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कब, कितने और कौन छापता है नोट, RBI या सरकार, जान लें खास बातें

RBI News: लोगों के मन में नोट को लेकर बहुत से सवाल होते है जिनके बारे में उन्हें कोई नही बताता है। नोट को लेकर सवाल हैं जैसे नोट कब छापे जाते हैं, कितने छापे जाते हैं, इन्हें कौन छापता है और किसकी इजाजत से छापे जाते हैं। तो आज हम आपको इस खबर में इन सभी सवालों के जवाब बताने वाले हैं.

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कब, कितने और कौन छापता है नोट, RBI या सरकार, जान लें खास बातें

NEWS HINDI TV, DELHI: जब आपके पास पैसे नहीं होते हैं या पैसे की जरूरत होती है तो आपका भी मन करता होगा कि एक पैसे छापने वाली मशीन आ जाए तो पूरी टेंशन खत्म हो जाए। लेकिन, ऐसा तो वो लोग भी नहीं कर सकते, जिनके पास नोट छापने की मशीन( note printing machine ) है। यानी खुद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया( Reserve Bank of India ) या भारत सरकार भी ऐसा नहीं कर सकते। उन्हें भी कई नियमों को ध्यान में रखते हुए नोट की छपाई करनी होती है, जिसके बाद ही बाजार में नोट आ पाते हैं।

ऐसे में जानते हैं कि आखिर नोट किस आधार पर छापे जाते हैं और कब यह पता चलता है कि अब नोट छापने की जरूरत है। साथ ही जानते हैं नोट छपने से जुड़ी खास बातें, जो बहुत कम लोग जानते होंगे…

कौन छापता है नोट?


भारत में नए सिक्के छापने का अधिकार( Right to print new coins in India ) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया( RBI ) के पास है। एक रुपये के छोड़कर सभी नोट आरबीआई छापता है जबकि एक रुपये का नोट भारत सरकार की ओर से छापा जाता है। खास बात ये है कि आरबीआई 10 हजार रुपये तक के नोट छाप सकता है और इससे बड़े नोट छापने के लिए सरकार से इजाजत लेनी होती है।


कितने नोट छापने हैं?


पहले आरबीआई कई मानकों( RBI standards ) को ध्यान में रखते हुए यह पता करता है कि कितने नोट छापने की जरूरत है और फिर इसके लिए सरकार से स्वीकृति ली जाती है। फिर सरकार भी आदेश देने से पहले आरबीआई से इजाजत लेती है और फिर उसके आधार पर अंतिम फैसला लिया जाता है। वैसे आखिरी फैसला सरकार का ही होता है।


कब छापे जाते हैं नोट?


ऐसा नहीं है कि जब भी देश में गरीबी को मिटाना हो तो नए नोट छाप दो और चाहे जब नए नोट छाप दिए जाए। भले ही सरकार के पास नोट छापने का अधिकार होता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि चाहे जब कितने भी नोट छाप दिए जाए। ऐसा करने से अर्थव्यवस्था गड़बड़ा जाएगी। इससे वहां की करेंसी की कीमत काफी ज्यादा कम हो जाती है और महंगाई की रेट भी काफी बढ़ जाती है।

किस आधार पर होती है नए नोट की छपाई?


सरकार और आरबीआई जीडीपी( GDP ), विकास दर, राजकोषीय घाटा आदि के आधार पर तय करते हैं कि आखिर कितनी बढ़ोतरी होनी चाहिए। रिजर्व बैंक साल 1956 से करेंसी नोट छापने के लिए ‘मिनिमम रिजर्व सिस्टम’ के तहत करेंसी की छपाई करता है। इस नियम के मुताबिक, करेंसी नोट प्रिंटिंग( currency note printing ) के विरुद्ध न्यूनतम 200 करोड़ रुपये का रिजर्व हमेशा रखना जरूरी है। इसके बाद ही रिजर्व बैंक करेंसी नोट प्रिंट कर सकता है।

पहला नोट कितने रुपये का-


भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी। मतलब आजादी से पहले देश में रिजर्व बैंक की नींव पड़ चुकी थी। अपनी स्थापना के तीन साल बाद साल 1938 की जनवरी में आरबीआई ने पहली बार 5 रुपये का करेंसी नोट जारी किया था। इस नोट पर ‘किंग जॉर्ज VI’ की तस्वीर प्रिंट हुई थी। मतलब आजादी से 9 साल पहले रिजर्व बैंक ने अपनी पहली करेंसी( Reserve Bank first currency ) जारी की थी। इसके बाद 10 रुपये के नोट, मार्च में 100 रुपये के नोट और जून में 1,000 रुपये और 10,000 रुपये के करेंसी नोट जारी किए थे।