RBI ने लिया बड़ा फैसला, EMI वालों को लगा झटका या मिली राहत, जानिएं
RBI News : हाल ही में RBI ने एक बड़ा फैसला लिया है जिसमें रेपो रेट में एक बार फिर कोई बदलाव नहीं किया गया है रेपो रेट अब भी 6.50 फीसदी ही रहेगा.
NEWS HINDI TV, DELHI : आरबीआई ने रेपो रेट में एक बार फिर कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट अब भी 6.50 फीसदी बना रहेगा. आखिरी बार रेपो रेट में बदलाव फरवरी में किया गया था. जब रेपो रेट को 6.25 से बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया गया था.
रेपो रेट में बदलाव नहीं किया जाना दिखाता है कि आरबीआई अभी महंगाई के स्तर को लेकर संतोषजनक स्थिति में दिख रहा है. यह लगातार चौथी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है.
एमपीसी बैठक में रेपो रेट न बढ़ाने का फैसला 5-1 के मत से लिया गया. एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों को बताते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोर कोर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में गिरावट एक अच्छा सकेंत है.
नहीं महंगा होगा लोन-
रेपो रेट में बदलाव न होने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कोई बदलाव नहीं होगा.
इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को भी 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा है. चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को भी 5.4 प्रतिशत पर कायम रखा गया है.
क्या होती है रेपो रेट?
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने परिस्थितियों पर गौर करने के बाद आम सहमति से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया.’’
रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है. साथ ही एमपीसी ने उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है.
अभी संतोष करने की नहीं जरूरत-
दास ने कहा कि भारत दुनिया के लिये आर्थिक वृद्धि का इंजन बना हुआ है, लेकिन अभी संतुष्ट होने की गुंजाइश नहीं है. एमपीसी मुद्रास्फीति को लेकर जरूरत के अनुसार कदम उठाएगी.
आरबीआई ने अगस्त, जून और अप्रैल की पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में भी रेपो दर में बदलाव नहीं किया था. इससे पहले, मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी.