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Real Estate : ​​कामर्शियल या रेसिडेंशियल, जानिये किस प्रोपर्टी में पैसा लगाना ज्यादा सही, कहां मिलेगा बेहतर रिटर्न

बात जब इनवेस्टमेंट की आती है तो आपके पास बैक एफडी से लेकर सोना, जमीन-जायदाद तक के ढेरों ऑप्शन दिखते हैं। शेयर बाजार में पैसे कैसे लगाएं, यह सभी को आसानी से पल्ले नहीं पड़ता है। जबकि रियल एस्टेट में निवेश आसान है। इस समय रियल एस्टेट में निवेश करना बेहद फलदायी भी हो गया है। यहां सवाल उठता है कि कामर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करें या रेसिडेंशयल प्रॉपर्टी में? कहां मिलेगा ज्यादा फायदा?आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
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Real Estate : ​​कामर्शियल या रेसिडेंशियल, जानिये किस प्रोपर्टी में पैसा लगाना ज्यादा सही, कहां मिलेगा बेहतर रिटर्न

NEWS HINDI TV, DELHI: रियल एस्टेट से जुड़े निवेश के बारे में ज्यादा कुछ समझना उन लोगों के लिए समझना वाकई मुश्किल हो सकता है जो इससे अपरिचित हैं। सबसे पहला सवाल यही है कि आपको किस प्रकार की संपत्ति में निवेश करना चाहिए? देश का कौन सा क्षेत्र सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रहा है? क्या कामर्शियल प्रॉपर्टी की तुलना में रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी अधिक आकर्षक हैं? निवेशकों को ऐसे तमाम सवालों के जवाब तलाशने की आवश्यकता है, ताकि वे इस बारे में सोच-समझकर निर्णय ले सकें कि उनकी मेहनत की कमाई कहां लगाई जाएगी। इस बारे में हमें बता रहे हैं Strata के सह-संस्थापक एवं सीईओ सुदर्शन लोढ़ा।

क्या है कमर्शियल रियल एस्टेट?

कामर्शियल रियल एस्टेट एक व्यापक शब्द है। इसमें रिटेल स्पेस, कार्यालय और औद्योगिक संपत्तियों जैसे बाजार के महत्वपूर्ण हिस्से शामिल हैं। ये संपत्तियां सभी साइज में आती हैं और इनमें अपार्टमेंट, डेकेयर सेंटर, कॉन्डोमिनियम, मूवी थिएटर, पार्किंग स्थल, इंडस्ट्रियल फ्लोर, गोदाम और बिग बाजार, क्रोमा और अन्य ब्रांडों के कब्जे वाले रिटेल स्पेस शामिल हैं। संक्षेप में कहें तो कोई भी संपत्ति जिसका उपयोग स्पष्ट रूप से व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, उसे कमर्शियल रियल एस्टेट (सीआरई) कहा जा सकता है। आजकल ऐसे बहु-उपयोग वाले स्थान भी हैं जिनका उपयोग वाणिज्यिक स्थानों और आवासीय क्षेत्रों के रूप में किया जा सकता है।


क्या है रेसिडेंशियल रियल एस्टेट:

रेसिडेंशियल या आवासीय अचल संपत्ति में आम तौर पर वह आवास या मकान शामिल हैं, जिन्हें आम तौर पर किराए पर दिया जाता है। यह मालिक के कब्जे वाला नहीं है। यह बेहद सरल लग सकता है, लेकिन वास्तव में, यह बिल्कुल वैसा ही है। कोई भी ऐसी संपत्ति जो पूरी तरह से रहने के उद्देश्य से बनाई गई है, उसे आवासीय अचल संपत्ति (आरआरई) कहा जाता है। जैसा कि पिछले हिस्से में बताया गया है, वे मल्टी-यूज वाले स्थानों का भी हिस्सा हो सकते हैं। जैसे आपके मकान के आधा या एक चौथाई हिस्से का उपयोग कामर्शियल हो सकता है। उसमें आप दुकान आदि खोल सकते हैं। शेष हिस्से का उपयोग रेसिडेंशियल यूज के लिए हो सकता है।


क्या है दोनों में अंतर:

