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Property Knowledge: प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जान ले ये बातें, रेजिस्टरी और पट्टा में क्या हैं अंतर

Difference between lease and registry: ज़मीन का पट्टा अलग-अलग तरह का होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस ज़मीन का मालिकाना हक या तो राज्य सरकार के पास होता है या फिर केंद्र सरकार के पास होता है, यह पट्टा एक सीमा तय करने के लिए होता है।  इसलिए जब भी आप जमीन खरीदने का मन बनाये तो सबसे पहले पट्टा और रजिस्ट्री के बारे में अछि तरह से जान लीजियेगा। आईये इस के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

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Property Knowledge: प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जान ले ये बातें, रेजिस्टरी और पट्टा में क्या हैं अंतर 

News Hindi TV (नई दिल्ली)।  पट्टा और रजिस्ट्री ये दोनों ही शब्द आपने कई बार सुने होंगे. लेकिन इसके बारे में सही और पुख्ता जानकारी बहुत ही कम लोगों को होती है. जानकारी के अभाव लोग ऐसी जमीन खरीद लेते हैं कि बाद में केवल पछताना ही हाथ में रहता है. इसलिए किसी भी घर, मकान, दुकान या जमीन को खरीदने से पहले इसकी पूरी जानकारी लेना जरूरी है.

कोई भी जमीन खरीदने से पहले लोग अच्छे से जांच-परख कर लेना चाहते हैं. यह काफी महंगा और लंबे समय का सौदा होता है इसलिए लोग नहीं चाहते हैं कि यहां कोई गलती हो. आपको बता दें कि जमीन 3 तरह के दस्तावेज वाली होती है जिसमें पट्टे की जमीन को लेकर संशय हमेशा बना रहता है. बाकी 2 जमीनें रजिस्ट्री और नोटरी वाली होती हैं जिन्हें खरीदने में उतना डर या संशय नहीं रहता है. आज हम इन तीनों के बारे में आपको विस्तार से बताएंगे और जानेंगे कि क्या पट्टे वाली जमीन खरीदना सही है या नहीं.

जो लोग जमीन खरीदने और बेचने का काम करते हैं, वे जानते हैं कि पट्टे वाली जमीन क्या होती है. या फिर उन लोगों को मामूल होता है, जिन्हें पट्टे पर जमीन मिली होती है. पट्टे वाली जमीन (leased land) का कोई मालिक नहीं होगा. मालिक सरकार होती है. परंतु जिसे पट्टे पर जमीन मिली होती है, वह उसे अपने तरीके से इस्तेमाल जरूर कर सकता है.

पट्टे वाली जमीन का मालिक कौन?


बता दें कि सरकार द्वारा नई-नई योजना के अनुसार लोगों को पट्टा दिया जाता है. सरकार द्वारा दिए गए पट्टे के तहत भूमिहीन परिवारों की थोड़ी सहायता प्रदान की जाती है. पट्टे वाले जमीन पर किसी व्यक्ति विशेष का कोई अधिकार नहीं होता. अत: इस पर केवल सरकार का अधिकार होता है. सरकार किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए ये जमीन गरीब परिवारों को पट्टे पर देती है, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं होता कि जमीन का मालिक वो व्यक्ति होता है.

पट्टे वाली संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को ना ही बेच जा सकता है और ना ही ट्रांसफर किया जा सकता है. इसमें यह सुविधा नहीं दी जाती. इसके अंतर्गत यह सुविधा व्यक्ति को पट्टे के प्रकार पर निर्भर करती है. इसके अंतर्गत व्यक्ति को तय समय सीमा के अनुसार फिर से उसे निर्धारित प्रक्रिया के साथ पटा लेना पड़ता है यहां पर उसका नवीनीकरण करवाना पड़ता है. सरकार द्वारा तय मापदंडों एवं शर्तों के अनुसार पट्टा स्थानीय निकाय द्वारा जारी किया जाता है. पट्टा सरकार द्वारा तय नियमों के अलग-अलग प्रकार पर निर्भर करता है. पट्टे कई प्रकार के होते हैं, जिसकी अवधि सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार होती है.


रजिस्ट्री वाली संपत्ति


रजिस्ट्री होने पर क्रेता को अपनी संपत्ति ट्रांसफर या फिर बेचने का अधिकार मिलता है. रजिस्ट्री में विक्रेता और खरीददार दोनों लोगों को शामिल किया जाता है. इसके साथ ही रजिस्ट्री में गवाह की भी आवश्यकता होती है. रजिस्ट्री होने पर मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी खरीदार की होती है. रजिस्ट्री होने के बाद क्रेता हमेशा के लिए उस जमीन का मालिक बन जाता है. किसी अन्य व्यक्ति का उस पर किसी तरह का कोई हक नहीं होता.