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Supreme Court : शादी के बाद पति-पत्नी का एक दूसरे पर कितना हक, सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला

Supreme Court : अगर आप भी सोचते है कि शादी के बाद तो पति-पत्नी का एक-दूसरे पर पूरा अधिकार हो जाता है तो ऐसा नहीं है आपको बता दें कि इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि पति-पत्नी का एक-दूसरे पर कितना अधिकार होता है। चलिए जानते है इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया है...
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Supreme Court : शादी के बाद पति-पत्नी का एक दूसरे पर कितना हक, सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला

NEWS HINDI TV, DELHI : क्या पति या पत्नी को अपने साथी के आधार कार्ड( AADHAR  CARD ) की जानकारी हासिल करने का अधिकार है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह क्लियर कर दिया कि सिर्फ शादी के आधार पर पति के AADHAR की जानकारी पत्नी एकतरफा हासिल नहीं कर सकती।


कोर्ट ने कहा कि शादी निजता के अधिकार पर असर नहीं डालती है। सिर्फ आधार ही नहीं पिछले दिनों कोर्ट के सामने यह मामला आया कि क्या कोई पति अपनी पत्नी की अनुमति के बिना उसकी फोन कॉल को रिकॉर्ड( call record ) कर सकता है। पति या पत्नी दोनों में से किसी एक की जासूसी पर भी कोर्ट की ओर से फैसला सुनाया जा चुका है। ऐसे में यह भी सवाल है कि किन चीजों में पति-पत्नी एक दूसरे की प्राइवेसी में दखल नहीं दे सकते( Husband and wife cannot interfere in each other's privacy ) हैं।


कर्नाटक हाई कोर्ट ने किस मामले में सुनाया फैसला:


एक महिला अलग हो चुके पति के आधार का नंबर, एनरोलमेंट की जानकारी और फोन नंबर हासिल करना चाहती थी। महिला का कहना था कि उसे पति के ठिकाने की जानकारी नहीं है जिसकी वजह से वह फैमिली कोर्ट( family court ) के आदेश को लागू नहीं करा पा रही है। वह UIDAI यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास भी गई थीं।

25 फरवरी 2021 ने यूआईडीएआई ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया था और कहा कि इसके लिए हाई कोर्ट के आदेश की जरूरत होगी। इसके बाद महिला ने हाई कोर्ट का रुख किया। कर्नाटक हाई कोर्ट( karnataka high court ) ने साफ कर दिया कि शादी निजता के अधिकार पर असर नहीं डाल सकती है। कोर्ट ने कहा कि शादी का हवाला देकर जीवनसाथी के आधार कार्ड की जानकारी एकतरफा हासिल नहीं कर सकती हैं।

पत्नी पर नजर रखने के लिए लगा दिया कैमरा:


कुछ साल पहले महाराष्ट्र के पुणे में पत्नी के पूर्व पति ने उस पर नजर रखने के लिए घर के वॉटर प्यूरीफायर में स्पाई कैमरा लगवा दिया। कैमरा मोबाइल से लिंक था और इसके जरिए पूर्व पति बाहर होते हुए उस पर निगरानी रखता था। मामला सामने आने के बाद महिला ने पूर्व पति के खिलाफ एफआईआर( FIR ) दर्ज करवाई। ये चीजें भी अपराध की श्रेणी में आती हैं।


सुप्रीम कोर्ट निजता के अधिकार( rights of privacy ) को लेकर अपना फैसला सुना चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार कहा था। निजता में किसी पर निगरानी नहीं रखी जा सकती। महिला जब ससुराल भी जाती है तो ससुरालवालों की जिम्मेदारी है कि उसे प्राइवेसी प्रदान करें। किसी के कमरे में बिना उसकी मर्जी के कैमरा लगाना भी राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन माना जाता है। ऐसी स्थिति में आईटी एक्ट के तहत मामला भी दर्ज हो सकता है। निजता में किसी पर निगरानी नहीं रखी जाती।


पत्नी के फोन को रिकॉर्ड करना राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन?


क्या कोई पति अपनी पत्नी की इजाजत के बगैर उसकी फोन कॉल को रिकॉर्ड कर सकता है। पत्नी के फोन को रिकॉर्ड करना राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन है( Recording wife's phone call is a violation of right to privacy )। इस बारे में आखिर कानून क्या कहता है। संविधान में इसको लेकर क्या प्रावधान है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पिछले दिनों इस मामले को लेकर अहम फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने पति-पत्नी से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाया कि किसी की इजाजत के बगैर उसके फोन कॉल को रिकॉर्ड करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

निजता का अधिकार क्या है:


कर्नाटक हाई कोर्ट के इस फैसले के बीच यह जानना जरूरी है कि निजता का अधिकार क्या है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन जीने के अधिकार का हिस्सा है। 2017 में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की पीठ ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार( Fundamental Rights ) कहा था। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार निजता के अधिकार में पारिवारिक जीवन, शादी या कोई साथी चुनने की आजादी, लाइफ को अपने तरीके से जीने की आजादी, बच्चे पैदा करने का फैसला, समलैंगिकता पर किसी व्यक्ति की राय जैसे कई मसले शामिल हैं।