Cheque Bounce : चेक बाउंस होने पर जाना पड़ सकता है जेल
Reasons for cheque bounce - आज के समय में बेशक ज्यादातर लोग पैसों का लेन-देन ऑनलाइन करना पसंद करते हैं, लेकिन फिर भी चेक की उपयोगिता अभी भी कम नहीं हुई है. तमाम कामों के लिए आज भी चेक से पेमेंट की जरूरत पड़ती है. लेकिन कई बार कुछ गलतियों के चलते चेक बाउंस हो जाता है. चेक बाउंस होने का मतलब है कि, उस चेक से जो पैसा न मिलना था, वह न मिल सका.
NEWS HINDI TV, DELHI: चेक बाउंस (Cheque Bounce) होना एक तरह का अपराध है और चेक काटने से पहले अपना बैंक अकाउंट जरूर चेक कर लें। अगर आपके खाते में चेक पर डाली गई रकम से कम पैसा है तो आपका चेक बाउंस हो जाएगा और अगर ऐसा हुआ तो उसके लिए कानून में कड़ी सजा का प्रावधान है। आइए जानें इनके अलावा कौन से कारण हैं, जिनकी वजह से चेक बाउंस हो जाता है? अगर किसी ने आपको बाउंस चेक दिया है तो उस पर क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है? अगर आपका दिया गया चेक डिसऑनर हो गया है तो सजा से कैसे बचेंगे?
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इस वजह से होता है चक बाउंस-
एचडीएफसी बैंक (HDFC bank) की वेबसाइट पर डिसऑनर चेक के बारे में दी गई जानकारी के मुताबिक एक चेक कई कारणों से डिसऑनर या बाउंस हो सकता है।
चेक जारी करने वाले के खाते में पर्याप्त राशि नहीं थी या चेक पर साइन बिल्कुल मेल नहीं खाने पर चेक बाउंस हो सकता है।
कई बार खाता संख्या मिलान न होने पर चेक डिसऑनर हो जाते हैं। कटे-फटे चेक भी बैंक द्वारा डिसऑनर किए जा सकते हैं।
यदि कोई चेक एक्सपायर (check expired) हो गया है या उसे जारी करने की तारीख में कोई समस्या है तो चेक बाउंस हो सकता है।
कभी-कभी, चेक जारी करने वाले द्वारा पेमेंट (cheque payment) रोकने की वजह से भी चेक को डिसऑनर माना जाता है।
अगर चेक बाउंस हो जाए तो क्या होगा
डिसऑनर या बाउंस (dishonor or bounce) की स्थित में चेक जारी करने वाले पर जुर्माना लगता है। यह चेक बाउंस होने के कारण पर निर्भर करता है। अगर चेक से पेमेंट करने वाले के खाते में अपर्याप्त धनराशि होने के कारण चेक बाउंस हो जाता है तो निगोशिएबल इंट्रूमेंट एक्ट(Negotiable Instruments Act), 1881 की धारा 138 के तहत एक अपराध है।
अपर्याप्त धनराशि वाले खाते के लिए चेक जारी करने के लिए भुगतानकर्ता पर मुकदमा चलाया जा सकता है। इसके अलावा बैंक चेक बाउंस होने पर जुर्माना भी वसूलते हैं। यह अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग होता है। अलग-अलग राशि के लिए डिसऑनर चेक (dishonor check) जारी करने पर बैंकों के अलग-अलग पेनाल्टी स्लैब हो सकते हैं।
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कितने साल की होती है सजा
जिस व्यक्ति को चेक जारी किया गया है, वह चेक जारी करने वाले पर मुकदमा चलाने का विकल्प चुन सकता है या भुगतानकर्ता को तीन महीने के भीतर चेक को फिर से जारी करने की अनुमति दे सकता है। डिसऑनर चेक (dishonor check) जारी करने के लिए भुगतानकर्ता को दो साल तक की जेल हो सकती है।
हालांकि, सामान्यतः अदालत 6 महीने या फिर 1 वर्ष तक के कारावास की सजा सुनाती है। साथ ही अभियुक्त को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 के अंतर्गत परिवादी को कंपनसेशन दिए जाने निर्देश भी दिया जाता है। कंपनसेशन की यह रकम चेक राशि की दोगुनी हो सकती है।