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Success Story : किसी समय पढ़ाई के लिए भी नहीं थे पैसें, आज 95000 करोड़ की कंपनी का मालिक

Success Story : आज हम आपको एक ऐसे शख्स की सफलता की कहानी बताने वाले हैं। जिसने एक समय पर MBA की पढा़ई करने के लिए पैसे उधार लेने पडे थे लेकिन आज अपनी मेहनत से 95 हजार की कंपनी के मालिक हैं। जानिए पूरी कहानी...
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Success Story : किसी समय पढ़ाई के लिए भी नहीं थे पैसें, आज 95000 करोड़ की कंपनी का मालिक

NEWS HINDI TV, DELHI: Success Story : जिंदगी में संघर्ष करे बिना सफलता नहीं मिलती है। लेकिन बहुत कम ही लोग ऐसे होते हैं जो चुनौतियों का डटकर मुकाबला करते हैं। ऐसे लोग जीवन में काफी सफलता हासिल करते हैं। चुनौतियों से लड़कर सफलता कैसे हासिल की जा सकती है ये कर दिखाया है गिरीश मातृभूतम ने। गिरीश सॉफ्टवेयर की दिग्गज कंपनी फ्रेशवर्क्स इंक के संस्थापक और सीईओ हैं।

एक समय ऐसा था जब गिरीश के पास एमबीए करने के रुपये नहीं थे। ऐसे में उन्होंने पैसे उधार लेकर अपना एमबीए पूरा किया था। वहीं आज गिरीश 95 हजार करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक हैं। गिरीश ऐसे लोगों के लिए एक मिसाल हैं जो जीवन में संघर्ष और चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आईए आपको बताते हैं गिरीश ने किस तरह से इतनी सफलता हासिल की और करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी।

बचपन बीता संघर्ष में -

तमिलनाडु के त्रिची टाउन के एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्में गिरीश मातृभूतम ने बचपन से ही संघर्ष किया। गिरीश के पिता सामान्य सरकारी कर्मचारी थे। बचपन में वे पढ़ाई में औसत ही थे, लेकिन फिर भी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे चैन्नई इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने गए। वहां भी वे एक औसत छात्र थे। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद साल 1992 में उन्होंने एमबीए करने का फैसला किया। लेकिन उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, फिर भी उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई के लिए अपने पिता से पैसे मांगे। आर्थिक हालात ठीक नहीं होने के चलते उनके पिता ने एक रिश्तेदार से कर्ज लिया। यही वो समय था जब गिरीश ने पैसे के महत्व को समझा और कुछ बड़ा करने का फैसला किया।

ऐसे हुई शुरुआत -

पढ़ाई पूरी करने के बाद गिरीश ने कई स्टार्टअप शुरू किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने अनुभव के लिए अमेरिका में एचसीएल सहित कई कंपनियों में काम किया। गिरीश ने दोस्त कलीग शान कृष्णासामी के साथ मिलकर चेन्नई में फ्रेशवर्क्स की शुरुआत साथ 2010 में की थी। फ्रेशवर्क्स को पहली फंडिंग 2011 में मिला। Accel ने इसमें 10 लाख डॉलर निवेश किया। उसी साल कंपनी को अपना पहले कस्टमर भी मिला। इसके बाद फ्रेशवर्क्स ने अपने प्रॉडक्ट रेंज का विस्तार करते हुए सेल्स और सीआरएम को भी जोड़ा। साथ ही फ्रेशवर्क्स को फ्रेशडेस्क के रूप में रिब्रांड किया गया। 2021 में इसका एन्युअल रिकरिंग रेवेन्यू 49 फीसदी तेजी के साथ 30 करोड़ डॉलर को पार कर गया। साथ ही उन्होंने स्टार्टअप्स में निवेश के लिए एक फंड भी बनाया है।

क्या करती है कंपनी -

कंपनी का बिजनेस मॉडल अपमार्केट सेल्स (Business Model Upmarket Sales) और उसके प्रोडक्ट पर आधारित है। फ्रेशवर्क्स के मुताबिक बिजनस सॉफ्टवेयर (business software) महंगा है और साथ ही इसे यूज करने भी आसान नहीं है। फ्रेशवर्क्स ‘रेडी टू गो’ सॉफ्टवेयर बनाती है जिसे इस्तेमाल करना आसान है। इसके लिए कंपनी ने अपना कस्टमर केयर कॉल सपोर्ट भी बनाया है जहां किसी भी वक्त जानकारी ली जा सकती है। इस कंपनी के दफ्तर दुनिया के कोने-कोने में फैले हैं जिनमें पेरिस, नीदरलैंड्स और फ्रांस जैसे देश शामिल हैं।


तेजी से बढ़ा रेवेन्यू -

गिरीश मातृभूतम की कंपनी का रेवन्यू 8 साल के भीतर शून्य से 100 मिलिन डॉलर हो गया। यहां से अगले डेढ़ साल में यह 200 मिलियन डॉलर की कंपनी बन गया। कंपनी का मुख्यालय कैलिफोर्निया में है। इसके भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और जर्मनी में भी ऑफिस हैं। फ्रेशवर्क्स के पास आज 50,000 से अधिक ग्राहकों के साथ 95,000 करोड़ से अधिक कंपनी है।