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RBI guidelines : अब लोन वसूली के नाम पर बैंक की नहीं चलेगी दादागीरी, जान लें RBI के ये नियम

rbi guidelines for loan recovery : आपको बता दें कि आरबीआई ने लोन रिकवरी से जुड़े कुछ नियमों के बारे में बताया हैं। अगर कोई बैंक या उसके एजेंट्स इन नियमों का पालन न करें, तो ग्राहक इसकी शिकायत पुलिस या RBI से कर सकता है। जानिए इन नियमों के बारे में पूरी जानकारी...
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RBI guidelines : अब लोन वसूली के नाम पर बैंक की नहीं चलेगी दादागीरी, जान लें RBI के ये नियम

NEWS HINDI TV, DELHI: भारतीय रिजर्व बैंक (reserve Bank of India) ने गुरुवार को सभी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं द्वारा कर्ज देने के नियमों में बदलाव किया है। इसके तहत अब बैंकों को कर्ज की कुल ब्याज दर और अन्य जरूरी शर्तों का पूरा मुख्य विवरण (KFS) प्रदान करना अनिवार्य होगा। इस विवरण में कर्ज देते समय लगने वाले अन्य शुल्कों को भी ब्याज दर में ही शामिल करना होगा। इससे बैंक मनमाने शुल्क नहीं वसूल पाएंगे बैंकिंग प्रणाली में ज्यादा पारदर्शिता आएगी।

कई बार देखा गया है कि कुछ बैंक कर्ज (bank news) के लिए ग्राहकों से मनमाने शुल्क वसूलते हैं। मुख्य विवरण में बैंक द्वारा लोन लेने वाले व्यक्ति को उससे जुड़े सभी शुल्कों के बारे में बताया जाएगा। साथ ही इसमें कर्ज का प्रकार, ब्याज दर-फिक्स या फ्लोटिंग, शुल्क, भुगतान का तरीका, समय पूर्व भुगतान का शुल्क, विलंब शुल्क, विवाद निपटान फीस इत्यादि का उल्लेख होगा। यह ऐसा कदम है, जिससे लोन लेने वाले ग्राहकों और छोटे उद्यमों को उससे जुड़ी समस्य प्रक्रिया को समझने में आसानी होगी।

हाल ही में RBI (reserve Bank of India) ने देश की अर्थव्यवस्था को और भी सुचारु बनाने के लिए और आम लोगों को फायदा देने के लिए एक बड़े बैठ  की जिसमे कुछ बेहद खास निर्णय लिए गए हैं | 

बैठक में लिए गए फैसले:

वृद्धि दर सात प्रतिशत रहेगी। आरबीआई ने अगले वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो चालू वित्त वर्ष के 7.3 प्रतिशत के अनुमान से कम है। ग्रामीण मांग में तेजी जारी है, शहरी खपत मजबूत बनी हुई है और पूंजीगत व्यय में वृद्धि के कारण निवेश चक्र रफ्तार पकड़ रहा है।


मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान:

अगले वित्त वर्ष 2024-25 में मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो चालू वित्त वर्ष 2023-24 के 5.4 प्रतिशत के अनुमान की तुलना में कम है। घरेलू आर्थिक गतिविधियां अच्छी हैं। निवेश की मांग में तेजी, आशावादी व्यापारिक भावनाओं तथा बढ़ते उपभोक्ता विश्वास से इसको समर्थन मिलेगा।

ई-रुपये का ऑफलाइन लेनदेन शुरू होगा:

इसी के साथ आरबीआई ने केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) पायलट परियोजना में 'ऑफलाइन' लेनदेन की शुरुआत करने घोषणा की। इसका मतलब है कि डिजिटल रुपये के ग्राहक सीमित इंटरनेट कनेक्शन वाले क्षेत्रों में भी लेनदेन कर सकेंगे। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, पहाड़ी क्षेत्रों, ग्रामीण और शहरी स्थानों पर इसका परीक्षण किया जाएगा। गौरतलब है कि आरबीआई ने दिसंबर, 2022 में खुदरा सीबीडीसी की प्रायोगिक शुरुआत की थी। इसने दिसंबर, 2023 में एक दिन में 10 लाख लेनदेन का लक्ष्य हासिल कर लिया था।

लगातार छठीं बार नहीं बढ़ी रेपो दर:

रेपो दर महंगाई को थमाने का प्रमुख औजार है। जब खुदरा महंगाई तेजी से बढ़ती है तो आरबीआई रेपो रेट बढ़ा कर बैंक कर्ज को महंगा कर देता है। इससे अर्थव्यवस्था में मांग घटती है। 

आम आदमी  को मिलेगी राहत:

अगर RBI (reserve Bank of India) इस बार भी रेपो दर में बदलाव नहीं करता तो आम लोगों को राहत मिलेगी क्योंकि लोन पर दिया जाने वाला ब्याज़ नहीं  बढ़ेगा और आम लोगों को राहत की साँस आएगी | ब्याज कम होने के चलते ज्यादा से ज्यादा लोग बैंक से लोन लेंगे |