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Gold loan को लेकर आरबीआई की सख्ती, बैंकों से मांगी यह जानकारी

RBI news : आपको बता दें कि हाल ही में आरबीआई (RBI) ने बैंकों से गोल्ड लोन फ्रॉड मामले को लेकर सख्ती दिखाई हैं। और इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों से यह अहम जानकारी भी मांगी हैं। अगर आपने भी किसी बैंक से गोल्ड लोन (Gold loan) लिया हुआ हैं। या लेने का विचार कर रहे हैं। तो जान लें इससे जुड़ी पूरी जानकारी...
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Gold loan को लेकर आरबीआई की सख्ती, बैंकों से मांगी यह जानकारी

NEWS HINDI TV, DELHI: पेटीएम और IIFL पर एक्शन के बाद रिजर्व बैंक का रवैया और भी सख्त हो गया है. RBI ने गोल्ड लोन के मामले में फ्रॉड (Gold loan fraud cases) पर अपना रुख सख्त किया है. इसके लिए रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों से गोल्ड लोन फ्रॉड मामले (Gold loan fraud cases) में जरूरी जानकारियां देने के लिए कहा है. बता दें, गोल्ड लोन (gold loan) आसानी से मिलने वाला लोन है, ऐसे में कई लोग इसका रिपेमेंट नहीं करते हैं, जिस कारण बैंक को नुकसान होता है.

अब इन्हीं गोल्ड लोन फ्रॉड मामले (Gold loan fraud cases) को लेकर RBI ने बैंकों को रिपोर्ट किए गए फ्रॉड, पोर्टफोलियो में डिफॉल्ट और पैसे रिकवर करने के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी देने के लिए कहा है.

क्यों हो रहे हैं गोल्ड लोन फ्रॉड के मामले?

बता दें, आरबीआई को इस बात की आशंका है कि गोल्ड लोन (gold loan) के मामले में बैंकों के कर्मचारी सिस्टम के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं. इस तरह के कुछ मामले पहले ही सामने आ चुके हैं. हाल ही में दो सरकारी बैंकों से जुड़े ऐसे मामले सामने आए थे, जिनमें बैंक के कर्मचारियों ने गोल्ड लोन (gold loan) का टारगेट पूरा करने के लिए सिस्टम के साथ छेड़छाड़ किया. रिजर्व बैंक ने दोनों मामलों को ध्यान में रखते हुए बैंकों से डेटा मंगाया है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक ने गोल्ड लोन (gold loan) से जुड़ी जानकारियां मंगाने के अलावा बैंकों को अन्य हिदायतें भी दी है. बैंकों को लोन देने की अपनी प्रक्रिया की समीक्षा करने के लिए भी कहा गया है, ताकि ये पता चल सके कि बैंकों की कर्ज देने की प्रक्रियाएं रिजर्व बैंक के द्वारा तय किए मापदंडों के अनुकूल हैं या नहीं.

क्यों मंगाया डाटा?

रिपोर्ट में एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि रिजर्व बैंक खुद से भी गोल्ड लोन डेटा को एक्सेस कर सकता है. 5 करोड़ रुपये से ऊपर के लोन के डेटा सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ इन्फॉर्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट से मिल जाएंगे, जबकि छोटे लोन की जानकारियां सिबिल जैसे क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो प्रोवाइड (Credit Information Bureau Provide) कर सकते हैं. हालांकि उसके बाद भी रिजर्व बैंक ने बैंकों को डेटा देने के लिए कहा है, क्योंकि वह बड़े कर्ज की सेंट्रल रिपॉजिटरी या सिबिल में कैप्चर नहीं हो पाने कर्ज में फ्रॉड की प्रकृति जानना चाहता है.

कैसे किए गए फ्रॉड?

अभी कुछ बैंकों में गोल्ड लोन फ्रॉड के मामले (Gold loan fraud cases) को लेकर रिजर्व बैंक को व्हिसलब्लोअर से सूचनाएं मिली थीं. उन मामलों में बताया गया है कि बैंकों के कर्मचारियों ने कुछ दोस्ताना ग्राहकों के साथ सांठगांठ की और उन्हें बिना कोलैटरल के गोल्ड लोन दे दिया. यानी बिना सोना गिरवी रखे ही लोगों को गोल्ड लोन (gold loan) दे दिए गए. कुछ समय बाद ग्राहकों से पूरा पेमेंट करा लिया गया. इन मामलों में कर्मचारियों ने लोन की प्रोसेसिंग फीस (Loan Processing Fee) का भुगतान बैंक के ही एक्सपेंस अकाउंट से कर दिया, जबकि सिस्टम को मैनिपुलेट कर ब्याज के भुगतान में गड़बड़ी की गई. इस तरह बैंक कर्मचारियों ने गोल्ड लोन के अपने टारगेट को अचीव किया.