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Ajab Gajab: जिस पुरूष का जितना बड़ा वो उतना ही आकर्षक, शादी से पहले महिलाएं खुद करती है चैक

मॉडर्न लाइफस्टाइल में सबकुछ बदलता जा रहा है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे है जहां महिलाएं पुरूषों का ये अंग देखकर शादी करती है।
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Ajab Gajab: जिस पुरूष का जितना बड़ा वो उतना ही आकर्षक, शादी से पहले महिलाएं खुद करती है चैक

News Hindi TV: दिल्ली, Men With Big Bellies Considered Attractive: कुछ चीज़ें हैं, जिन पर आजकल लोग बहुत ध्यान देते हैं. अगर हम बात करें फिटनेस की, तो आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में लोग इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि उनका शरीर स्वस्थ भी रहे और वो देखने में भी अच्छे लगें. खासतौर पर पेट के आसपास की चर्बी को लेकर उनकी चिंता सबसे ज्यादा रहती है, लेकिन एक ऐसी जगह भी है, जहां पेट पर चढ़ा हुआ मांस देखकर लोग दुखी नहीं बल्कि खुश हो जाते हैं.

मोटापा और बढ़ी हुई तोंद ज्यादातर लोगों के लिए समस्या होती है लेकिन अगर आप अफ्रीका के बोदी ट्राइब के लोगों के बीच पहुंच जाएं, तो यही तोंद उन्हें इज्ज़त दिला सकती है. दक्षिणी इथोपिया में रहने वाले बोदी जनजाति के लोगों में खासकर मर्दों की बढ़ी हुई तोंद को अच्छा माना जाता है. वे इसे बढ़ाने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं, ताकि जब मोटापे की प्रतियोगिता हो, तो वो ही अव्वल आ सकें.

जितनी बड़ी तोंद, उतने आकर्षक माने जाते हैं पुरुष
बोदी जनजाति के लोगों की ज़िंदगी में तोंद का बढ़ना खुशी की बात होती है. इथोपिया की ओमो घाटी में रहने वाले इन लोगों में मर्दों की बड़ी तोंद को प्रभावशाली और खूबसूरत मानाजाता है. वे साल में एक बाद Ka’el नाम का त्यौहार मनाते हैं, जिसमें सबसे मोटे पेट वाले मर्द को सम्मानित किया जाता है और जनजातीय लोगों के बीच उसे हमेशा के लिए इज्ज़त मिलती है. इस प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए मर्द दूध, दही, कच्चा खून और शहद का सेवन करते हैं. 6 महीने तक तैयारी करने के बाद वे इस फेस्टिवल में हिस्सा लेते हैं. हैवी डायट लेने के बाद वे अपने शरीर को प्रतियोगिता में शामिल होने के लायक बनाते हैं.


दूध और खून पीकर बनाते हैं शरीर
ये लोग आमतौर पर अपना शरीर बनाने के लिए गाय का दूध और ताज़ा खून पीते हैं, गाय को इस जनजाति में पवित्र माना जाता है और इनकी भाषा में 80 अलग-अलग नामों से गायों को बुलाया जाता है. ये गाय को मारते नहीं हैं बल्कि एक नस से उसका खून निकालते हैं और फिर इसे मिट्टी से बंद कर देते हैं. वजन बढ़ाने के लिए ये लोग 6 महीने तक कोई काम नहीं करते और अपनी झोपड़ी में पड़े रहते हैं. वैसे तो इस जनजाति के लोग फिट होते हैं लेकिन कॉम्पटीशन के लिए वो अपना वज़न बढ़ा लेते हैं. हालांकि प्रतियोगिता के बाद वे अपना बढ़ा हुआ पेट कुछ हफ्तों में ही घटा लेते हैं.