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RBI के द्वारा जारी की गई हैं कुछ नयी गाइडलाइन्स - लोन लेने वाले ग्राहकों को मिली बड़ी राहत

हाल ही में RBI MPC क द्वारा निर्णय लिया गया है, और वो निर्णय क्या है आईये जानते हैं इस खबर में - अब बैंकों को लोन लेने वाले रिटेल और एमएसएमई ग्राहकों को की फैक्ट शीट जारी कर के देनी होगी। इससे बैंकिंग सिस्टम में भी ज्यादा पारदर्शिता आएगी। आईये इसको थोड़ा विस्तार से समझते हैं 

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RBI के द्वारा जारी की गई हैं कुछ नयी गाइडलाइन्स - लोन लेने वाले ग्राहकों को मिली बड़ी राहत

News Hindi TV (नई दिल्ली)। आरबीआई एमपीसी में लोन लेने वाले करोड़ो लोगो के हकों के लिए राहत भरी खबर मिली है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिदास का कहना है कि अब बैंकों को लोन लेने वाले रिटेल और (MSME) ग्राहकों को की फैक्ट शीट (KFS) देनी होगी। इस केएफएस में बैंकों को लोन में लगने वाले चार्जेस को ब्याज दर में ही शामिल करना है। लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए इसे बड़ी राहत की खबर मन जा रहा है। 

 

 

आखिर क्या फायदे हैं इस Key Fact Sheet के 

 

 


ये एक तरह का दस्तावेज़ होता है। लोन लेने वाले व्यक्ति को बैंक द्वारा उसके लोन से जुड़े सभी चार्जेस के बारे में जानकारी दी जाती है। साथ ही इसमें ये भी बताया जाता है कि आपका लोन किस प्रकार का है। इस की फैक्ट शीट लाने का मुख्य उद्देश्य बैंकिंग सिस्टम में ज्यादा प्रारदर्शिता लाना है। क्योंकि ये चीज़ कई बार देखि गयी है कि कुछ बैंक लोन के लिए ग्राहकों से मनमाने चार्जेस वसूलते हैं। 

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ब्याज दर: 

व्याज दर की पूरी जानकरी आपको की फैक्ट शीट में दी जाती है। इसमें लोन पर लगने वाले ब्याज के अलावा, किस्त में देरी होने पर एक्ट्रा ब्याज दर और पेनल्टी पर ब्याज दर के बारे में जानकारी दी गयी होती है। साथ ही इसमें ये भी बताया गया होता है कि आपका लोन (Fixed Interest) दर पर है या (Floating Interest) दर पर है। 


फीस और चार्ज: 

इस शीट में आपको फीस और चार्जेस के बारे में भी पूरी जानकारी मिल जाएगी। जैसे कि लोन प्रोसेस के लिए बैंक आप से कितना चार्ज ले रहा है और अगर रीपेमेंट करते हैं तो कितना चार्ज देना होगा। 

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लोन रिपेमेंट: 

इस की फैक्ट शीट में लोन रीपेमेंट की शर्तों की भी पूरी जानकारी होती है - कि कब आप लोन का रीपेमेंट कर सकते हैं या नहीं और किस समय आपको क्या-क्या चार्जेस देने होंगे। 

विवाद निपटारा: 

लेकिन अगर किसी कारण लोन का भुगतान न करने, किस्त में देरी होने आदि की वजह से बैंक और आपके बीच कोई विवाद हो जाता है तो उसका निपटारा कैसे किया जाये, इसका प्रोसेस भी इस की फैक्ट शीट में पहले से ही दिया जाता है।