इस फसल को कहा जाता है किसानों का ATM , 30 दिन में त्यार होकर देती है लाखों का फायदा
आज के समय में किसान गेंहू ओर चावल के साथ साथ दूसरी फसलों की खेती पर भी काफी ज़ोर दे रहे हैं। कुछ ऐसी फसलें भी है जो कम लागत और कम समय में त्यार हो जाती है और लाखों की कमाई देती है , ऐसी ही इस सफल के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। इस फसल को किसानों का ATM भी कहा जाता है। आइये जानते हैं इसके बारे में
News Hindi TV, Delhi : परंपरागत खेती को छोड़कर किसान इन दिनों सब्जियों की फसल तैयार करने में जुटे हैं. इस दौरान किसान अब सीजनल सब्जियों की खेती की तरफ तेजी से रुख कर रहे है. तोरई भी कुछ इसी तरह की फसल है. किसान इसकी खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं. सब्जियों में तोरई एक नकदी फसल मानी जाती हैं. आमतौर पर यह फसल दो माह में तैयार होती है लेकिन फर्रुखाबाद में कृषि वैज्ञानिक ने सब्जियों की खास किस्मों को तैयार किया है जो उन्नत किस्म की होती हैं जिससे बंपर पैदावार होती हैं.
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कृषि वैज्ञानिक राहुल पाल ने बताया कि वह कमालगंज के श्रंगीरामपुर में पाली हाउस में नर्सरी तैयार करते हैं जिसकी खेतों में रोपाई करने के करीब एक माह में ही तोरई निकलने लगती हैं. आमतौर पर तोरई बाजार में महंगी बिकती हैं जिससे किसानों को अच्छा खासा मुनाफा होता है. दूसरी ओर यहां तैयार नर्सरी मे रोग भी कम लगते है. जिससे लागत में भी कम आती हैं. यहां पर इस समय मिर्च, टमाटर, बैगन और तोरई के साथ ही लौकी की भी नर्सरी तैयार की गई है जिसकी एक रुपए प्रति पौधा से शुरुआत होती हैं.
तोरई के लिए यह है जलवायु और तापमान
आज के मौसम में तोरई की खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु मुफीद है. वहीं इसकी खेती के लिए 25 से 37 डिग्री सेल्सियस तापमान सही माना जाता है. इसकी फसल के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा और विटामिन-ए के गुणों से भरपूर तोरई एक नकदी फसल भी है. छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों के बाजारों में इसकी मांग रहती है.
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कैसे होती हैं तोरई की खेती
इसकी खेती करने के लिए नमीदार खेत में जैविक खाद डालने के बाद जुताई करने के साथ ही खेत को समतल करके 2.5 x 2 मीटर की दूरी पर 30 सेमी x 30 सेमी 30 सेमी आकार के गड्ढे खोदने के बाद तोरई की पौध को रोपना चाहिए. इसके बाद समय से सिंचाई और गुड़ाई की जाती हैं. जब पौधे बड़े हो जाते है. तो तोरई की उन्नत किस्मो के पौधो की रोपाई के बाद कटाई के लिए तैयार होने में एक माह का समय लग जाता है. वही तोरई की तुड़ाई कच्ची अवस्था में की जाती हैै. जिसके बाजार शुरुआत में 60 से 80 रुपए प्रति किलो के दाम मिल जाते हैं जिसका प्रयोग सब्जी के रूप में करते है. तोरई के एक बीघा खेत में साठ से सत्तर हजार रुपए की आसानी से कमाई हो जाती हैं.