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Income Tax: सीबीडीटी ने जारी किए ये निर्देश, Income Tax का जवाब न देने पर होगी पूरी जांच

Income Tax Notice : टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी खबर। दरअसल अब इनकम टैक्स विभाग के सवालों का जवाब नहीं देने वाले टैक्सपेयर्स के ITR को पूरी जांच के लिए चुना जा सकता है..... सीबीडीटी ने जारी किए निर्देश। 
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Income Tax:  सीबीडीटी ने जारी किए ये निर्देश, Income Tax का जवाब न देने पर होगी पूरी जांच

NEWS HINDI TV, DELHI:  केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के निर्देश पर आयकर विभाग ने इस महीने 16 तारीख से देशभर में टैक्स चोरी, जीएसटी चोरी, फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन जैसे मामलों को रोकने के लिए व्यापक अभियान शुरू किया था. अभियान के दौरान जिन टैक्सपेयर्स के दस्तावेज संदेहास्पद मिले हैं उन्हें सीबीडीटी ने नोटिस भेजा है. वहीं, इंडीविजुअल टैक्सपेयर को भी नोटिस भेजे गए थे, लेकिन जिन लोगों ने अब तक जवाब नहीं दिया है उनके आइटीआर की स्क्रुटनी की जाएगी.

 


केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने नोटिस के बावजूद सवालों के जवाब नहीं देने वाले टैक्सपेयर्स की पूरी जांच के लिए आयकर अधिकारियों को आयकर रिटर्न (ITR) का चयन करने को कहा है. यह दिशानिर्देश चालू वित्त वर्ष यानी 2023-24 के लिए लागू हैं. आयकर विभाग टैक्स चोरी, तलाशी और जब्ती के मामलों में जहां सर्वेक्षण किया गया था और जहां धारा 142 (1) और 148 के तहत आयकर नोटिस भेजे गए थे उनकी जांच के लिए टैक्स रिटर्न की छानबीन करेगा.

 

 


 

आयकर विभाग ऐसे मामलों में आईटीआर की स्क्रुटनी करेगा


- विशिष्ट टैक्स चोरी के मामले में.
- जहां धारा 148 के तहत एक नोटिस जारी किया गया है.
- जहां धारा 142(1) के तहत नोटिस जारी किया गया हो.
- तलाशी और जब्ती के मामले में.
- सर्वेक्षण के मामले में.
- पंजीकरण/अनुमोदन से संबंधित मामले में.
- पहले के एसेसमेंट ईयर में रिकरिंग से जुड़े मामले में.

 


इनकम का गलत डेटा देने वाले समूहों पर नजर-


सीबीडीटी के अनिवार्य चयन के दिशानिर्देश संकेत देते हैं कि आयकर अधिकारी टैक्सपेयर्स के कुछ स्पेसिफिक ग्रुप्स पर नज़र रख रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अपनी आय की सही रिपोर्ट करें. सीबीडीटी ने आदेश दिया है कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में उन क्षेत्रों का विस्तार किया है जहां स्रोत पर टैक्स कटौती (TDS) या स्रोत पर टैक्स कलेक्शन (TCS) अब अनिवार्य हैं. इस डेटा के साथ ही जीएसटी और अन्य एजेंसियों से आने वाली जानकारियों का इस्तेमाल डेटाबेस बनाने में किया जा रहा है.


इसके बाद जानकारी का टैक्स रिटर्न के साथ मिलान किया जाता है ताकि यह आकलन किया जा सके कि इनकम सही तरह से दर्शाई गई है या नहीं.