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Property Tax : घर की रजिस्ट्री हैं अगर पत्नी के नाम, तो जानिए टैक्स किसे देना होगा टैक्स

Property Income: महिलाओं को सक्षम बनाने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही. इसलिए प्रॉपर्टी टैक्स में छूट और वित्तीय लाभ के कुछ खास इंतजाम किए हैं. आपको बता दें, चाहें पति द्वारा पत्नी के नाम से संपत्ति क्यों न खरीदी गई हो फिर भी वह संपत्ति पारिवारिक (family Property) ही कहलाएगी। कई स्थतियों में संपत्ति में पति और पत्नी दोनों की हिस्सेदारी होती है। लेकिन क्या आपको पता है ऐसी स्थति में प्रॉपर्टी टैक्स (property tax) किस को भरना होगा ? आइए नीचे खबर में टैक्स की हिस्सेदारी (Property tax divison) के बारे में विस्तार से जानते है-

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Property Tax : घर की रजिस्ट्री हैं अगर पत्नी के नाम, तो जानिए टैक्स किसे देना होगा टैक्स

News Hindi TV, New Delhi : अगर आपने कोई प्रॉपर्टी खरीदी है और इसमें आपकी पत्नी का नाम भी शामिल है तो दोनों की होल्डिंग (proprty holding) का खुलासा करना जरूरी होता है। दरसल, दिल्ली ब्रांच ऑफ द इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) की दिल्ली पीठ ने माना है कि, अगर हाउस प्रॉपटी में रजिस्टर्ड (Registered property) सेल्स डीड में पति और पत्नी की होल्डिंग की सीमा का उल्लेख नहीं किया गया है तो दोनों को प्रॉपर्टी (Same Property divison) में समान हिस्सेदारी के रूप में माना जाएगा। 


 

 

 

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दिल्ली ब्रांच ऑफ द इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल ने एक मामले में यह बात कही है। दरअसल आईटीएटी ने शिवानी मदान (टैक्सपेयर्स) के मामले में यह फैसला सुनाया है। ITAT ने वित्तीय वर्ष 2014-15 (मुकदमे से संबंधित वर्ष) के दौरान उसके हाथों में 9.8 लाख रुपये के टैक्सेशन (property taxation) को बरकरार रखा है। असल में यह प्रॉपर्टी खाली थी। ऐसे में इनकम टैक्स (Income Tax Law) अधिनियम के प्रावधानों के तहत गणना किए गए नोटिओनल रेंट के अनुसार पति और पत्नी दोनों की प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी 50 फीसदी मानी जाएगी और दोनों को इसी हिसाब से टैक्स देना होगा।


 

 

क्या था पूरा मामला

साल 2011 में एक बिजनस ग्रुप और उसके बाद टैक्सपेयर्स (taxpayers) पर की गई तलाशी में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income tax department) को पति के साथ ज्वाइंट ऑनरशिप (property joint ownership)  में 3.5 करोड़ रुपये में एक घर की प्रॉपर्टी खरीदने का पता चला। इसके बाद यह सवाल उठने लगे कि इस तरह की हाऊस प्रॉपर्टी से होने वाली इनकम का उसके आईटी-रिटर्न में खुलासा क्यों नहीं किया गया है। शिवानी मदन ने प्रॉपर्टी में केवल 20 लाख रुपये का निवेश किया था, जो प्रॉपर्टी के खरीद मूल्य का लगभग 5.4% है। 

आईटी के नोटिस के जवाब में उसने हाऊस प्रॉपर्टी (house property) से हो रही इनकम में अपने शेयर रेशियो का खुलासा किया। अपील के विभिन्न चरणों में इस एप्रोच को रिजेक्ट कर दिया गया था। इसके बाद मुकदमेबाजी द दिल्ली ब्रांच ऑफ द इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) पहुंची। आईटीएटी में पति ने इस बात को रखा कि बिक्री विलेख यानी सेल डीड में पत्नी का नाम शामिल करने की प्रथा रही है। इस तरह से पत्नी के हिस्से में हाऊस टैक्स का 50 फीसदी टैक्स लगाया जाना ठीक नहीं है। इस तर्क को मजबूत करने के लिए विभिन्न न्यायिक फैसलों का भी हवाला दिया गया।

 

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आईटीएटी ने खारिज की सबमिशन

हालांकि, इस मामले के तथ्यों के आधार पर, ITAT ने इन सबमिशन को खारिज कर दिया। उदाहरण के लिए, टैक्स ट्रिब्यूनल बेंच ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय (high Court) ने कहा था कि संपत्ति से होने वाली आय पर केवल पति के नाम पर कर लगाया जाना चाहिए, क्योंकि पत्नी एक हाऊस वाइफ थी। पत्नी की इनकम का कोई सोर्स नहीं (income source) था और पूरा निवेश उसके द्वारा किया गया था। जबकि मदन के मामले में, वह एक वेतनभोगी थी। 


असल में मदन उस बिजनस ग्रुप के साथ काम कर रही थी जिसकी तलाशी ली गई थी। टैक्स एक्सपर्ट बताते हैं कि हाउस प्रॉपर्टी में पत्नी का नाम जोड़ा जाना काफी आम बात है। हालांकि प्रॉपर्टी के बिल्डर और सेलर को सभी सह-मालिक की ओर से किए गए सटीक होल्डिंग का दस्तावेज़ीकरण, बैंक खातों का विवरण जिससे भुगतान किया गया है, पिछले कर रिटर्न आदि की जानकारी रखनी चाहिए। ये सभी इस तरह की मुकदमेबाजी के मामले में काम आएंगे।