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Supreme Court : इस स्थिति में माता-पिता अपनी औलाद को निकाल सकते हैं घर से बाहर, जानिए कोर्ट का फैसला

Supreme Court Decision : यह तो आपने अक्सर सुना ही होगा की बेटे ने अपने माता-पिता को घर से निकाल दिया। लेकिन क्या आप इस कानून के बारे में जानते हैं। माता-पिता किस स्थिति में अपनी औलाद को घर से निकाल सकते हैं। आज हम आपको इससे जुड़ी पूरी जानकारी देने जा रहे हैं। जानिए विसतर से-
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Supreme Court : इस स्थिति में माता-पिता अपनी औलाद को निकाल सकते हैं घर से बाहर, जानिए कोर्ट का फैसला

NEWS HINDI TV, DELHI: माता-पिता की हर चीज हमें अपनी लगती है. हमारी परवरिश ही इस तरह से होती है. लेकिन, कभी-कभार बच्चों और माता-पिता के रिश्ते में खटास हर सीमा लांघ जाती है. इसके कुछ कारण हो सकते हैं. क्या उस स्थिति में माता-पिता बच्चों को घर से निकलने के लिए कह सकते हैं? आइए, यहां इस सवाल का जवाब जानते हैं.


कब बच्चों को अपने घर से निकाल सकते हैं माता-पिता?

माता-पिता जब तक चाहें बालिग बच्चे उनके साथ घर में रह सकते हैं. 2016 में दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक आदेश सुनाया था. इसमें अदालत ने कहा था कि बेटा केवल माता-पिता की मर्जी से ही उनके घर में रह सकता है. माता-पिता न चाहें तो उसे उनके घर में रहने का कानूनी हक नहीं है. भले ही उसकी शादी हुई हो या न हुई हो.


बच्चे गाली-गलौज करते हैं तो माता-पिता के पास उनसे तुरंत घर खाली करा लेने का अधिकार है. बुजुर्गों से जुड़े कई मामलों में विभिन्न उच्च न्यायालयों ने इस बारे में फैसला सुनाया है. इन्होंने बच्चों के उत्पीड़न से हारकर इन कोर्टों में अपील की थी. घर खाली कराने में बेटे के शादीशुदा होने या न होने से कोई मतलब नहीं है. यही बात बेटी और दामाद के मामले में भी लागू होती है.


 

क्या घर खाली कराने का हक केवल अपनी प्रॉपर्टी के लिए है?

2017 में दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक फैसला सुनाया था. इसमें यह कहा गया था कि जिन बुजुर्गों के बच्चे उनसे खराब व्यवहार करते हैं, वे किसी भी तरह की प्रॉपर्टी से बच्चों को बेदखल कर सकते हैं. केवल अपनी प्रॉपर्टी के लिए ही यह बात लागू नहीं है. यह प्रॉपर्टी उनकी अपनी, पैतृक और यहां तक कि किराए की भी हो सकती है जो उनके कानूनी कब्जे में हो. मेनटिनेंस एंड वेलफेयर आफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजंस एक्ट 2007 में इस बारे में सुधार हुआ है. पहले माता-पिता के पास केवल खुद की प्रॉपर्टी से बच्चों को निकालने का हक था.


क्या निकाले गए बच्चों का प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी हक होता है?

माता-पिता बच्चे को भले अपने घर से निकाल दें, लेकिन उन्हें त्याग देने का कोई प्रावधान नहीं है. अपनी खुद की प्रॉपर्टी के मामले में माता-पिता बच्चे को बेदखल कर सकते हैं. इसके लिए वसीयत से उसका नाम हटाया जा सकता है.


हालांकि, पैतृक संपत्ति (ancestral property) के मामले में माता-पिता के पास कोई नियंत्रण नहीं होता है. कारण है कि जन्म से ही बच्चे का उस पर अधिकार बन जाता है. वे वसीयत में प्रॉपर्टी के मालिकाना हक से बच्चे को नहीं हटा सकते हैं.


इस तरह अगर माता-पिता और बच्चे के संबंध आपस में मधुर नहीं हैं और बच्चे को निकाला जाता है तो कानूनी वारिस होने के नाते वह प्रॉपर्टी को ले सकता है.


बच्चों को निकालने का क्या है तरीका?

बुजुर्ग माता-पिता उपायुक्त या जिला अधिकारी के पास गाली-गलौज करने वाले बच्चों से घर खाली कराने का आवेदन दाखिल कर सकते हैं. दिल्ली में यह आवेदन सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट को दिया जाता है. उन्हें 21 दिनों के भीतर अंतिम आदेशों के साथ अपनी रिपोर्ट को भेजना होता है.


अगर 30 दिनों के भीतर प्रॉपर्टी खाली नहीं की जाती है तो डिप्टी कमिश्नर जबरन उसे खाली करा सकते हैं. हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, सीनियर सिटीजंस मेनटिनेंस ट्रिब्यूनल के पास भी माता-पिता का उत्पीड़न करने वाले बच्चों से प्रॉपर्टी खाली कराने का अधिकार है.