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Indian money :क्यों RBI करोड़ो रूपये छाप कर नहीं बनाता देश के नागरिको को अमीर, जानिए क्या है राज़

RBI news : आप सब लोग जानते ही हैं की देश में आने वाला पैसा कहाँ से छप कर आता है, जी हाँ RBI से क्यूंकि एक मात्र रबी के पास ही यह अधिकार है वही निर्धारित करता है की किस समय कितने नोट छापे जायेंगे और लोगों के पास कितने नोट होने चाहिए कितने नहीं इस का भी ख्याल RBI ही रखता है। लेकिन आप ने कभी ये भी तो सोचा होगा की अगर RBI इतने नोट छापता है तो वो वह एक बार में ही नोट क्यों नहीं चाप देता ?

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क्यों RBI करोड़ो रूपये छाप कर नहीं बनाता देश के नागरिको को अमीर

News Hindi TV, New Delhi : जैसे की आप सब जानते ही हैं की पहले सरकार ने साल 2016 में नोटेबंदी (demonetization 2016) की थी , जिसमे सरकार के द्वारा 500 और 1000 के नोटों को बंद कर दिया था और उसके बाद पिछले ही साल सरकार ने 2000 के नोटों को भी बंद कर दिया था | देश में नोट जारी करने और बंद करने का काम सरकार और RBI  (reserve bank of india) करते हैं | अगर नोटों की छपाई को लेकर बात करें तो अक्सर लोग पूछते हैं कि क्यों सरकार अपनी मन मर्जी के मुताबिक नोट छाप सकती है. 

 

अगर आपके मन में भी ये सवाल आता है कि जब सरकार को ही नोट प्रिंट करने हैं तो सरकार ढेर सारे नोट छापकर देशवासियों को करोड़पति क्यों नहीं बना देती? जब सभी करोड़पति हो जाएंगे तो देश से गरीबी अपने आप दूर हो जाएगी. शायद आप ऐसा जरूर सोचते होंगे, लेकिन जब सरकार ढेर सारे नोट छापने लगेगी तो अमीर भी गरीब हो जाएंगे.


अर्थशास्त्री बताते हैं कि कोई भी देश अपनी मर्जी से नोट नहीं छाप सकता है. नोट छापने के लिए नियम कायदे बने हैं. अगर देश में ढेर सारे नोट छपने लगें तो अचानक सभी लोगों के पास काफी ज्यादा पैसा आ जाएगा और उनकी आवश्यकताएं भी बढ़ जाएंगी. इससे महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच जाएगी.


अगर अपनी मर्जी से नोट छापे तो क्या होगा... इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने नियम से ज्यादा नोट छापने की गलती की जिसकी सजा वो आज तक भुगत रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका में स्थित जिम्बाब्वे ने भी एक समय बहुत सारे नोट छापकर ऐसी गलती की थी. इससे वहां की करेंसी की वैल्यू इतनी गिर गई कि लोगों को ब्रेड और अंडे जैसी बुनियादी चीजें खरीदने के लिए भी थैले भर-भरकर नोट दुकान पर ले जाने पड़ते थे. नोट ज्यादा छापने की वजह से वहां एक अमेरिकी डॉलर की वैल्यू 25 मिलियन जिम्बाब्वे डॉलर के बराबर हो गई थी.


इसी तरह का हाल दक्षिणी अमेरिकी देश वेनेजुएला का भी हुआ. वेनेजुएला के केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए ढेर सारे नोट छाप डाले. इससे वहां, महंगाई हर 24 घंटे में बढ़ने लगी यानी खाने-पीने की चीजों के दाम रोजाना डबल हो जाते थे. बाजार में रोजमर्रा के सामान मिलना बंद हो गया. यहां एक लीटर दूध और अंडे खरीदने की खातिर लोगों को लाखों नोट खर्च करने पड़ रहे हैं.

पिछले साल यहां महंगाई बढ़कर 1 करोड़ फीसदी हो चुकी है. तो अब आप समझ ही गए होंगे कि आरबीआई ढेर सारे नोट क्यों नहीं छापती, क्योंकि अगर उसने ऐसा किया तो भारत का हाल भी इन्हीं देशों की तरह हो जाएगा. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकार नहीं चाहेगी कि भारत में ऐसे हालात पैदा हों. यही वजह है कि नोटों की छपाई हर चीज को ध्यान में रखकर की जाती है. आइए आपको बताते नोटों को छापने के नियम क्या हैं...

नोटों की छपाई ऐसे तय होती है 
किसी भी देश में कितने नोट छापने हैं यह उस देश की सरकार, सेंट्रल बैंक, जीडीपी, राजकोषीय घाटा और विकास दर के हिसाब से तय किया जाता है. हमारे देश में रिजर्व बैंक तय करती है कि कब और कितने नोट छापने हैं.

 


एक बार में छपते हैं इतने नोट 
नोटों की छपाई मिनिमम रिजर्व सिस्टम के आधार पर तय की जाती है. यह प्रणाली भारत में 1957 से लागू है. इसके अनुसार RBI  (reserve bank of india) को यह अधिकार है कि वह आरबीआई फंड में कम से कम 200 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति अपने पास हर समय रखे. इतनी संपत्ति रखने के बाद आरबीआई सरकार की सहमति से जरूरत के हिसाब से नोट छाप सकती है.