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लोन की EMI नहीं भरने के मामले में Supreme Court ने सुनाया बड़ा फैसला, आपने भी ले रखा है लोन तो जरूर जान लें

Supreme Court Decision : वैसे तो आजकल हर कोई लोन लेता है लेकिन फिर भी कुछ लोग ऐसे है जो लोन तो ले लेते है लेकिन उसके बारे में पूरी जानकारी नही होती । कुछ लोगों को तो ये भी नही पता होता कि अगर आपने बैंक या फाइनेंस कंपनी से लोन (Loan from bank or finance company)ले रखा है और आप उसे वापिस नही करते या फिर लोन की EMI भरने में देरी हो जाती हैं तो ऐसे में आपके खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है। 
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लोन की EMI नहीं भरने के मामले में Supreme Court ने सुनाया बड़ा फैसला, आपने भी ले रखा है लोन तो जरूर जान लें

NEWS HINDI TV, DELHI : अगर आप ने भी किसी कंपनी से लोन ले रखा है तो आपके लिए सबसे जरूरी बात होती है कि इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए। अगर आपने भी कार लोन ले रखा है और अपनी कार की किस्त (Loan EMi) समय पर नही जमा कर रहे तो आपकी कार का मालिक आपका लोन फाइनेंसर होगा। जी हां सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान ये अहम फैसला दिया है। आइए इसके बारे में डिटेल से जानें।

 

 

लोन की किस्तें पूरी न होने पर फाइनेंसर मालिक होगा

 

देश की सर्वोच्च अदालत (country's highest court) ने कहा है कि लोन की किस्तें पूरी होने तक वाहन का मालिक केवल फाइनेंसर (owner of the vehicle is only the financier) ही रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर लोन की किस्तों में डिफॉल्ट होने पर फाइनेंसर वाहन पर कब्जा कर लेता है, तो यह अपराध नहीं माना जाएगा।

 

आखिर क्या है यह मामला?

दरअसल आपको बता दें कि अम्बेडकर नगर के रहने वाले राजेश तिवारी ने साल 2003 में महिंद्रा मार्शल गाड़ी को फाइनेंस पर खरीदा था. इस कार के लिए उन्होंने 1 लाख का डाउनपेमेंट (Downpayment of Rs 1 lakh) किया था और बाकी लोन लिया था. लोन चुकाने के लिए उन्हें हर महीने 12,531 रुपये की किस्त चुकानी थी. राजेश तिवारी ने 7 महीने कार की किस्त भरने के बाद उसने और कोई भी किस्त को नही भरा।. 5 महीने तक फाइनेंसिंग कंपनी ने इंतजार किया, लेकिन फिर भी किस्त जमा नहीं करने पर फाइनेंसर कंपनी ने कार उठवा ली।

कंज्यूमर कोर्ट में पहुंचा यह मामला


जब ग्राहर को इसकी जानकारी मिली तो उसने उपभोक्ता अदालत में केस दर्ज कराया. मामले की सुनवाई करते हुए उपभोक्ता कोर्ट ने फाइनेंसर पर 2 लाख 23 हजार का जुर्माना लगाया था. कोर्ट का कहना था कि फाइनेंसर ने बिना नोटिस दिए ग्राहक की गाड़ी उठवा ली. कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा (court also said decision) कि फाइनेंसर ने ग्राहक को किस्त भरने के लिए पूरा मौका नहीं दिया।


 

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा ये मामला


फाइनेंसर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की (financier appealed to the Supreme Court) . सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने अपने फैसले में कहा कि गाड़ी को खरीदने वाला डिफॉल्टर था, जिसने खुद माना कि वह 7 किस्त ही चुका पाया था. कोर्ट ने कहा कि फाइनेंसर ने 12 महीने के बाद गाड़ी को कब्जे में लिया. सुप्रीम कोर्ट की ओर से राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (National Consumer Commission) के द्वारा लगाया गया जुर्माना रद्द कर दिया. हालांकि, नोटिस नहीं देने के एवज में फाइनेंसर को 15000 रुपये का जुर्माना भरना होगा।