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हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, 3 साल से छोटे बच्चे को स्कूल भेजना हैं गैर कानूनी

High court decision : हाल ही में एक खबर के मुताबिक पता चला हैं कि हाई कोर्ट ने एक फैसला सुनाया हैं जिसमें बताया है कि तीन साल से कम उम्र के बच्चों को प्री-स्कूल भेजना माता पिता का एक गैरकानूनी कृत्य है। आइए नीचे खबर में जानें पूरी जानकारी -
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हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, 3 साल से छोटे बच्चे को स्कूल भेजना हैं गैर कानूनी 

NEWS HINDI TV, DELHI : न्यू एजुकेशन पॉलिसी (New Education Policy) के तहत सरकार ने बच्चों को स्कूल भेजने की सही उम्र छह साल न‍िर्धारित की है. इससे पहले तीन साल की उन्हें प्रारंभ‍िक श‍िक्षा प्री-स्कूल (pre school) में दी जाएगी. इस नये नियम को चुनौती देने वाली एक याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने सुनवाई करते हुए इससे सहमति जाह‍िर की है. साथ ही पेरेंट्स पर सख्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि तीन साल से कम उम्र में बच्चों को प्री-स्कूल (pre school) भेजना माता पिता का एक गैरकानूनी  है. 

 

 

 

 

 

 

 

 

दरअसल, यह याचिका उन पेरेंट्स ने दाख‍िल की थी जिनके बच्चे 1 जून, 2023 तक छह साल पूरे नहीं कर रहे. लेकिन इन सभी बच्चों ने अपना क‍िंडरगार्टन और नर्सरी (High court decision) का तीन साल पूरा कर दिया है. बच्चों के माता-पिता के एक समूह ने राज्य सरकार की 31 जनवरी, 2020 की अधिसूचना को चुनौती देने की मांग की थी जिसमें शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में कक्षा 1 में प्रवेश के लिए आयु सीमा निर्धारित की गई है. 


पेरेंट्स नहीं कर सकते नरमी की मांग -


Chief Justice Sunita Agarwal और Justice NV Anjaria की खंडपीठ (High court decision) ने अपने हालिया आदेश में कहा कि तीन साल से कम उम्र के बच्चों को प्रीस्कूल जाने के लिए मजबूर करना उन माता-पिता की ओर से एक गैरकानूनी कृत्य है जो हमारे सामने याचिकाकर्ता हैं. इसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता किसी भी तरह की नरमी की मांग नहीं कर सकते क्योंकि वे शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के शिक्षा के अधिकार नियम, 2012 के आदेश का उल्लंघन करने के दोषी हैं. आरटीई नियम, 2012 के नियम 8 (जो प्रीस्कूल में प्रवेश प्रक्रियाओं से संबंधित है) का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि कोई भी प्रीस्कूल (pre school) ऐसे बच्चे को प्रवेश नहीं देगा, जिसने वर्ष के 1 जून तक तीन वर्ष की आयु पूरी नहीं की हो. 


पहले से गुजरात में लागू है ये नियम -

नियम 8 का एक मात्र अवलोकन एक ऐसे बच्चे के प्रीस्कूल (pre school) में प्रवेश पर प्रतिबंध दिखाता है, जिसने शैक्षणिक (High court decision) वर्ष के 1 जून को तीन वर्ष की आयु पूरी नहीं की है. तीन साल की उम्र में प्रारंभिक बचपन की देखभाल और उसको शिक्षा देना एक प्रीस्कूल (pre school) का काम है. कोर्ट ने कहा कि बच्चे को औपचारिक स्कूल में पहली कक्षा में ही प्रवेश लेना होगा. 


जिन बच्चों के माता-पिता ने याचिका दायर की थी, उन्हें तीन साल पूरे होने से पहले प्रीस्कूल (pre school) में प्रवेश दिया गया था. लेकिन कोर्ट ने इस पर अभ‍िभावकों को कोई राहत नहीं दी. साथ ही फैसले में आरटीई नियम, 2012 का भी हवाला दिया गया जिसमें प्रीस्कूल में प्रवेश के लिए निर्धारित न्यूनतम आयु, जिसे 18 फरवरी, 2012 से गुजरात में लागू किया गया है. 

क्या थी पेरेंट्स की दलील -


याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत (High court decision) को बताया कि वे वर्तमान एकेडमिक इयर की कट-ऑफ डेट 1 जून को इसलिए चुनौती देना चाहते हैं क्योंकि इससे राज्य के लगभग नौ लाख बच्चे वर्तमान शैक्षणिक सत्र में शिक्षा के अधिकार से वंचित हो जाएंगे. उन्होंने अदालत से यह निर्देश देने की मांग की कि जिन बच्चों ने प्रीस्कूल में तीन साल पूरे कर लिए हैं, लेकिन 1 जून, 2023 तक छह साल पूरे नहीं किए हैं, उन्हें छूट देकर वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के लिए समायोजित किया जाए. 

इसमें कहा गया है कि आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 2 (सी), 3, 4, 14 और 15 को संयुक्त रूप से पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि छह वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे को औपचारिक स्कूल में शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है.  वहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 ने माना है कि छह साल से कम उम्र के बच्चों को 'प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा' यानी प्री-स्कूल की आवश्यकता है. यही वो उम्र है जो मानसिक विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. 

नई शिक्षा नीति में बच्चों को नर्सरी के लिए तीन साल, लोअर किंडरगार्टन (LKG) के लिए चार साल में एडमिशन दिया जाना चाहिए. वहीं अपर किंडरगार्टन (UKG) के लिए ये उम्र पांच साल है. इसका मतलब है कि बच्चों को छह साल की उम्र में कक्षा 1 में एडमिशन करने से पहले तीन साल का ये बेस पूरा करना होगा