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Rupee Slumps To All Time Low: डॉलर के मुकाबले रुपये का निचला स्तर, जानिए क्या पड़ेगा असर?

US dollar in INR: विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है क‍ि फेडरल रिजर्व के दरों में बढ़ोतरी करने और यूक्रेन में तनाव बढ़ने के कारण निवेशक जोखिम उठाने से बच रहे हैं.
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Rupees

Rupee Vs Dollar: अमेरिका के फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरें बढ़ाने से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है. फेड र‍िजर्व ने आगे भी सख्त रुख बनाए रखने का साफ संकेत द‍िया है. शुक्रवार सुबह रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 25 पैसे और ग‍िरकर 81.09 के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया. यह रुपये का अब तक का सबसे न‍िचला स्‍तर है. इससे पहले गुरुवार को रुपया अमेर‍िकी डॉलर के मुकाबले 80.86 पर बंद हुआ था.

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यूक्रेन में तनाव बढ़ने से निवेशक जोखिम उठाने से बच रहे
रुपये में आ रही ग‍िरावट के बीच विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है क‍ि फेडरल रिजर्व के दरों में बढ़ोतरी करने और यूक्रेन में तनाव बढ़ने के कारण निवेशक जोखिम उठाने से बच रहे हैं. विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती, घरेलू शेयर बाजार में गिरावट और कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी भी रुपये को प्रभावित कर रही है. विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि सारा ध्यान बैंक ऑफ जापान और बैंक ऑफ इंग्लैंड की मौद्रिक नीति पर रहेगा.

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प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में तेजी
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के र‍िसर्च एनाल‍िस्‍ट दिलीप परमार ने कहा, 'फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख और रूस व यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ने से प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में तेजी आई.' परमार ने कहा, 'घरेलू अर्थव्यवस्था में मजबूती आने के बाद भी रुपये में गिरावट का मौजूदा रुख जारी रह सकता है.'

20 साल के उच्चस्तर पर पहुंचा डॉलर
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशी मुद्रा एवं सर्राफा विश्लेषक गौरांग सोमैया ने कहा, 'फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दर में 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बाद रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले नए स्तर तक गिर गया. डॉलर 20 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गया है, क्योंकि फेड ने अपनी आगामी समीक्षा में और बड़ी बढ़ोतरी का संकेत दिया है.'

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आम आदमी पर कैसे पड़ेगा असर?
रुपये के सबसे न‍िचले स्‍तर पर जाने का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा. भारतीय मुद्रा में गिरावट का सबसे ज्यादा असर आयात पर दिखेगा. भारत में आयात होने वाली चीजों के दाम में बढ़ोतरी होगी. देश में 80 प्रत‍िशत कच्चा तेल आयात होता है, यानी इससे भारत को कच्चे तेल के लिए आधिक कीमत चुकानी पड़ेगी और विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च होगी. ऐसे में तेल की कीमतें और बढ़ सकती हैं.