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Supreme court ने गिरवी रखी प्रॉपर्टी की नीलामी को लेकर सुनाया बड़ा फैसला, जान लें आप भी

Supreme court decision : आपको बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि जो लोग प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर लोन लेते हैं। और बाद में की कारण उस लोन को चुकाने में विफल हो जाते हैं तो लोन देने वाला बैंक या कम्पनी उस प्रॉपर्टी को नीलाम कर देती है। जानिए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना हैं। 
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Supreme court ने गिरवी रखी प्रॉपर्टी की नीलामी को लेकर सुनाया बड़ा फैसला, जान लें आप भी

NEWS HINDI TV, DELHI: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बृहस्पतिवार को अपने फैसले में कहा कि किसी ऋण चूककर्ता को ‘किसी भी समय’ बकाया चुकाकर ऋणदाता वित्तीय संस्थानों द्वारा उसकी गिरवी संपत्ति की नीलामी करने से रोकने की इजाजत नहीं दी जा सकती. शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि कोई कर्जदार गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की वसूली नियंत्रित करने वाले कानून के तहत नीलामी नोटिस के प्रकाशन से पहले वित्तीय संस्थानों का बकाया चुकाने में विफल रहता है, तो वह अपनी गिरवी संपत्ति को छुड़ाने का अनुरोध नहीं कर सकता है.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने नीलामी प्रक्रिया की शुचिता पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘यह अदालतों का कर्तव्य है कि वे पूर्व में हुई नीलामी की शुचिता का संरक्षण करें. अदालतों को नीलामी में हस्तक्षेप करने से गुरेज करना चाहिए, अन्यथा यह नीलामी के मूल उद्देश्य को विफल कर देगा और इसमें जनता के भरोसे एवं भागीदारी को बाधित करेगा.’ शीर्ष अदालत वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्संरचना और सुरक्षा हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (सरफेसी अधिनियम) के एक प्रावधान से निपट रही थी.

जस्टिस पारदीवाला ने 111 पन्नों का लिखा फैसला:

अधिनियम की धारा 13(8) में प्रावधान है कि कोई भी कर्जदार सार्वजनिक नीलामी के लिए नोटिस के प्रकाशन की तारीख से पहले या गिरवी संपत्तियों की पट्टे या बिक्री के माध्यम से हस्तांतरण के लिए निविदा आमंत्रित करने से पहले संपूर्ण देय राशि का भुगतान करके वित्तीय संस्थानों से अपनी गिरवी संपत्ति किसी भी समय वापस मांग सकता है. पीठ की ओर से जस्टिस पारदीवाला ने 111 पन्नों का फैसला लिखा.

उसका अपनी गिरवी संपत्ति छुड़ाने का अधिकार समाप्त हो जाएगा:

उन्होंने इसमें कहा है, ‘हमारा मानना है कि सरफेसी अधिनियम की संशोधित धारा 13(8) के अनुसार, एक बार जब कर्जदार नीलामी नोटिस के प्रकाशन से पहले ऋणदाता को प्रभार और शुल्क के साथ बकाया राशि की पूरी राशि देने में विफल रहता है तो 2002 के नियमों के नियम-आठ के अनुसार समाचार पत्र में नीलामी नोटिस के प्रकाशन की तिथि पर उसका अपनी गिरवी संपत्ति छुड़ाने का अधिकार समाप्त हो जाएगा.’ यह फैसला बम्बई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सेलिर एलएलपी की अपील पर आया. उच्च न्यायालय ने एक अन्य कंपनी बाफना मोटर्स (मुंबई) प्राइवेट लिमिटेड को बैंक को बकाया भुगतान पर अपनी गिरवी रखी संपत्ति छुड़ाने की अनुमति दी थी.