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Supreme Court ने प्रोपर्टी खरीदने में धोखाधड़ी का शिकार हुए लोगों को दी बड़ी राहत, जानिये सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

सुपरमे कोर्ट ने हाल ही में एक एहम फैसला सुनाया है कोर्ट के अनुसार जो व्यक्ति संपत्ति के मालिक नहीं हैं, और वह बाकि लोगो के साथ धोखाधड़ी कर उन्हें संपत्ति बेचते हैं, ऐसे में खरीदने वाले को संपत्ति से बाहर नहीं किया जा सकता। आईये इस के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

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Supreme Court ने प्रोपर्टी खरीदने में धोखाधड़ी का शिकार हुए लोगों को दी बड़ी राहत, जानिये सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

News Hindi TV (नई दिल्ली)। एक निजी छत का सपना हर किसी का होता है. लोग अपने जीवनभर की कमाई दाव पर लगाकर जमीन या मकान खरीदते हैं. लेकिन महानगरों के आसपास धोखाधड़ी से संपत्ति के बेचने के मामले अक्सर सामने आते हैं. और ऐसे में जमीन या मकान के सौदे में धोखाधड़ी होने से खरीदार खुद को लुटा हुआ महसूस करता है. कोर्ट का एक फैसला ऐसे लोगों को राहत देने वाला हो सकता है.

 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने एक फैसले में कहा है कि ऐसे व्यक्ति, जो संपत्ति के मालिक नहीं हैं, द्वारा लोगों को भ्रमित करके उन्हें संपत्ति बेचता है, तो ऐसे में खरीदार को उस संपत्ति से बेदखल नहीं किया जा सकता, बल्कि ऐसे खरीदारों को कानूनी संरक्षण मिलेगा. 

 

 

खबर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अपील पर यह फैसला दिया है. अपीलकर्ता ने 1990 में एक प्लॉट पर स्वामित्व का दावा दायर किया था. यह प्लॉट अपीलकर्ता (Plot Appellant) ने खरीदा था, लेकिन यह भूमि लैंड सीलिंग में सरप्लस भूमि थी और इसकी जानकारी खरीदार को नहीं दी गई थी. 

 


हालांकि बाद में यह भूमि सीलिंग मुक्त (sealing free) कर दी गई थी. इस पर खरीदार ने भूमि अपने नाम दाखिल खारिज करवा ली थी, लेकिन कुछ साल बाद विक्रेता ने ही संपत्ति पर कब्जा कर लिया था.


इस पर खरीदार ने कोर्ट में स्वामित्व घोषित करने के लिए कोर्ट में वाद दायर किया. ट्रायल कोर्ट (trial court) ने उसके पक्ष में फैसला दिया. लेकिन पहली अपीलीय कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हस्तांतरण के समय विक्रेता भूमि का स्वामी नहीं था और खरीदार का भी धारा 53ए के तहत कोई अधिकार नहीं बनता, क्योंकि वह सरकारी भूमि थी. इस फैसले को भी हाईकोर्ट से उचित ठहराया था. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब कोई व्यक्ति धोखाधड़ी या गलती से कोई जमीन बेचता है और उसकी कीमत ले लेता है तो वह हस्तांतरण सही माना जाता है.