Supreme Court ने किराएदारों के हक में सुनाया बड़ा फैसला, अब मकान मालिक किराए के लिए नही कर सकता परेशान

Supreme Court decision : अक्सर किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच विवाद के अनेक मामले सामने आते रहते है। और इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने एक अहम फैसले से किराएदारों को बड़ी राहत दी हैं। दरअसल, कोर्ट ने किराएदारों के हक में फैसला सुनाते हुए यह साफ कर दिया हैं कि अब किराए के लिए मकान मालिक परेशान नहीं कर पाएगा। जानिए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से जुड़ी पूरी जानकारी...
 

NEWS HINDI TV, DELHI : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि किरायेदार द्वारा किराया न चुकाना विवाद का मामला है, आपराधिक मामला नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किरायेदार किराया नहीं देता है तो आईपीसी की धारा के तहत मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने एक हालिया फैसले में किरायेदार के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की.

High Court ने नहीं दी थी राहत:


सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में नीतू सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी का मामला आया था। किराएदार के खिलाफ IPC की धारा-403 (बेईमानी से संपत्ति का उपयोग करना) व 415 (धोखा देना) की धाराओं में केस दर्ज हुआ था। वहीं इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अर्जी पर राहत देने से मना किया था और दर्ज केस खारिज करने से मना कर दिया था। जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया।


'कानूनी कार्रवाई हो सकती है पर IPC के तहत दर्ज नहीं हो सकता केस':

सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर खारिज (FIR dismissed) करते हुए कहा कि किराये का भुगतान न करना एक सिविल विवाद है। यह आपराधिक मामला नहीं बनता है। मकान मालिक ने किराएदार पर उक्त IPC की धाराओं के तहत केस दर्ज कराया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने कहा कि किराया पेमेंट न करना सिविल नेचर का विवाद है।


अगर आईपीसी के तहत मामला नहीं बनता है तो ऐसी स्थिति में पहले से दर्ज एफआईआर रद्द कर दी जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किरायेदार के खिलाफ लंबित किराया बकाया और बेदखली से संबंधित विवाद को नागरिक कार्यवाही के माध्यम से निपटाया जाएगा।