कमर्शियल रियल एस्टेट और रेसिडेंशियल रियल एस्टेट के बीच मुख्य अंतर उनके किराये/पट्टे पर दिए जाने के तरीके के साथ-साथ इससे जुड़े कानूनी पहलुओं में है। चूंकि वे पहलू अलग-अलग हैं, उनमें से किसी एक में निवेश का पहलू भी काफी अलग है, जबकि उनमें अंतर्निहित सिद्धांत समान हैं। रेसिडेंशियल रियल एस्टेट के ज्यादातर मामलों में एक निवेशक को कोई संपत्ति खरीदनी होती है और भौतिक संपत्ति का स्वामित्व स्वयं ही रखना होता है। अधिकतर मामलों में, लोग अपनी संपत्ति बनाते हैं और उसे किराए पर दे देते हैं। एक और बात, किरायेदारों की अनिश्चित प्रकृति और कम अवधि के किरायेनामे के कारण भी आवासीय अचल संपत्ति में निवेश कम आकर्षक नजर आता है। हालांकि इसमें कागजी कार्रवाई और निवेश दोनों कम हैं, इसलिए इसमें शामिल होना आसान है। कामर्शियल रियल एस्टेट में आम लोगों का प्रवेश करना अभी कठिन है। कामर्शियल रियल एस्टेट के ज्यादातर मामलों में प्रारंभिक निवेश काफी बड़ा होता है। इसलिए, इस निवेश के लाभों का सही आकलन करने के लिए व्यक्ति को बाजार की मांग और आपूर्ति की अच्छी समझ होनी चाहिए। यहां एक संपत्ति निवेश फर्म काम आ सकती है। वे कानूनी कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं और आपको सिर्फ यह चुनना है कि कोई निवेश विकल्प आपके लिए सही है या नहीं।

कहां मिलते रहता है पैसा :

कामर्शियल रियल एस्टेट में निवेश करना इस दृष्टिकोण से कम जोखिम भरा है क्योंकि किरायेदारों के लिए कठोर पट्टे की शर्तों के कारण इसमें लगभग हमेशा नकदी प्रवाह होता है, और वो भी स्थिर। इसके विपरीत, आवासीय संपत्ति में अस्थिर नकदी प्रवाह होता है और इस बाजार की मांग में भारी बदलाव की संभावना होती है। कोरोना महामारी के दौर में रियल एस्टेट क्षेत्र में आवासीय रियल एस्टेट को सबसे अधिक नुकसान हुआ था। इतना ही नहीं, किसी भी क्षेत्र में आर्थिक गतिविधि में कोई भी गिरावट सबसे पहले आवासीय किरायेदारों को प्रभावित करेगी, क्योंकि वे हमेशा एक ठोस, दीर्घकालिक लीज एग्रीमेंट के अभाव में अपने घाटे में कटौती करना चाहेंगे। इसलिए यदि आपके पास स्थानीय संपर्क हैं, तो अपेक्षाकृत कम समय के लिए आवासीय रियल एस्टेट में निवेश करना उचित हो सकता है। व्यावसायिक रियल एस्टेट के लिए, कम से कम पांच साल या उससे अधिक का दीर्घकालिक लक्ष्य रखना अच्छा है। इस तरह से उत्पन्न रिटर्न अधिक मायने रखता है और इस तरह होने वाली आमदनी आपको निवेश के अन्य मार्गों की तलाश करने का अवसर देती है।

वहीं करें निवेश जहां से रिटर्न हो बेहतर:

कमर्शियल संपत्ति का लाभ यह है कि किराया स्थिर होता है। आपके प्रॉपर्टी के पट्टे की शर्तें आम तौर पर अधिक मजबूत और दीर्घकालिक होती हैं। इसका अर्थ है कि किरायेदार लगभग हमेशा उपलब्ध होते हैं। व्यावसायिक संपत्तियों से जुड़ा काम बहुत कम होता है और उनसे अधिक सकल राजस्व हासिल किया जा सकता है। एक बार किसी को किराये पर दिए तो कम से कम पांच साल का तो करार होगा ही। रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी में अक्सर 11 महीने का एग्रीमेंट होता है। किराएदार से खूब पचड़ा रहता है। मकान में टूट-फूट लगा रहता है। कभी नल खराब हुआ तो कभी ड्रेनेज में प्रॉब्लम। किराया भी कामर्शियल प्रॉपर्टी की तरह नहीं बढ़ता। इसलिए प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इन बातों को ध्यान में अवश्य रखें।