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Supreme Court Decisions : कृषि भूमि बेचने के लिए परिवार के इन सदस्यों की सहमती है जरूरी, सुप्रीम कोर्ट ने किया क्लियर

Supreme Court Decisions : प्रोपर्टी से जुड़े झगड़ों के मामले अक्सर कोर्ट में आए रहते हैं। इनका कारण लोगों में प्रोपर्टी के नियमों के बारे में जानकारी का अभाव होना है। लोगों को संपत्ति से जुड़े कानून नही पता होते है जिसके कारण उनके झगडे बढ़ते चले जाते हैं। तो ऐसा ही प्रोपर्टी से जुड़ा मामला ये भी है कि कृषि भूमि बेचने के लिए परिवार के किन सदस्यों की मंजूरी लेना जरूरी होता है। चलिए इस खबर में जानते हैं इस मामले के बारे में पूरी जानकारी.

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Supreme Court Decisions : कृषि भूमि बेचने के लिए परिवार के इन सदस्यों की सहमती है जरूरी, सुप्रीम कोर्ट ने किया क्लियर

News Hindi TV, Delhi : Supreme Court Decisions - सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम( Hindu Succession Act ) की धारा 22 कृषि भूमि पर भी लागू होगी। धारा 22 के अनुसार संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति का बंटवारा( division of property ) होने से पहले यदि उत्तराधिकार में मिली संपत्ति को कोई एक सदस्य बेचना चाहे तो अन्य वारिस उस संपत्ति( Property rights ) को खरीदने का दावा प्राथमिकता पर कर सकते हैं।

अन्य वारिसों की सहमति जरूरी -


यानी संपत्ति को किसी तीसरे व्यक्ति को बेचने से पहले अन्य वारिसों की सहमति जरूरी होगी। इस व्यवस्था से पहले कृषि भूमि( agricultural land ) को हिस्सेदार किसी अन्य खरीदार को दूसरे हिस्सेदार से बिना पूछे बेच सकता था।

कृषि भूमि पर भी लागू होंगे हिंदू सक्सेशन एक्ट के प्रावधान- 


हाईकोर्ट( High court ) की खंडपीठ ने स्पष्ट किया था कि हिंदू सक्सेशन एक्ट के प्रावधान कृषि भूमि से जुड़े विवादों पर भी लागू होंगे। पहले कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ ने दो विरोधाभासी एकल पीठों के निर्णयों पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए यह निर्णय सुनाया था।


इस फैसले के आधार पर न्यायाधीश सीबी बारोवालिया ने 7 मई 2018 को बाबूराम की अपील खारिज करते इस व्यवस्था को उचित ठहराया था। बाबू राम ने सुप्रीमकोर्ट( Supreme Court ) में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।