप हुई कंपनी

NEWS HINDI TV, DELHI : डिजिटलाइजेशन(digitalization) की वजह से घड़ी की जगह अब मोबाइल फोन ने ले ली है। वहीं, चाबी वाली घड़ियों की जगह अब बाजार में एनालॉग वॉच (analog watch)प्रचलन में आ गई है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बदलते समय के साथ ही घड़ियों का रूप भी काफी बदल चुका है।

घड़ियों का एक दौर ऐसा भी था, जब घड़ी मतलब सिर्फ एचएमटी (HMT)हुआ करता था। 90 के दशक का वह दौर आज भी जिन लोगों को याद होगा, वह जानते होंगे कि कैसे उस जमाने ने एचएमटी(HMT) लोगों की शान बन गई थी।


शादियों के एल्बम में बसी HMT......


वह ऐसा दौर था, जब परीक्षा पास करने पर बच्चों को उपहार में एचएमटी घड़ी दी जाती थी। शादियों में दूल्हे को एचएमटी घड़ी ही देने का रिवाज बन गया था और ऑफिस से रिटायर होने पर स्मृति चिह्न के तौर पर भी एचएमटी घड़ी ही दी जाती थी।

90 के दौर में आम लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुकी एचएमटी अब सिर्फ इतिहास और गुजरा हुआ दौर बन कर रह गई है। उस दौर में इस घड़ी की क्या अहमियत थी, इस बात को बताने के लिए 90 के दशक में हुई शादियों के एल्बम काफी हैं, जहां तस्वीरों में सभी के हाथों में बस एचएमटी घड़ी ही नजर आती थी।


HMT की शुरुआत......


करीब 50 सालों तक लोगों की कलाई में बंधकर शोभा बढ़ाने वाली एचएमटी घड़ी की शुरुआत देश में साल 1961 में हुई थी। एचएमटी (हिंदुस्तान मशीन टूल्स) की स्थापना तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कहने पर की गई थी।

उस दौरान जापान की सिटिजन वॉच कंपनी के साथ मिलकर एचएमटी के उत्पादन की शुरुआत हुई। 1970 और 80 के दौर तक इन घड़ियों का कारोबार चरम पर था।

1970 में ही एचएमटी ने सोना और विजय ब्रांड के नाम के साथ क्वार्ट्ज घड़ियों को बनाना शुरू किया था। इस समय तक इस घड़ी को लेकर लोगों की विश्वसनीयता इस हद तक बढ़ गई थी कि एक बड़ा वर्ग इसका दीवाना बन चुका था।


देश में राज.....


80 के अंत तक बाजार में अन्य प्रतिस्पर्धी कंपनियों ने क्वार्ट्ज घड़ियों को बेचना शुरू कर दिया। उस दौरान एचएमटी को टाटा समूह की टाइटन कंपनी से कड़ी टक्कर मिलने लगी और एचएमटी की घड़ियों को पुराने जमाने की तकनीक कहा जाने लगा।

भारत में 1991 तक हाथ घड़ी के बाजार में एचएमटी का परचम लहराता रहा। कंपनी की टैगलाइन 'देश की धड़कन' ने इसे करीब तीन दशक तक लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रखा। लेकिन 1993 में जब दुनिया के लिए भारतीय बाजारों को खोल दिया गया, तभी से एचएमटी का बुरा समय शुरू हो गया था।


शुरू हुआ बुरा दौर.....


दरअसल, एचएमटी ने हाथ घड़ी की शुरुआत समय देखने के लिए की थी, लेकिन कंपनी को यह समझने में देरी हो गई समय देखने के साथ ही अब लोगों के लिए घड़ी फैशन स्टेटमेंट भी बन गई थी।

यही वजह थी कि समय के साथ एचएमटी घड़ी में कोई बदलाव नहीं आ पाया। जानकारी के अनुसार 1990 तक को सबकुछ ठीक था। लेकिन इसके बाद से ही कंपनी की माली हालत खराब होने लगी थी और यहीं से इसका बुरा समय शुरू हो गया। ऐसे में लगातार घाटे की वजह से आखिरकार सरकार ने इसे बंद करने का फैसला लिया।