Supreme Court ने कह दी ये बड़ी बात, पत्नी अपने पति की नहीं होती गुलाम
NEWS HINDI TV, DELHI: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि एक पत्नी अपने पति की गुलाम या बपौती नहीं है, जो अपने पति के साथ रहने को मजबूर हो. कोर्ट ने ये बयान एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया जिसमें पति ने कोर्ट से अपील की थी कि उसकी पत्नी को साथ रहने का आदेश दिया जाए।
आपको बता दें कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस संजय किशन और हेमंत गुप्ता ने कहा, 'आप क्या सोचते हैं? क्या महिला कोई गुलाम या संपत्ति है जो हम ऐसे आदेश दें? क्या औरत कोई संपत्ति है जिसे हम आपके साथ चलने के लिए कहें?'
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विवाद के मूल में दाम्पत्य अधिकारों की बहाली पर 1 अप्रैल, 2019 का आदेश है, जो गोरखपुर के फैमिली कोर्ट (Family Court of Gorakhpur) ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत पति के पक्ष में दिया था। महिला ने दावा किया कि उसका पति 2013 में शादी के बाद से ही उसे दहेज के लिए परेशान कर रहा था।
दरअसल, साल 2015 में महिला ने गोरखपुर कोर्ट (Gorakhpur Court) में याचिका दायर कर अपने पति से भरण-पोषण की मांग की थी. कोर्ट ने पति को हर महीने पत्नी को 20 हजार रुपये देने का आदेश दिया था. इसके बाद पति ने दाम्पत्य अधिकारों की बहाली के लिए कोर्ट में अपनी याचिका दायर की।