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New Tax Regime : न्यू रिजीम के तहत बचा सकते है टैक्स, बस पता होने चाहिए ये 6 तरीके ​​​​​​​

टैक्स पेयर्स के लिए जरूरी खबर। दरअसल एक अपडेट के मुताबिक टैक्स भरने वाले न्यू रिजीम में भी बचा सकते है। अगर आप नहीं जानते है तो आइए नीचे इस खबर में जानें टैक्स बचाने के 6 तरीके...
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New Tax Regime : न्यू रिजीम के तहत बचा सकते है टैक्स, बस पता होने चाहिए ये 6 तरीके 

NEWS TV HINDI,DELHI : भारत सरकार ने नई टैक्स रिजीम को ज्यादा आसान और कम पेपरवर्क वाली स्कीम के तौर पर पेश किया है, जिसमें टैक्स की दरों में कुछ राहत दी गई है. वित्त वर्ष 2023-23 से यही नई टैक्स रिजीम डिफॉल्ट ऑप्शन बन जाएगी. यानी अगर आपने पुरानी टैक्स रिजीम का ऑप्शन सेलेक्ट नहीं किया है, तो आप खुद ब खुद नई रिजीम के दायरे में आ जाएंगे.


आम मान्यता यह है कि नई टैक्स रिजीम में किसी तरह की छूट नहीं मिलती है. लेकिन यह बात पूरी तरह सच नहीं है. कुछ ऐसे एग्जम्पशन्स (exemptions) हैं, जिनका लाभ पुरानी ही नहीं, नई टैक्स रिजीम में भी लिया जा सकता है. अपने लिए सही टैक्स रिजीम का चुनाव करने के लिए इन सभी फायदों के बारे में जानना जरूरी है.


1. 50 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन-


नए बजट में न्यू टैक्स रिजीम को और आकर्षक बनाने के लिए 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ इसमें जोड़ दिया गया है. यह लाभ सिर्फ सैलरी या पेन्शन पाने वाले लोगों को ही मिलता है. बिजनेस करने वालों या स्व-रोजगार में लगे लोगों को इसका फायदा नहीं मिलता. फैमिली पेन्शन पाने वाले यानी पेन्शन पाने वाले के निधन के बाद उनकी जगह पेन्शन पाने वालों को भी स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलता है.

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2. NPS में एंप्लायर का कंट्रीब्यूशन-


नई टैक्स रिजीम में नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर 80C के तहत कोई लाभ नहीं मिलता. न ही, 80CCD (1B) के तहत 50 हजार रुपये तक के अतिरिक्त निवेश का लाभ मिलता है. लेकिन NPS में एंप्लायर की तरफ से किए जाने वाले कंट्रीब्यूशन पर न्यू टैक्स रिजीम में भी सेक्शन 80CCD(2) के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है. यह लाभ कर्मचारी के बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते के अधिकतम 10 फीसदी तक के कंट्रीब्यूशन पर ही मिलता है.


सरकारी कर्मचारियों के लिए यह लिमिट 14 फीसदी है. इसके लिए एंप्लॉयर की तरफ से NPS में किए गए कंट्रीब्यूशन को पहले तो कर्मचारी के वेतन में जोड़ा जाता है और फिर उस पर सैलरी के 10 फीसदी (सरकारी कर्मचारियों के मामले में 14 फीसदी) डिडक्शन का लाभ दिया जाता है. आमतौर पर लोग इस टैक्स बेनिफिट के बारे में कम जानकारी रखते हैं. हालांकि एंप्लायर की तरफ से मिलने वाले बेनिफिट्स की सालाना टैक्स फ्री लिमिट 7.5 लाख रुपये है. इसके ऊपर मिलने वाले बेनिफिट की रकम को टैक्सेबल भत्ते में जोड़ा जाता है. इस डिडक्शन का लाभ लेने के लिए आपको अपने एंप्लायर से बात करनी पड़ेगी, क्योंकि आपके वेतन+महंगाई भत्ते की 10 फीसदी रकम उनकी तरफ से NPS में डालने पर ही आप इसका लाभ ले पाएंगे.


3. EPF में एंप्लॉयर का कंट्रीब्यूशन-


आपके एंप्लॉयर की तरफ से आपके एंप्लाई प्रॉफिडेंट फंड (EPF) में आम तौर पर बेसिक सैलरी के 12 फीसदी के बराबर कंट्रीब्यूशन किया जाता है. इस कंट्रीब्यूशन पर न्यू टैक्स रिजीम में भी एग्जम्पशन मिलता है. इसका लाभ लेने के लिए एंप्लॉयर की तरफ से आपको मिलने वाला सालाना रिटायरमेंट बेनिफिट 7.5 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए.

4. जीवन बीमा के मेच्योरिटी एमाउंट पर टैक्स एग्जम्पशन-

लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के मेच्योरिटी एमाउंट पर मिलने वाला टैक्स बेनिफिट न्यू टैक्स रिजीम में भी लागू होता है. लेकिन अगर आपने यूलिप (ULIP) या एंडोमेंट प्लान (Endowment Plan) खरीदा है, तो यह बेनिफिट हासिल करने के लिए कुछ शर्तों का पूरा होना जरूरी है. वित्त वर्ष 2021-22 से सरकार ने यूलिप के टैक्स-फ्री मेच्योरिटी एमाउंट पर कुछ पाबंदी लगा दी है.

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अगर आप 1 फरवरी 2021 के बाद खरीदी गई पॉलिसी पर साल में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा प्रीमियम अदा करते हैं, तो मेच्योरिटी एमाउंट पर टैक्स देना होगा. 2023 के बजट ने ट्रेडिशनल गैर-यूलिप पॉलिसी पर भी इसी तरह की लिमिट लगा दी है. इसके तहत अगर 1 अप्रैल 2023 के बाद खरीदी गई पॉलिसी का एग्रीगेट प्रीमियम 5 लाख रुपये से ज्यादा है, तो मेच्योरिटी पर मिलने वाली रकम पर टैक्स देना पड़ेगा. लेकिन किसी भी मामले में पॉलिसीधारक के निधन के बाद नॉमिनी को मिलने वाली रकम पर टैक्स नहीं लगता है.

5. PPF या SSY का मेच्योरिटी एमाउंट-


पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) या सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) में किए गए 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर पुरानी टैक्स रिजीम में 80C के तहत जो टैक्स लाभ मिलता है, वो नई टैक्स रिजीम में नहीं मिलता. लेकिन इन योजनाओं में किए गए निवेश की मेच्योरिटी पर मिलने वाली रकम पर आपको नई टैक्स रिजीम के तहत भी टैक्स नहीं भरना होगा.


6. रेंटल इनकम पर स्टैंडर्ड डिडक्शन-


अगर आपके पास कोई ऐसी प्रॉपर्टी है, जिसे आपने किराए पर दे रखा है, तो आप उसके सालाना मूल्य (annual value) पर 30 फीसदी की दर से स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ क्लेम कर सकते हैं. प्रॉपर्टी से एक साल के दौरान मिले कुल किराए में से म्युनिसिपल टैक्स को घटा दें तो उसकी एन्युअल वैल्यू निकल आएगी. इस एमाउंट के 30 फीसदी के बराबर रकम आप स्टैंडर्ड डिडक्शन के तौर पर क्लेम कर सकते हैं.