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बैंक से लोन लेते समय इन बातों का ध्यान रखिये, कोई नहीं देगा आपको इसकी जानकारी

क्या आप जानते हैं आप क लोन लेने पर अजेंर्ट को डबल फ़ायदा होता है क्यूंकि वो कमीशन से पैसा कमाते है। यह कमीशन इंश्‍योरेंस बेचने क बाद और भी बढ़ जाता हैं। ऐसे में होम लोन लेने पर धीरे से सिंगल प्रीमियम टर्म प्‍लान को भी बढ़ा दिया जाता हैं। आइए इस जानकारी के बारे में विस्तार से जानते है। 
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बैंक से लोन लेते समय इन बातों का ध्यान रखिये, कोई नहीं देगा आपको इसकी जानकारी

News Hindi TV (New Delhi) - हर आम व्यक्ति आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर लोन के लिए आवेदन करता है। बैंक इस बात को बखूबी समझती है। लेकिन बैंक के कर्मचारी इस स्थिति का फायदा उठाने की पूरी कोशिश करते है। अब गेंद आपके पाले में है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप उन्‍हें ऐसा करने देते हैं या नही। लेकिन, ऐसा भी तभी किया जा सकता है जब उनकी हर चाल पर आपकी नज़र हो। 

बैंक से आने वाले लोन ऑफर के मैसेज आप को फंसाने का चारा है। यह उन बहुत से तरीकों में से एक है जो ग्राहकों को बनाने के लिए रिलेशनशिप मैनेजर इस्‍तेमाल करते है। बैंक और गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के एजेंट ग्राहकों को झूठे दावों और लुभावने वादों से बार-बार बहलाते फुसलाते है। ऐसे में लोन का मूल्‍यांकन ब्‍याज की घटती दर (Retired Rate of Interest) पर करना चाहिए। 


Reducing Rate Of Interest में लोन की अवधि कम होने पर ईएमआई भी कम होती जाती है। वहीं, फ्लैट रेट में ऐसा नहीं होता है। अलबत्‍ता लोन की पूरी अवधि के दौरान एक तरह की ईएमआई का भुगतान करना पड़ता है। दोनों में पहली व्‍यवस्‍था ग्राहकों के लिए फायदेमंद है। लेकिन, इस बात का जिक्र किसी भी रिलेशनशिप मैनेजर के द्वारा नहीं किया जाता है। 

अगर लोन पांच साल का है तो 8 फीसदी फ्लैट रेट 15.7 फीसदी रिड्यूसिंग रेट के बराबर होता है। लेकिन इस बात को सिर्फ कुछ ही लोग समझते हैं। उन्‍हें कम फ्लैट रेट का झांसा दे कर फसा लिया जाता है। 

लेकिन जो ग्राहक इस बात को समझते हैं, उन्हें भी बैंक स्टाफ के द्वारा दुसरे तरीकों से फसा लिया जाता है। लोन प्रोसेसिंग फीस इनमें सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला तरीका होता है। यह छोटी रकम होती है, अमूमन लोन की रकम का 1-2 फीसदी जिसमें 2,000 से 3,000 रुपये की सीमा होती है। लेकिन, ये चार्ज लोन की प्रभावी दरों को बढ़ा देते हैं। 

लोन की कॉस्‍ट बढ़ने का दूसरा तरीका  

Advance EMI इस्तेमल होने वाला दूसरा तरीका है जिसके जरिये प्रभावी ब्‍याज दर को बढ़ाया जा सकता है। यह आसान सी ट्रिक का इस्तेमाल कर के ग्राहक को मिलने वाले कुल कर्ज को कम कर दिया जाता है। इसके तहत ग्राहक से एडवांस में दो ईएमआई ले ली जाती हैं। 14 फीसदी की दर से दो साल के लिए 5 लाख रुपये के लोन की ईएमआई 24,000 रुपये निकलती है। अगर आप दो ईएमआई अपफ्रंट दे देते हैं तो कुल दिया जाने वाला लोन घटकर 4.52 लाख रुपये रह जाता है। लेकिन आपको 5 लाख रुपये के लिए चार्ज किया जाता है। 

ग्राहक ध्‍यान क्‍यों नहीं देते?


जब लोग लोन लेते हैं तो मंजूर होने वाली रकम को लेकर इस कदर चिंतित हो जाते हैं कि उन्‍हें दो ईएमआई का पेमेंट करना भी मुश्किल नहीं लगत। वे इसकी चिंता भी नहीं करता लेकिन, सच तो यह है कि इन दो ईएमआई के पेमेंट से लोन की प्रभावी ब्‍याज दर 14 फीसदी से बढ़कर 16.6 फीसदी हो जाती है। अगर ग्राहक सवाल करते हैं तो उसका ध्‍यान भटका दिया जाता है यह कहकर कि फॉर्म में कमी थी, कुछ और डॉक्‍यूमेंट की जरूरत है। 

एप्‍लीकेशन पर हस्‍ताक्षर करने पर होता है पूरा फोकस


ये एक मात्रा वजह है कि लोन के एप्‍लीकेशन प्रोसेस को तेजी से ख़तम किया जाता है। लोगों को लोन डॉक्‍यूमेंट में दी गयी जानकारी को न पढ़ने का समय दिया जाता है न समझने का। नियम और शर्तें तो वैसे भी इतने बारीक फॉन्‍ट में लिखे जाते हैं कि ग्राहक पढ़ ही न पाए। कुल मिलाकर लोन एप्‍लीकेशन पर हस्‍ताक्षर करा लेना ही इनका मंतव्य होता है। 


इंश्‍योरेंस के नाम पर झूठ


आप लोगो के लोन लेने से एजेंट कमीशन में भी कमाते हैं। यह Commision Insurance बेचकर और बढ़ जाता है। ऐसे में होम लोन के साथ धीरे से Single Premium Term Plan भी बढ़ा दिया जाता है। यह पॉलिसी लोन लेने वाले को कवर करती है और कुछ हो जाने की स्थिति में उसके लोन का भुगतान करती है। देय प्रीमियम को लोन की राशि में जोड़ दिया जाता है ताकि ग्राहक को उसे अपनी जेब से नहीं देना पड़े।

होम लोन के साथ इंश्‍योरेंस की बिक्री पूरी तरह से गैर-कानूनी मानी जाती है। बेशक आरबीआई बैंक को अपने हितों की सुरक्षा करने की अनुमति देता है। इसके लिए एसेट और कर्जदार को बीमित करने पर भी जोर दिया जाता है। लेकिन, आप इस इन्शुरन्स को कहीं से भी खरीद सकते हैं। बैंक इस बात के लिए जोर नहीं दे सकता है कि इंश्‍योरेंस उसी से खरीदा जाए। इस नियम के बारे में ग्राहक को कभी नहीं बताया जाता है। 

अगर ग्राहक को महंगी खरीद करने के लिए मान जाता है तो कमीशन बढ़ जाते हैं। कार लोन इत्‍याद‍ि में अक्‍सर ऐसा किया जाता है। कार के साथ रोडसाइड एसिस्‍टेंस कवर देने की बात की जाती है। कई एड-ऑन फीचर देने का वादा सिर्फ मौखिक रूप से कर दिया जाता है।  इन्‍हें कभी भी पेपर पर नहीं दिया जाता है।