NPS स्कीम में बड़ा बदलाव, केंद्रीय कर्मचारियों को उनके आखिरी वेतन की 40 से 50 फीसदी मिलेगी पेंशन

NPS vs OPS : केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी। अगर आप केंद्रीय कर्मचारी है तो आपके लिए बड़ी महत्वपूर्ण खबर है कि आपकी पेंशन स्कीम में बदलाव हो सकता है जिसके तहत अब अतिंम सैलरी की 40 से 50 फीसदी पेंशन मिलेगी। आपको बता दें कि फिलहाल कर्मचारी 36 फीसदी से 38 फीसदी के बीच रिटर्न अर्जित करते हैं. नीचे जानिए पूरी खबर.

 

NEWS HINDI TV, DELHI: केंद्र सरकार नेशनल पेंशन स्कीम( National Pension Scheme ) में इस साल के अंत से संशोधन कर सकती है, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मचारियों को रिटायरमेंट भुगतान के तौर पर उनकी अंतिम सैलरी का कम के कम 40-45 फीसदी मिले। इसकी सिफारिश हाई-लेवल पैनल ने की थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले से जुड़ी 2 लोगों ने बताया कि फिलहाल इस मामले पर विचार किया जा रहा है।


NPS में होगा ये बदलाव-


नेशनल पेंशन स्कीम( NPS Scheme ) में सरकार कुछ बदलाव कर सकती है। संशोधित पेंशन योजना मार्केट रिटर्न से जुड़ी रहेगी। लेकिन सरकार कर्मचारी की आखिरी सैलरी का कम से कम 40 फीसदी देने के सिस्टम पर काम कर सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी का कहना है कि सरकार एक आधार राशि सुनिश्चित कर सकती है। इसका मतलब है कि अगर भुगतान आधार राशि से कम है तो सरकार( central government ) को पेंशन में कमी को पूरा करने के लिए हस्तक्षेप करना होगा। फिलहाल कर्मचारी औसतन 36 फीसदी से 38 फीसदी के बीच रिटर्न अर्जित करते हैं। 

NPS पर क्यों है विवाद-


पुरानी पेंशन स्कीम( old pension scheme ) के तहत पेंशनभोगियों को रिटायरमेंट के समय मिले वेतन का 50 फीसदी मासिक लाभ मिलता था। साल 2004 में शुरू की गई मौजूदा मार्केट-लिंक्ड पेंशन प्लान ऐसी कोई गारंटीड आधार रकम प्रदान नहीं करती है। नए पेंशन प्लान( New pension scheme ) में एक और विवाद है।


एनपीएस( National Pension Scheme  ) में कर्मचारी की सैलरी का 10 फीसदी योगदान होता है और सरकार 14 फीसदी का योगदान देती है। जबकि ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी का कोई योगदान नहीं होता है। इसके अलावा एनपीएस पेंशनर्स को रिटायरमेंट के समय कोष का 60 फीसदी टैक्स फ्री और 40 फीसदी हिस्सा कर भुगतान के योग्य होता है।


नेशनल पेंशन स्कीम में किसका कितना है योगदान-


राष्ट्रीय पेंशन योजना( NPS ) के तहत 87 लाख केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 फीसदी योगदान देते हैं। जबकि सरकार 14 फीसदी का भुगतान करती है। अंतिम भुगतान उस फंड पर रिटर्न पर निर्भर करता है, जिसे ज्यादातर सरकारी ऋण निवेश किया जाता है।