Scotch vs Whiskey Difference : स्कॉच और व्हिस्की में होता है ये अंतर, 90 प्रतिशत लोगो को नहीं हैं इसी सही जानकारी
NEWS HINDI TV, DELHI : व्हिस्की, एक ऐसा शब्द जो पीने के शौकीन लोगों के लिए एक संगीतमय धुन की तरह है। इसका स्वाद भी उतना ही अनोखा होता है. व्हिस्की एक ऐसा पेय है जो पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि व्हिस्की के दो मुख्य प्रकार हैं: स्कॉच और (scotch and whiskey) व्हिस्की?, लेकिन यह भी सच है कि दोनों के बीच कई अंतर हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्कॉच और व्हिस्की में क्या (difference between scotch and whiskey) अंतर है? स्कॉच स्कॉटलैंड में बनाई जाती है, जबकि व्हिस्की दुनिया भर में कहीं भी बनाई जा सकती है।
व्हिस्की (Whiskey) आमतौर पर जौ, मक्का, राई और गेहूं सहित अनाज के मिश्रण से बनाई जाती है। स्कॉच (Scotch) विशेष रूप से माल्टेड जौ से बनाया जाता है। माल्ट सूखे जौ के बीजों को माल्टिंग नामक प्रक्रिया के माध्यम से अंकुरित करने का परिणाम है।
दूसरी ओर स्कॉच खास तौर पर वो व्हिस्की है जो स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन (Scotch Whiskey Association) द्वारा निर्धारित सख्त नियमों के तहत केवल स्कॉटलैंड में बनाई जाती है और इसकी ओक बैरेल में रखने की उम्र कम से कम तीन साल होनी चाहिए। जबकि व्हिस्की की न्यूनतम मैच्योरिटी की उम्र का कोई बंधन नहीं है। स्कॉच को आमतौर पर दो बार डिस्टिल्ड किया जाता है। व्हिस्की को एक बार ही डिस्टिल्ड किया जाता है।
क्या है व्हिस्की?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि व्हिस्की एक आसुत स्पिरिट है. अनाज, पानी और खमीर का मिश्रण आसुत किया जाता है और फिर स्प्रिट को ओक बैरल में कम से कम तीन साल तक रखा जाता है, इस प्रक्रिया को उम्र बढ़ना कहा जाता है। उम्र बढ़ने की प्रक्रिया व्हिस्की को उसका विशिष्ट रंग, सुगंध और स्वाद देती है। इस्तेमाल किए गए अनाज के प्रकार और क्षेत्र के आधार पर जहां इसका उत्पादन होता है, विभिन्न प्रकार की व्हिस्की बनाई जा सकती है। व्हिस्की एक ऐसी लोकप्रिय शराब है, जिसका आनंद, नीट (बिना पानी के), ऑन द रॉक्स या कॉकटेल के जरिए लिया जा सकता है।
स्कॉच और व्हिस्की में मुख्य अंतर?
स्कॉच की माल्टिंग प्रक्रिया (Scotch malting process) के दौरान पीट (एक प्रकार की ज़मीन के नीचे वर्षों से दबी वनस्पति) के उपयोग के कारण उसका स्वाद अधिक स्मोकी हो जाता है। ऐसे कई कारक हैं जो इन दोनों के बीच अंतर पैदा करते हैं। इनमें सामग्री, उत्पादन का तरीका और स्वाद शामिल है। स्कॉच को ओक बैरल में कम से कम तीन साल तक रखा जाता है। जबकि व्हिस्की को किसी भी तरह के बैरल में रखा जा सकता है। स्कॉच का खास स्मोकी स्वाद उत्पादन के दौरान माल्टेड जौ को सुखाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पीट की आग से भी आता है। पीट का इस्तेमाल माल्टिंग प्रोसेस के दौरान किया जाता है, जब जौ अंकुरित होने के बाद सूख जाता है।
व्हिस्की की तुलना में स्कॉच का स्वाद:
स्कॉच का एक विशिष्ट स्वाद होता है जो इसे किसी भी अन्य प्रकार की व्हिस्की से अलग करता है। स्कॉच की खासियतों (Scotch specialties) में से एक है उसका रंग और स्वाद। स्कॉच को ओक बैरल में रखा जाना भी इसके टेस्ट को और रिच करता है। यह जितनी अधिक पुरानी होती है इसका टेस्ट और ज्यादा फाइन हो जाता है। जो पीने के पुराने शौकीन हैं उनको स्कॉच ज्यादा पसंद आती है।
हालांकि पिछले एक दशक से व्हिस्की पीने वालों को जापानी व्हिस्की जैसे हीबिकि और यामाज़ाकी बहुत पसंद आ रही हैं, लेकिन बहुत महंगी होने के कारण आम लोगों की पहुंच से बाहर हो जाती हैं। भारत व्हिस्की के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है और यहां सैकड़ों किस्म की व्हिस्की बनती हैं। जिनमें से कई ब्रांड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवॉर्ड्स मिले हैं।
भारत की पहली सिंगल माल्ट:
लगभग दो दशक पहले, भारत ने पहली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सिंगल माल्ट व्हिस्की - अमृत सिंगल माल्ट बनाकर दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया था। यह अद्भुत काम बेंगलुरु स्थित कंपनी अमृत डिस्टिलरीज लिमिटेड के तत्कालीन चेयरमैन नीलकांत जगदाले और उनके बेटे रक्षित ने किया था। तब से, आधा दर्जन से अधिक शराब उत्पादक कंपनियों ने अपने स्वयं के सिंगल माल्ट व्हिस्की ब्रांड लॉन्च किए हैं - जैसे पॉल जॉन, रामपुर इंडियन सिंगल माल्ट, इंद्री, ज्ञान चंद, गोडावन और पीटर स्कॉट ब्लैक। अगर आप व्हिस्की के शौकीन हैं तो भारत में बनी इन सिंगल माल्ट्स में से कुछ को जरूर ट्राई करिए।