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Bank FD कराने से पहले जान लें ये 5 बड़ी बातें ,नहीं तो झेलना पड़ेगा भारी नुकसान

Disadvantages of making fixed deposit - सुरक्षित और एक तय रिटर्न मिलने के कारण फिक्स्ड डिपॉजिट यानी FD को निवेश का एक अच्छा साधन माना जाता है, लेकिन FD में बिना सोचे-समझे निवेश करना भी ठीक नहीं है। FD कराते समय इसकी अवधि और FD तुड़वाने पर लगने वाली पेनल्टी सहित कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। हम आज आपको ऐसी ही 6 बातों के बारे में बता रहे हैं.

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Bank FD कराने से पहले जान लें ये 5 बड़ी बातें ,नहीं तो झेलना पड़ेगा भारी नुकसान

NEWS HINDI TV, DELHI : 'निवेश' एक ऐसा शब्द जिसके सुनाई देने के बाद दिमाग में सिर्फ एक ही नाम आता है और वो है FD, यानि Fixed Deposit। आमतौर पर लोग इसमें पैसा इन्वेस्ट भी करते हैं, लेकिन उन्हें इससे होने वाले नुकसान के बारे में कोई अंदाजा नहीं होता है। आज हम आपको FD निवेश के पांच बड़े नुकसान के बारे में बताने वाले हैं।

1. ब्याज पर देना होता है टैक्स

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FD पर मिलने वाले ब्याज को आप अपने अकाउंट में सीधे नहीं क्रेडिट करा सकते हैं। प्राप्त ब्याज पर पूरी तरह से टैक्स वसूला जाता है। जब आप अपना आईटीआर फाइल करते हैं तो एफडी से मिलने वाले ब्याज को एक इनकम के तौर पर काउंट किया जाता है और सरकार इसपर आपसे टैक्स लेती है।

2. टीडीएस पर टैक्स


एफडी से मिलने वाले ब्याज पर भी टीडीएस लगता है। बैंक इसे प्रत्येक वर्ष के अंत में अर्जित ब्याज से घटाते हैं। हालांकि, जमाकर्ता के पास टीडीएस से बाहर निकलने और परिपक्वता पर सभी ब्याज का भुगतान करने का विकल्प होता है। फॉर्म 26एएस, जमाकर्ता के पैन कार्ड से जुड़ा हुआ है और एफडी के लिए किए गए सभी टीडीएस कटौतियों को दिखाता है।

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ध्यान दें कि अगर एफडी जमाकर्ता की सालाना आय 2.5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो एफडी के ब्याज से कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बैंक आपकी कम आय के बारे में जानता है, संबंधित बैंक शाखा में फॉर्म 15जी और फ्रॉम 15एच जमा करें।

3. कम ब्याज दर

जबकि एफडी आपको 10% की अधिकतम ब्याज दर की पेशकश कर सकता है। कई बार इतना ब्याज भी नहीं मिलता है, जबकि म्यूचुअल फंड सहित अन्य निवेश के रास्ते रिटर्न की पेशकश करते हैं जो 20% या 30% से अधिक हो सकते हैं। लेकिन म्युचुअल फंड (एमएफ) के साथ एक समस्या ये है कि ये अधिक जोखिम से जुड़े हुए हैं, जो अधिक जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं, वे म्युचुअल फंड में निवेश करके अधिक लाभ कमा सकते हैं।

4. ब्याज दर महंगाई से कम हो सकती है

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कभी-कभी महंगाई दर एफडी की ब्याज दर से भी अधिक हो सकती है। इतना ही नहीं अगर आप तय सीमा से पहले अपनी राशि बैंक से निकालते हैं तो एक पैसा भी आपको जमा राशि से अधिक बैंक के तरफ से नहीं दी जाती है।

5. ब्याज दर में कोई वृद्धि नहीं


एफडी में पूरे कार्यकाल में एक समान ब्याज मिलता है, यानि आपको बैंक ने जितना पर्सेंट देने का वादा किया है उससे एक भी रुपया अधिक नहीं देती है। 

एफडी पहले केवल छोटी अवधि की बचत के लिए अच्छी थी, लेकिन अब उनकी अवधि अधिक है। जबकि टैक्स-मुक्त विकल्प के लिए उसे नहीं काउंट किया जा सकता है। लेकिन पीपीएफ में निवेश टैक्स के दायरे से बाहर आता है।