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Home Loan : नए साल में होम लोन हो सकता है सस्ता, ऐसे कम कर सकते है अपनी ईएमआई

Burden of EMI : आर्थिक स्थिति के चलते अक्सर लोग होम लोन को एक बेहतर विकल्प मानते है। लेकिन उस समय तो स्थिति सुधर जाती है पर बाद में उसी होम लोन की EMI के न भर पाने के कारण इंसान कर्जे में डूबता चला जाता है। इस लोन की EMI के चलते लोगों का वित्तीय बजट गड़बड़ा जाता है। अगर आप भी होम लोन की बढ़ी हुई EMI के बोझ से परेशान है तो यह साल आपके लिए खुशियों का साल होने वाला है, क्योंकि इस वर्ष EMI में कमी देखने को मिल सकती है।
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Home Loan : नए साल में होम लोन हो सकता है सस्ता, ऐसे कम कर सकते है अपनी ईएमआई

NEWS HINDI TV, DELHI : होम लोन लेने वालों के लिए 2022-23 ऐसा साल रहा है, जिस दौरान उनके ऊपर पड़ रहे EMI के बोझ में कोई कमी नहीं आई है. पिछले दो वर्षों में होम लोन की ईएमआई (Home Loan EMI) में आम तौर पर 20% से अधिक की वृद्धि देखी गई है. हालांकि, 2024 नई उम्मीद लेकर आया है और ब्याज दर में 0.5% से 1.25% की कटौती की संभावना है. ऐसे कई कारण है, जो इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि इस बार ब्याज दरों में कटौती (Low interest rates) देखी जा सकती है. आइए उसके बारे में समझने की कोशिश कर रहे हैं.


जानिए क्या है वजह?


बढ़ती ग्लोबल महंगाई के कारण आरबीआई (RBI) ने मई 2022 से फरवरी 2023 तक रेपो रेट में लगातार बढ़ोतरी की हैं. जिसके कारण सभी लोन लेने वालों को अपना ब्याज बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है. हालांकि, तब से महंगाई काफी हद तक कम हो गई है, लेकिन केंद्रीय बैंक ने उसके बाद से ब्याज दर में कोई कमी नहीं की है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि अगली मौद्रिक समिति की बैठक में बैंक यह फैसला ले सकता है.


रेपो रेट में कमी होने से होगा ये असर


केंद्रीय बैंक जब अपने रेपो रेट में बदलाव (change in repo rate) करेगा तो इसका असर ना सिर्फ होम लोन लेने वाले बल्कि कार लोन और दूसरे लोन लेने वाले लोगों पर भी पड़ेगा. रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पास एक पावरफुल टूल होता है जिसे ‘रेपो दर’ (Repo rate) कहा जाता है और यह महंगाई से निपटने का एक अहम तरीका होता है. जब महंगाई बहुत अधिक होती है, तो आरबीआई रेपो दर को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है. जब रेपो दर अधिक होती है, तो बैंकों को आरबीआई से मिलने वाले लोन महंगे हो जाते हैं, जिससे बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं. इससे अर्थव्यवस्था में मनी फ्लो कम होता है. मनी फ्लो कम होने से मांग में कमी आती है और महंगाई कम हो जाती है. इसी तरह, जब अर्थव्यवस्था (economy) मंद होती है, तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने (increase in money flow) की आवश्यकता पड़ती है.